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#ModinomicsBudget2024: Indian Banks का RoA और RoE वित्त वर्ष 24 में दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया - Economic Survey

भारतीय अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCBs) के लिए 2024 के वित्तीय सर्वेक्षण (Economic Survey) में यह बताया गया है कि मार्च 2024 में रिटर्न ऑन इक्विटी (RoE) और रिटर्न ऑन एसेट्स (RoA) के Ratio ने दशक के उच्चतम स्तर को छू लिया है।

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वित्त मंत्री निर्मला सितारमण

भारतीय अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCBs) के लिए 2024 के वित्तीय सर्वेक्षण (Economic Survey) में यह बताया गया है कि मार्च 2024 में रिटर्न ऑन इक्विटी (RoE) और रिटर्न ऑन एसेट्स (RoA) के Ratio ने दशक के उच्चतम स्तर को छू लिया है। यह जानकारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Financial Stability Report) में भी दर्शाई गई है, जिसमें बैंकों की लाभप्रदता (Profitability) और वित्तीय स्वास्थ्य का व्यापक (Comprehensive) विश्लेषण किया गया है।

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लाभप्रदता के संकेतक 

मार्च 2024 में, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का RoE 13.8% और RoA 1.3% तक पहुंच गया। यह आंकड़े पिछले वर्षों की तुलना में काफी बेहतर हैं, जो दर्शाते हैं कि बैंकों की लाभप्रदता में सुधार हुआ है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है, "लाभप्रदता के संकेतक मजबूत बने हुए हैं, RoE और RoA अनुपात दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं।"

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फंड की लागत में बढ़ोतरी 

हालांकि, सर्वेक्षण में यह भी उल्लेख किया गया है कि बैंकों की फंड की लागत में 100 आधार अंकों की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले वर्ष यह वृद्धि 75 आधार अंकों की थी। "मौद्रिक नीति दरों में वृद्धि के प्रभाव और तरलता की स्थिति में बदलाव के कारण फंड की लागत में यह वृद्धि हुई है," सर्वेक्षण ने कहा।

नेट ब्याज मार्जिन 

मार्च 2024 में SCBs का शुद्ध ब्याज मार्जिन (NIM) 3.6% पर स्थिर रहा। यह वृद्धि ब्याज दरों में वृद्धि के कारण हुई है, जिससे बैंकों की संपत्तियों पर लाभ भी बढ़ा है।

गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) की स्थिति 

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2024 तक बैंकों का सकल NPA अनुपात 2.8% के बहु-वर्षीय निम्न स्तर पर पहुंच गया है, जबकि शुद्ध NPA 0.6% है। यह सुधार बैंकों की बढ़ती लाभप्रदता और घटते गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के कारण संभव हुआ है।

पूंजी अनुपात 

SCBs का पूंजी से जोखिम-भारित संपत्तियों का अनुपात (CRAR) मार्च 2024 के अंत में 16.8% और सामान्य पूंजी स्तर 1 (CET1) अनुपात 13.9% पर रहा। यह संकेत करता है कि बैंकों की पूंजी स्थिति मजबूत है और वे संभावित वित्तीय संकटों का सामना करने में सक्षम हैं।

वैश्विक आर्थिक स्थिति 

हालांकि, वैश्विक आर्थिक स्थिति में कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि "वैश्विक अर्थव्यवस्था लंबे समय तक चलने वाले भू-राजनीतिक तनाव, उच्च सार्वजनिक ऋण और महंगाई में कमी के अंतिम चरण में धीमी प्रगति से प्रभावित हो रही है।" इसके बावजूद, वैश्विक वित्तीय प्रणाली ने लचीलापन दिखाया है और वित्तीय स्थितियाँ स्थिर बनी हुई हैं।

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भविष्य की संभावनाएँ 

आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली मजबूत स्थिति में है। "सुधरे हुए बैलेंस शीट के साथ, बैंक और वित्तीय संस्थान आर्थिक गतिविधियों का समर्थन कर रहे हैं," RBI ने कहा।

मार्च 2024 में भारतीय अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का RoE और RoA उच्चतम स्तर पर पहुंचने के साथ, यह स्पष्ट है कि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में लाभप्रदता में सुधार हुआ है। हालांकि, फंड की लागत में वृद्धि और वैश्विक आर्थिक चुनौतियाँ ऐसे कारक हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

इस प्रकार, भारतीय बैंकों की स्थिति भविष्य में सकारात्मक रहने की संभावना है, बशर्ते वे अपने जोखिम प्रबंधन और पूंजीकरण पर ध्यान केंद्रित करें।