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NSE IPO: साल 2016 से हो रहा है इंतजार, आखिर क्यों हो रही है एनएसई के आईपीओ में देरी और अब क्या बदल रहा है?

एनएसई के आईपीओ के लिए निवेशक काफी लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। स्टॉक एक्सचेंज ने पहली बार 2016 में सेबी के पास ड्राफ्ट पेपर दाखिल किए थे।

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NSE IPO: सेबी के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे की हालिया टिप्पणी ने एनएसई आईपीओ (NSE IPO) के उम्मीदों को फिर से जगा दिया है, जिससे अन-लिस्टेड शेयर में हलचल मच गई है। पांडे ने कहा कि एनएसई आईपीओ आवेदन ऐसा कुछ नहीं है जिसे सुलझाया न जा सके। इससे ट्रेडर्स में पॉजिटिविटी आई है।

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अन-लिस्टेड एनएसई शेयर 2,400-2,420 रुपये के स्तर पर पहुंच गए - जो कि महज दो हफ्ते पहले 1,500 रुपये से 60 प्रतिशत अधिक है।

आईपीओ के लिए साल 2016 से इंतजार

एनएसई के आईपीओ के लिए निवेशक काफी लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। स्टॉक एक्सचेंज ने पहली बार 2016 में सेबी के पास ड्राफ्ट पेपर दाखिल किए थे, जिसका लक्ष्य 10,000 करोड़ रुपये में 22 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना था। हालांकि, इसे आगे बढ़ने के लिए सेबी से अनिवार्य NOC कभी नहीं मिला।

क्यों हो रही है देरी?

2015 में कुछ हाई-फ़्रीक्वेंसी ट्रेडर्स पर NSE के को-लोकेशन सर्वर तक अनुचित पहुंच प्राप्त करने का आरोप लगा था, जिसके कारण एनएसई के आईपीओ पर ब्रेक लगा गया। उस वक्त SEBI ने स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा फ़ोरेंसिक ऑडिट का आदेश भी दिया था।

एनएसई की 2024 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, एनएसई और उसके कर्मचारियों को 2017 और 2018 में सेबी से तीन अलग-अलग कारण बताओ नोटिस मिला, जो को-लोकेशन विवाद, डार्क फाइबर के उपयोग, गवर्नेंस की खामियों और हितों के टकराव की चिंताओं से संबंधित थे। को-लोकेशन का मुद्दा लंबे समय से लंबित है।

अब क्या बदल रहा है?

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में हाल ही में दावा किया गया था कि एनएसई विवाद को निपटाने के लिए सेबी को 1,000 करोड़ रुपये की पेशकश कर सकता है, जिस पर जल्द ही फैसला होने की उम्मीद है। सेबी के सितंबर 2024 के आदेश के बाद उम्मीद बढ़ गई है जिसमें पर्याप्त सबूतों के अभाव में 2019 के को-लोकेशन मामले में एनएसई और सात पूर्व अधिकारियों- जिनमें पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण और रवि नारायण शामिल हैं- के खिलाफ आरोपों को खारिज कर दिया गया।

अब आईपीओ के लिए क्यों जोर दिया जा रहा है?

वैल्यू क्रिएशन के लिए उत्सुक शेयरधारकों से दबाव बढ़ रहा है। मार्च के अंत तक, एनएसई के पास वैकल्पिक निवेश फंड के रूप में वर्गीकृत 39 निवेशक थे, जिनमें बीमा कंपनियां, एनबीएफसी और विदेशी निवेशक शामिल थे। फॉरेंन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट एक्सचेंज की इक्विटी का 21.7 प्रतिशत था, जिसमें महागनी लिमिटेड, डीवीआई फंड मॉरीशस और रिमको मॉरीशस की प्रमुख हिस्सेदारी थी।

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एनएसई के सीईओ ने क्या कहा?

एनएसई के एमडी और सीईओ आशीष कुमार चौहान ने 7 मई की अर्निंग कॉल के दौरान आईपीओ को संबोधित किया। उन्होंने पुष्टि की कि एनएसई ने सेबी के 28 फरवरी, 2025 के पत्र का जवाब दिया और आईपीओ प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी NOC का अनुरोध किया।

एनएसई आईपीओ लिस्टिंग डिटेल

जब मंजूरी मिल जाएगी, तो एनएसई के शेयर बीएसई पर लिस्ट होंगे, क्योंकि सेबी के नियम के मुताबिक कोई भी स्टॉक एक्सचेंज खुद के प्लेटफॉर्म पर लिस्ट नहीं हो सकता। 

हितों के टकराव से बचने के लिए बीएसई का शेयर 2017 में एनएसई पर लिस्ट हुआ था। सूत्रों ने बिजनेस टुडे को बताया कि सेबी की मंजूरी के बाद एनएसई को आईपीओ पेपर्स लाने में कम से कम छह महीने लगेंगे।

Disclaimer: ये आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है और इसे किसी भी तरह से इंवेस्टमेंट सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। BT Bazaar अपने पाठकों और दर्शकों को पैसों से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह लेने का सुझाव देता है।