जब Anand Mahindra ने ली पश्चिमी मीडिया की क्लास
अंग्रेजों ने हमसे जो सबसे मूल्यवान चीज छीनी थी, वह कोहिनूर हीरा नहीं था, बल्कि हमारा गौरव और अपनी क्षमताओं में विश्वास था। अंग्रेजी हुकूमत का सबसे बड़ा लक्ष्य अपने गुलामों को उनके कमजोर होने का अहसास कराना था। यही कारण है कि टॉयलेट और स्पेस एक्सप्लोरेशन दोनों में निवेश करना एक विरोधाभास नहीं है।

Chandrayaan-3 की सफलता ने पूरी दुनिया में भारत का लोहा मान रही है। विक्रम लैंडर जैसे ही चांद की सतह पर उतरा, भारत ने इतिहास रच दिया। भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इसके साथ ही भारत को पूरी दुनिया से बधाइयां मिल रही हैं। इस बीच महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन Anand Mahindra चंद्रयान-3 मिशन पर नजर बनाए हुए थे और सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद कई ट्वीट किए। हालांकि, उन्होंने एक वीडियो को शेयर करते हुए अंग्रेजों को जमकर लताड़ा। इसके साथ ही BBC का चार साल पुराना एक वीडियो क्लिप भी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा। यह चंद्रयान-2 के समय का है जिसे भारत ने 2019 में छोड़ा था। इसमें बीबीसी का एंकर भारत के मून मिशन का मजाक उड़ा रहा था। उन्होंने कहा कि भारत की गरीबी के लिए काफी हद तक अंग्रेजी हुकूमत जिम्मेदार है जिसने कई दशकों तक भारत में संसाधनों की लूट की।
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बीबीसी एंकर भारत में मौजूद अपने संवाददाता से पूछ रहा था कि भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी है, भीषण गरीबी है, 70 करोड़ लोगों पास टॉयलेट नहीं है, क्या ऐसे देश को मून मिशन पर इतना पैसा खर्च करना चाहिए।महिंद्रा ने बीबीसी के इस वीडियो पर ट्वीट करते हुए कहा, 'सही में सच्चाई यह है कि हमारी गरीबी की सबसे बड़ी वजह यह है कि हम पर दशकों तक अंग्रेजों ने हुकूमत की। उन्होंने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को सिस्टमैटिक तरीके से लूटा। अंग्रेजों ने हमसे जो सबसे मूल्यवान चीज छीनी थी, वह कोहिनूर हीरा नहीं था, बल्कि हमारा गौरव और अपनी क्षमताओं में विश्वास था। अंग्रेजी हुकूमत का सबसे बड़ा लक्ष्य अपने गुलामों को उनके कमजोर होने का अहसास कराना था। यही कारण है कि टॉयलेट और स्पेस एक्सप्लोरेशन दोनों में निवेश करना एक विरोधाभास नहीं है। सर, चंद्र मिशन से हमें अपना गौरव और आत्मविश्वास बहाल करने में मदद मिलती है। यह विज्ञान के माध्यम से प्रगति में विश्वास पैदा करता है। यह हमें गरीबी से बाहर निकलने की आकांक्षा देता है। सबसे बड़ी गरीबी आकांक्षा की कमी होती है।
ISRO के मुताबिक चंद्रयान-3 को तैयार करने पर कुल 615 करोड़ रुपये का खर्च आया है। चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम, रोवर प्रज्ञान और प्रपल्शन मॉड्यूल को तैयार करने की कुल लागत 250 करोड़ रुपये है। साथ ही इसके लॉन्च पर 365 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसका कुल खर्च चंद्रयान-2 की तुलना में करीब 30 फीसदी कम है। 2008 में भेजे गए चंद्रयान-1 की कुछ खर्च 386 करोड़ रुपये था। इसी तरह 2019 में भेजे गए चंद्रयान-2 पर कुल खर्च 978 करोड़ रुपये का खर्च आया था। यानी तीनों मिशन पर इसरो का कुल खर्च 1,979 करोड़ रुपये रहा है।
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