
EXCLUSIVE: 25 साल पहले, जब अटल बिहारी वाजपेयी ने रचा था पोखरण में इतिहास
11 मई की चिलचिलाती गरमी में राजस्थान के रेगिस्तान में एक ऐसा धमाका हुआ जिसकी गूंज आज 25 साल बाद भी कानों में सुनाई देती है। 11 मई 1998 को, राजस्थान में भारतीय सेना के पोखरण परीक्षण रेंज में पांच परमाणु परीक्षण किए गए। सबसे पहले राजस्थान के पोखरण में तीन बमों का सफल परीक्षण किया गया था। फिर 13 मई को दो परीक्षण और किए गए। पूरे देश ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राष्ट्र के नाम संदेश से इस पूरी खबर को जाना।

11 मई की चिलचिलाती गरमी में राजस्थान के रेगिस्तान में एक ऐसा धमाका हुआ जिसकी गूंज आज 25 साल बाद भी कानों में सुनाई देती है। आज ही के दिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने एक ऐसा साहसिक फैसला किया जिसके बाद पूरी दुनिया की डिप्लोमेसी और समीकरण एक झटके में बदल गए। 11 मई 1998 को, राजस्थान में भारतीय सेना के पोखरण परीक्षण रेंज में पांच परमाणु परीक्षण किए गए।
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सबसे पहले राजस्थान के पोखरण में तीन बमों का सफल परीक्षण किया गया था। फिर 13 मई को 2 परीक्षण और किए गए। इस सफल परीक्षण के बाद पूरी दुनिया विशेषकर अमेरिका और पाकिस्तान दंग रह गए थे। इस परीक्षण का नेतृत्व एयरोस्पेस इंजीनियर और दिवंगत राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को एक परमाणु देश घोषित किया। पूरे देश ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राष्ट्र के नाम संदेश से इस पूरी खबर को जाना। तब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा ''आज दोपहर 3.45 पर भारत ने पोखरण में तीन भूमिगत परमाणु परीक्षण किए. इन टेस्ट को फिशन और थर्मो-न्यूक्लियर डिवाइस के जरिए अंजाम दिया गया. ये तय हो चुका है कि इन टेस्ट की वजह से वातावरण में कोई रेडियोएक्टिव पदार्थ रिलीज नहीं हुआ है. ये मई 1974 की तरह के ही परीक्षण थे. मैं वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को इन कामयाब परीक्षणों के लिए बधाई देता हूं''
अटल बिहारी वाजपेयी, तत्कालीन प्रधानमंत्री ये अटल बिहारी वाजपेयी ही थे जिन्होंने चीन के युद्ध के बाद संसद में कहा था कि एटम बम का जवाब एटम बम है।

हालांकि देश का पहला परमाणु परीक्षण तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्ध 18 मई 1974 को हुआ था लेकिन इसके बाद दुनिया के देशों के दबाव के चलते परमाणु कार्यक्रम काफी देर से चल रहा था। केंद्र में NDA सरकार आने के बाद इसमें फिर से तेजी आई और 11 मई 1998 को फिर से परमाणु परीक्षण किया गया।
इन परीक्षणों की सबसे खास बात ये थी कि इन परीक्षणों के बारे में CIA के जासूस उपग्रहों और सिस्टम पूरी तरह से फेल कर गया। अमेरिका-यूरोप के सैटेलाइट, भारत के किसी भी टेस्ट को पकड़ नहीं पाए और जब परीक्षण हुआ तो दुनिया की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी में हड़कंप मच गया।
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भारत ने पहले से इसकी तैयारी की थी। DRDO अधिकारियों ने पता लगाया कि CIA के सैटेलाइट कब-कब भारत पर नजर रखते हैं. इसी के हिसाब से ज्यादातर रात को काम किया गया ताकि पकड़े जाने की संभावना कम से कम हो । कई बार जानबूझकर ऐसे गड्ढे खोदे गए जिससे सैटेलाइट चकमा खा जाएं। वैज्ञानिक, आर्मी की वर्दी में काम करते थे। CIA को लगा कि आर्मी के जवान युद्धाभ्यास कर रहे हैं। थोड़े भी मोटे वैज्ञानिकों को मिशन से हटा दिया गया ताकि वो सेना के फिट जवानों के बीच पहचाने न जा सकें। हर वैज्ञानिक को आर्मी की ड्रेस दी गई। हर वैज्ञानिक को एक कोड नेम दिया गया। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का नाम था-मेजर जनरल पृथ्वीराज।

इस सफल परीक्षण के बाद अमेरिका समेत कई देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगाएं लेकिन भारत ने किसी के सामने झुकने से इनकार कर दिया।
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि भारत ने ये परीक्षण किसी पर हमला करने के लिए नहीं किए है। भारत को अपनी आत्मरक्षा का अधिकार है। भारत की सभ्यता और संस्कृति हमेशा से शांति और सद्भाव की रही है। ऐसे में भारत से ये उम्मीद की जाए कि हम दुनिया को बर्बाद करेंगे ऐसा नहीं है। पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद पाकिस्तान ने भी जवाब में परमाणु परीक्षण किए लेकिन भारत ने कहा कि उसके परीक्षण पूरे हो चुके हैं और भारत और परीक्षण नहीं करेंगे। इन सफल परीक्षणों के बाद 11 मई को हर साल हम राष्ट्रीय तकनीकी दिवस के तौर पर मनाते हैं।