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अंजान कॉल, सस्पेंड नंबर की धमकी और साइबर ठगी का जाल: 'डिजिटल अरेस्ट' के खतरनाक तरीके

डिजिटल अरेस्ट घोटाला: साइबर अपराध अब बेकाबू होता जा रहा है। साधारण ऑनलाइन ठगी से शुरू हुआ यह अपराध अब एक जटिल और संगठित नेटवर्क में बदल चुका है, जिसे रोक पाना बेहद मुश्किल हो गया है। यह एक ऐसा खतरनाक घोटाला है, जिसने देशभर में न जाने कितने लोगों को कंगाल कर दिया है। इसे 'डिजिटल अरेस्ट' कहा जाता है। आइए जानते हैं कि इस घोटाले से कैसे बचा जा सकता है और इसके पीछे का खतरनाक खेल क्या है।

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सब कुछ एक अंजान फोन कॉल से शुरू होता है

सब कुछ एक अंजान फोन कॉल से शुरू होता है। कॉल पर एक रिकॉर्डेड मैसेज सुनाई देता है और यहीं से एक जानलेवा खेल का आगाज होता है। यह घोटाला इतना खतरनाक है कि अंत में पीड़ित का पूरा बैंक खाता खाली हो जाता है। ठग इस खेल को इतने चालाकी से अंजाम देते हैं कि पीड़ित खुद ही धोखेबाजों को अपना पैसा सौंप देता है, बिना यह जाने कि वह एक साइबर अपराध का शिकार हो रहा है।

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डार्क वेब पर फैले इस 'डिजिटल अरेस्ट' घोटाले में पीड़ित को इस कदर भयभीत कर दिया जाता है कि वह ठगों की बातों पर भरोसा कर लेता है। पीड़ित फोन काटने या खुद को शांत करने की स्थिति में नहीं होता और उसे ऐसा लगता है कि उसके पास अपनी सारी जमा-पूंजी सौंपने के अलावा कोई चारा नहीं है। ठग, डर और लालच का फायदा उठाते हुए लोगों को अपने जाल में फंसा लेते हैं।

साधारण मैसेज से शुरू

यह सब एक साधारण मैसेज से शुरू होता है, जिसमें दावा किया जाता है कि आपका मोबाइल नंबर जल्द ही सस्पेंड कर दिया जाएगा। मैसेज में एक नंबर दिया जाता है जिस पर कॉल करने को कहा जाता है। कॉल करने पर सामने से कोई व्यक्ति खुद को सरकारी अधिकारी या पुलिसकर्मी बताता है और यहीं से ठगी का असली खेल शुरू होता है।

जैसे ही आप उस नंबर पर कॉल करते हैं, दूसरी ओर से धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलने वाला एक व्यक्ति खुद को पुलिस इंस्पेक्टर बताता है। वह आपको बताता है कि आपके आधार नंबर का गलत इस्तेमाल हुआ है और इसके लिए आपको फटकार लगाई जाती है। इसके बाद आपको Skype डाउनलोड करने का निर्देश दिया जाता है ताकि और 'गंभीर चर्चा' की जा सके।

वीडियो कॉल पर पुलिस स्टेशन जैसा दृश्य दिखता है

वीडियो कॉल पर आपको एक पुलिस स्टेशन जैसा दृश्य दिखता है, जिसमें पुलिस अधिकारी और पृष्ठभूमि में भारत का झंडा दिखाई देता है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह कोई आधिकारिक प्रक्रिया है। फिर आप पर मनी लॉन्ड्रिंग या आतंकवाद जैसे गंभीर आरोप लगाए जाते हैं, जिससे आप और भी ज्यादा डर जाते हैं।

इसके बाद इंस्पेक्टर आपको सलाह देता है कि आपको अपनी सारी रकम सरकारी खाते में ट्रांसफर कर देनी चाहिए, ताकि आपकी जांच पूरी होने तक पैसा सुरक्षित रहे। यह आश्वासन दिया जाता है कि पैसा 48 घंटों में वापस मिल जाएगा। गिरफ्तारी के डर से आप ठगों की बात मानकर अपनी पूरी जमा पूंजी ट्रांसफर कर देते हैं। जब तक आपको सच का एहसास होता है, तब तक आपका बैंक खाता पूरी तरह खाली हो चुका होता है।

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पीड़ित इस घोटाले में अपनी सारी संपत्ति गंवा चुके हैं

कृष्ण दासगुप्ता और अपर्णा जैसे पीड़ित इस घोटाले में अपनी सारी संपत्ति गंवा चुके हैं। हालांकि, दिव्या डोगरा ने समय रहते चेतावनी लेकर खुद को बचा लिया। परंतु अधिकांश पीड़ितों के लिए, एक बार पैसा ट्रांसफर हो जाने के बाद इसे वापस पाना लगभग असंभव हो जाता है। ठग बिना कोई सुराग छोड़े गायब हो जाते हैं, और पीड़ितों को थाने और बैंक के चक्कर लगाने के लिए छोड़ देते हैं।