
Raghuram Rajan का 'टाइम बम' वाला बयान
RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने ऐसा बयान दिया है। जिससे पूरी दुनिया में खलबली मच गई है। इतना ही नहीं उन्होंने खास तौर पर पहली बार टाइम बम जैसे शब्द का जिक्र किया है। आखिर किसके बारे में RBI के पूर्व गवर्नर ने एक के बाद चेतावनी दी है। रघुराम राजन ने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के बारे में कई अहम बातें कही हैं। रघुराम राजन ने कहा है कि दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश टाइम बम के मुहाने पर खड़ा है।

RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने ऐसा बयान दिया है। जिससे पूरी दुनिया में खलबली मच गई है। इतना ही नहीं उन्होंने खास तौर पर पहली बार टाइम बम जैसे शब्द का जिक्र किया है। आखिर किसके बारे में RBI के पूर्व गवर्नर ने एक के बाद चेतावनी दी है। आइये जानते हैं। रघुराम राजन ने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के बारे में कई अहम बातें कही हैं। रघुराम राजन ने कहा है कि दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश टाइम बम के मुहाने पर खड़ा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में लगातार बैंकों की हालत खराब होती जा रही है। हाल ही में तीन बड़े बैंक धराशायी हो गए और ऐसे में अमेरिका के सामने अब कई बड़ी चुनौतियां तैयार हैं। रघुराम राजन ने कहा कि डॉमिनोज इंफेक्ट के चलते बैंकों के सामने कई तरह के चैलेंज आ रहे हैं। अर्थशास्त्र में डॉमिनोज इंफेक्ट का मतलब होता है एक छोटी घटना जो आगे चलकर बड़ी हो जाती है और उसका कई तरह से अच्छा या बुरा प्रभाव पड़ता है।
Also Read: Karnataka में आज मतदान जारी, किसकी बनेगी सरकार
Development bank of Singapore यानि DBS बैंक के चीफ इकॉनोमिस्ट के साथ एक पॉडकास्ट में रघुराम राजन ने ये बाते कहीं। राजन ने साफ तौर पर कहा कि अमेरिका में बैंकिंग संकट आने की उम्मीद थी। शायद अमेरिकी अथॉरिटी को पता था कि इस संकट के चलते आर्थिक हालात को संभालना मुश्किल हो सकता है। अब जो कोशिश हो रही है, वो रिस्कलेस कैपिटलिज्म यानि बिना रिस्क के पूंजीवाद को बढ़ा रहे हैं।

RBI के पूर्व गवर्नर यहीं नहीं रूके बल्कि राजन ने अमेरिकी सरकार की कई खामियों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अमेरिकी अथॉरिटीज इस बैंकिंग संकट से सही तरीके से नहीं निपट रही है। शॉर्ट टर्म की समस्या को डिपॉजिट पर रखे इश्योरेंस से सुलझाया गया है, लेकिन लॉन्ग टर्म की समस्या अभी भी मौजूद है। बैंकों के लिए डिपॉजिटरों के पैसों को संभालना और बढ़ाना दोनों चुनौती बन रही हैं और जमाकर्ता अपने पैसों की पूरी सुरक्षा चाहते हैं।
Also Read: Apollo Tyre के दमदार रिजल्ट्स के बाद भी गिर गए शेयर
अमेरिका में सेफ एसेट्स यानि बाजार के उतार-चढ़ाव का कोई खतरा नहीं, जैसे इंस्ट्रूमेंट्स पर ब्याज दरें काफी बढ़ गई हैं। इसलिए निवेशक अपने पैसों को वहां इन्वेस्ट कर रहे हैं। ऐसे में बैंकों के सामने लॉन्ग टर्म प्रॉफिटेबिलिटी को बरकरार रखना मुश्किल हो रहा है। राजन ने कहा कि लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी बैंकों के लिए संकट पैदा कर रही है, इस परेशानी से निकलना उनके लिए मुश्किल हो रहा है। इसके लिए उन्हें मजबूत रास्ता निकालना पड़ेगा।

अमेरिका के इस बैंकिंग संकट का मुख्य कारण फेडरल रिजर्व का ब्याज दरों को बढ़ाना है। दरअसल अमेरिका में महंगाई 7वें आसमान पर है। उस महंगाई को कंट्रोल करने के लिए फेड ने साल 2022 से अब तक ब्याज दरों में 4.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। इसी फैसले के चलते सिलिकॉन वैली और फर्स्ट रिपब्लिक जैसे बैंक डूबे। क्योंकि निवेशकों ने फिक्स्ड इनकम में निवेश करना ज्यादा बेहतर समझा। इसके चलते पुराने बॉन्ड और सिक्योरिटीज पर यील्ड घट गई। इससे बैंकों को जबरदस्त तरीके से घाटा हुआ। राजन ने कहा कि अमेरिका में बैंकिंग संकट से बचने के लिए जो प्रयास हो रहे हैं, वे रिस्कलेस केपिटलिज्म को बढ़ा रहे हैं।