महंगाई को कंट्रोल करने में सरकार फेल होती नजर आ रही है!
महंगाई को कंट्रोल करने में जुटी सरकार की कोशिशों को थोक व्यापारी कामयाब नहीं होने दे रहे हैं। दरअसल, बीते 3 महीनों के दौरान प्रमुख दालों की थोक कीमतों में आई कमी का कोई फायदा ग्राहकों को नहीं मिला है। उल्टा कहीं पर तो थोक दाम घटने के बावजूद रिटेल कीमतों में इजाफा हो गया है।

अगर बीते 3 महीनों के ट्रेंड को देखें तो मंडी में दालों की कीमतों में गिरावट के बावजूद रिटेल मार्केट में कीमतों में कोई कमी नहीं आई है जिससे सरकार की चिंता बढ़ गई है। होलसेल मंडी की कीमतों और रिटेल प्राइसेज से साफ इशारा मिल रहा है कि रिटेलर्स ज्यादा मार्जिन बना रहे हैं । मौजूदा हालात को देखते हुए डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स की सचिव निधि खरे ने रिटेलर्स को चेतावनी दी है कि ज्यादा मुनाफा कमाने की उनकी ये हरकत बर्दाश्त से बाहर है। उन्होंने ये भी कहा कि सरकार की इसपर पैनी नजर है और ये फर्क बढ़ता रहा तो सरकार कड़ी कार्रवाई कर सकती है।
महंगाई को लेकर एक्शन
कंज्यूमर अफेयर्स सेक्रेटरी ने रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और बड़ी रिटेल चेन कंपनियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की त्योहारी सीजन को ध्यान में रखकर बुलाई गई बैठक में दालों के दाम को लेकर चर्चा हुई इसमें बताया गया कि उपलब्धता बढ़ने और खरीफ दलहन की ज्यादा बुआई के चलते मंडियों में दालों की कीमतों में हाल के महीनों में गिरावट देखी गई है। जिससे प्रमुख मंडियों में तुअर और उड़द की कीमतों में पिछले तीन महीने में औसतन 10 प्रतिशत तक की कमी देखने को मिली है लेकिन रिटेल कीमतों में कोई बदलाव नहीं आया है। वहीं पिछले एक महीने में चने की मंडी कीमतों में गिरावट देखी गई है लेकिन रिटेल कीमतों में बढ़ोतरी जारी है।
ऐसे में थोक कीमतों और रिटेल दाम के बीच अलग-अलग रुझान ज्यादा मार्जिन कमाने की मंशा के संकेत दे रहे है। इसको लेकर सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर थोक और रिटेल दाम में अंतर कम नहीं हुआ तो फिर मुनाफाखोरों पर सरकार कड़ी कार्रवाई कर सकती है। इस मीटिंग में रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों के साथ ही रिलायंस रिटेल, विशाल मार्ट, डी मार्ट, स्पेंसर और मोर रिटेल के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
सरकारी डेटा के मुताबिक
-चना दाल की कीमतों में एक महीने में 2.76 फीसदी, उड़द की कीमतों में 0.71 परसेंट, मूंग दाल में 1.34 फीसदी और मसूर दाल की कीमतों में 0.80 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। केवल अरहर दाल की कीमतों में एक महीने में 0.09 फीसदी की कमी देखने को मिली है।
ऐसे में सरकार को त्योहारों के मौसम में इस मामले में दखल देना चाहिए और इसके बाद भी सिस्टम बनाया जाना चाहिए जिससे लोगों को मुनाफाखोरों की वजह से महंगाई का सामना ना करना पड़े।