क्या Nokia की राह पर है Apple? कहीं एप्पल की यह रणनीति फेल न हो जाए...
कभी मोबाइल फोन्स की दुनिया में नोकिया का दबदबा था, लेकिन Symbian OS से चिपके रहने के चलते वह iOS और Android की दौड़ में पिछड़ गया। Apple को लेकर अब वैसी ही चिंताएं जताई जा रही हैं। पढ़िए पूरी खबर

क्या Apple वही गलती कर रहा है जो कभी Nokia ने की थी? टेक्नोलॉजी की दुनिया में यह सवाल अब बार-बार उठने लगा है। यह सवाल एप्पल के AI के कारण उठ रहा है। जिस तरह कभी नोकिया (Nokia) ने एंड्रॉइड को देर से अपनाकर बाजार गंवाया था, क्या Apple भी AI रेस में पीछे छूट रहा है?
कभी मोबाइल फोन्स की दुनिया में नोकिया का दबदबा था, लेकिन Symbian OS से चिपके रहने के चलते वह iOS और Android की दौड़ में पिछड़ गया। Apple को लेकर अब वैसी ही चिंताएं जताई जा रही हैं, खासकर तब जब Samsung, OnePlus जैसे ब्रांड्स ने Google Gemini को अपने डिवाइसेज में इंटीग्रेट करना शुरू कर दिया है। वहीं, Apple की AI पेशकश Apple Intelligence अभी अधूरी और अस्पष्ट दिख रही है।
हाल ही में हुए WWDC 2025 इवेंट में Apple ने iOS 26 पेश किया, लेकिन अधिकांश फीचर्स ऐसे थे जो Android यूजर्स पहले से इस्तेमाल कर रहे हैं। Siri का मेजर अपडेट 2026 तक टाल दिया गया है, जबकि Google ने Assistant को Gemini से पहले ही रिप्लेस कर दिया है।
iPhone यूजर्स के लिए AI अनुभव अभी भी सीमित है। Apple Intelligence फिलहाल केवल iPhone 15 Pro और इसके ऊपर के मॉडल्स में उपलब्ध है। लेकिन भारत जैसे बाजारों में जहां iPhone 13, 14 और बेस iPhone 15 अभी भी बिक रहे हैं, वहां तक इस फीचर की पहुंच नहीं है।
Apple का AI सिर्फ प्रीमियम यूजर्स के लिए ही है या फिर ऐसे यूजर्स जो लेटेस्ट डिवाइस का इस्तेमाल कर रहे हैं ऐसे में AI की इस दौड़ में कही टेक दिग्गज की ये रणनीति फेल न हो जाए और कहीं कंपनी के लिए यह नुकसानदायक न साबित हो जाए।
ChatGPT जैसे थर्ड-पार्टी ऐप्स से यूजर्स को वैसा ही अनुभव मिल रहा है, जो Apple खुद देने में असफल रहा है। इससे ब्रांड वैल्यू और यूजर लॉयल्टी पर असर पड़ने की आशंका है। यदि Apple जल्द ही अपने AI विजन को स्पष्ट और आसान नहीं बनाता, तो वह नोकिया की तरह टेक इंडस्ट्री के बदलावों के आगे झुकता दिख सकता है।