
Business Idea: भारत में किवी की खेती से हर महीने कमाएं लाखों रूपये
किवी फल, जिसे पहले विदेशी फल माना जाता था, अब भारत में एक तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। अपने पोषण गुणों और स्वास्थ्य लाभों के कारण किवी की मांग बढ़ रही है, और इसी के साथ इसकी खेती भी उभरते हुए व्यवसाय के रूप में सामने आई है। भारत के कुछ क्षेत्रों में किवी की सफल खेती हो रही है, और यह किसानों के लिए एक लाभदायक फसल के रूप में उभर रही है।

किवी की खेती की शुरुआत
भारत में किवी की खेती की शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी। किवी की खेती सबसे पहले हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में की गई। यहां की जलवायु और मिट्टी किवी के विकास के लिए उपयुक्त पाई गई, और धीरे-धीरे इन क्षेत्रों में किवी की खेती का विस्तार हुआ।
उपयुक्त जलवायु और मिट्टी
किवी की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है। इसे मध्यम ठंडे मौसम की जरूरत होती है, और इसे 800 से 1500 मीटर की ऊंचाई पर अच्छी तरह से उगाया जा सकता है। भारत के उत्तरी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों की जलवायु इसके लिए उपयुक्त है।
मिट्टी के मामले में, किवी की खेती के लिए जलनिकासी वाली दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है। मिट्टी का pH स्तर 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। भारी मिट्टी या ज्यादा जलभराव वाली जमीन में किवी के पौधे अच्छे से नहीं बढ़ते।
किवी की किस्में
भारत में किवी की कुछ लोकप्रिय किस्में उगाई जा रही हैं, जैसे:
हायवर्ड: यह सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली किस्म है, जिसका स्वाद मीठा और हल्का खट्टा होता है।
एलिसन: यह किस्म भी भारत में उगाई जाती है और इसकी पकने की अवधि थोड़ी कम होती है।
मोंटी: यह किवी की किस्म छोटे आकार की होती है, लेकिन इसका उत्पादन अधिक होता है।
किवी की खेती की प्रक्रिया
रोपण का समय: किवी के पौधे आमतौर पर फरवरी और मार्च के महीने में लगाए जाते हैं।
सिंचाई: किवी के पौधों को नियमित रूप से पानी की जरूरत होती है, खासकर गर्मियों में। शुरुआती वर्षों में अच्छे विकास के लिए सिंचाई आवश्यक होती है।
कटाई: किवी के पौधे को फलों के उत्पादन में 4-5 साल लगते हैं। फल आमतौर पर अक्टूबर से नवंबर के बीच पकते हैं, जिन्हें सावधानी से हाथ से तोड़ा जाता है।

किवी की खेती के लाभ
आर्थिक लाभ: किवी की बाजार में कीमत अच्छी होती है और इसकी मांग साल-दर-साल बढ़ रही है। फलों की गुणवत्ता और उत्पादन के अनुसार, किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है।
स्वास्थ्य लाभ: किवी एक सुपरफूड के रूप में जाना जाता है, जिसमें विटामिन C, विटामिन K, पोटैशियम, और फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इससे इसकी मांग लगातार बढ़ रही है।
उपज और निर्यात क्षमता: अच्छी देखभाल और उचित तकनीकों का इस्तेमाल कर किसान प्रति एकड़ अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं, और भारतीय बाजार के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी इसका निर्यात किया जा सकता है।
चुनौतियां और संभावनाएं
किवी की खेती के लिए उचित जलवायु और देखभाल जरूरी है, जिसके कारण इसे एक चुनौतीपूर्ण फसल भी माना जाता है। कई क्षेत्रों में सही तकनीकी जानकारी की कमी और बाजार में प्रतिस्पर्धा के कारण किसानों को मुश्किलें आती हैं। हालांकि, सरकार और कृषि वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन से इन चुनौतियों का समाधान संभव है।