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कोका-कोला, पेप्सी, रेड बुल सहित अन्य कार्बोनेटेड ड्रिंक हो सकते हैं सस्ते! 28% जीएसटी को कम करने की मांग तेज

इंडियन बेवरेज एसोसिएशन (IBA) का कहना है कि चीनी आधारित कन्फेक्शनरी पर कम GST लगता है, जबकि कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पर न केवल 28% GST बल्कि अतिरिक्त 12% सेस (compensation cess) भी लगता है, जो अनुचित है।

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GST on Carbonated Beverages: केंद्र सरकार को कार्बोनेटेड पेयों (Carbonated Beverages) पर वर्तमान 28% वस्तु एवं सेवा कर (GST) को कम करने का अनुरोध मिला है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर इस टैक्स दर को “तार्किक” बनाए जाने की मांग की है। अजित पवार के मुताबिक इस सेक्टर में अनौपचारिक और असंगठित खिलाड़ियों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

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इस मांग को इंडियन बेवरेज एसोसिएशन (IBA) का भी समर्थन मिला है, जो कोका-कोला इंडिया, पेप्सिको इंडिया, डाबर, रेड बुल और पर्ल ड्रिंक्स जैसी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती है। एसोसिएशन का कहना है कि चीनी आधारित कन्फेक्शनरी पर कम GST लगता है, जबकि कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पर न केवल 28% GST बल्कि अतिरिक्त 12% सेस (compensation cess) भी लगता है, जो अनुचित है।

वर्तमान में, स्पार्कलिंग वॉटर और अन्य कार्बोनेटेड ड्रिंक्स को सबसे हाई टैक्स स्लैब- 28% GST स्लैब में रखा गया है, जिसमें आमतौर पर लक्जरी या "सिन गुड्स" रखे जाते हैं। सिन गुड्स वे प्रोडक्ट होते हैं जिन्हें समाज के लिए हानिकारक माना जाता है, जैसे तंबाकू, शराब, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, गुटखा आदि। 

GST परिषद लंबे समय से टैक्स स्लैब को रिस्ट्रक्चर करने पर विचार कर रही है, जिसके तहत तीन दरों- संभावित रूप से 8%, 18% और 28% का आसान ढांचा अपनाने की संभावना है। इस प्रस्ताव के तहत केवल "सिन गुड्स" को 28% स्लैब में रखने की बात कही गई है।

GST दरों पर रिस्ट्रक्चर को लेकर बनी मंत्री समूह (GoM) की पिछली बैठक अक्टूबर 2024 में हुई थी। रिपोर्ट तो तैयार की गई, लेकिन दिसंबर 2024 में हुई 55वीं GST परिषद की बैठक में इसे और चर्चा के लिए टाल दिया गया। सूत्रों के अनुसार, इसके बाद से GoM की कोई बैठक नहीं हुई है, और अब अगली बैठक 56वीं GST परिषद के बाद ही संभावित है, जिसकी तारीख और एजेंडा अभी तय नहीं हुआ है।