ITR Filling 2025: रिटर्न भरने से पहले हो जाएं सावधान, ये गलतियां करने पर हाथ में होगा नोटिस
Income Tax Return: अगर आप रिटर्न फाइल करने वाले हैं तो हम आपको वो गलतियों के बारे में बताएंगे जिससे इनकम टैक्स का नोटिस आ सकता है या फिर रिटर्न रिजेक्ट हो सकता है। कई बार टैक्सपेयर्स अनजान में यह गलतियां कर बैठते हैं।

ITR Filling 2025: टैक्स फाइलिंग का समय आ गया है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस बार बड़ी राहत दी है। दरअसल, आईटीआर फाइल करने की समयसीमा में 45 दिन का एक्सटेंशन मिल गया है।
जी हां, पहले टैक्सपेयर को 31 जुलाई तक रिटर्न फाइल करना था। लेकिन, अब रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 15 सितंबर 2025 है।
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय कई टैक्सपेयर्स से रिटर्न में कुछ गलतियां कर देते हैं। यह गलतियां बाद में बहुत महंगी पड़ती है। हम आपको नीचे उन गलतियों के बारे में बताएंगे जो अक्सर टैक्सपेयर कर देते हैं।
फॉर्म में गलत जानकारी देना
फॉर्म 16, 26AS, AIS/TIS जैसे फॉर्म में दी गई जानकारी को कई बार टैक्सपेयर क्रॉस चेक नहीं करते हैं। ऐसे में टैक्सपेयर की तरफ से दिए गए डेटा गलत हो जाते हैं। डेटा गलत होने पर रिटर्न रिजेक्ट हो सकता है।
एक्सपर्ट भी करदाता को सलाह देते हैं कि किसी भी फॉर्म को एक्सेप्ट या सबमिट करने से पहले दो बार क्रॉस चेक जरूर करें।
गलत आईटीआर फॉर्म
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सभी टैक्सपेयर्स के लिए उनके इनकम के आधार पर आईटीआर फॉर्म जारी किया है। ऐसे में टैक्सपेयर्स को हमेशा अपने इनकम के आधार पर आईटीआर फॉर्म सेलेक्ट करना चाहिए। अगर टैक्सपेयर को सही आईटीआर फॉर्म की जानकारी नहीं है तो वह CA की मदद ले सकते हैं।
डेडलाइन से पहले भरें रिटर्न
टैक्सपेयर कई बार डेडलाइन के नजदीक आने के बाद रिटर्न फाइल करते हैं। उन्हें ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। करदाता को समयसीमा से पहले रिटर्न फाइल करना चाहिए ताकि अगर कोई गलती हो तो उसे ठीक करने का समय होना चाहिए।
AIS और Form 26AS को करें चेक
टैक्सपेयर को हमेशा AIS और Form 26AS को चेक करना चाहिए। इन फॉर्म में टैक्स और ट्रांजैक्शन की जानकारी होती है। अगर टैक्सपेयर इस फॉर्म में सही जानकारी नहीं देते हैं तो उन्हें विभाग की तरफ से नोटिस भी आ सकता है।
इनकम सोर्स की जानकारी दें
की बार टैक्सपेयर अपने सभी इनकम सोर्स की जानकारी नहीं देते हैं। यह कानूनी तौर पर जुर्म है। रिटर्न फाइल करते समय करदाता को सभी जानकारी देनी चाहिए। अगर वह किसी इनकम सोर्स को छुपाते हैं तो पकड़े जाने पर सख्त कार्रवाई हो सकती है।
रिटर्न वेरिफाई न करना
टैक्सपेयर को हमेशा रिटर्न को फाइल करने के बाद उसे वेरिफाई करना चाहिए। आईटीआर वेरिफाई होने के बाद ही एक्सेप्ट होता है। रिटर्न फाइल करने के 30 दिन के भीतर आईटीआर वेरिफाई करना चाहिए। अगर करदाता रिटर्न को वेरिफाई नहीं करते हैं तो उनका रिटर्न रिजेक्ट हो जाता है। करदाता आधार ओटीपी या फिर नेट बैंकिंग के जरिये रिटर्न को वेरिफाई कर सकते हैं।