CPI Inflation: जुलाई सीपीआई मुद्रास्फीति लगभग 5 वर्षों में सबसे कम 3.54% तक गिरी
पिछले वर्ष की उच्च महंगाई दर ने इस वर्ष की तुलना में CPI को कम करने में मदद की है। विशेष रूप से, टमाटर की कीमतों में कमी ने भी इस गिरावट में योगदान दिया है, क्योंकि पिछले वर्ष टमाटर की कीमतों में तेजी देखी गई थी।

जुलाई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) महंगाई दर 3.54% पर पहुंच गई, जो अगस्त 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है। पिछले वर्ष जुलाई 2023 में यह 7.4% थी। इस गिरावट का मुख्य कारण पिछले वर्ष के मुकाबले आधार प्रभाव (base effect) है, जो महंगाई दर को कम करने में सहायक रहा है।
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महंगाई दर में गिरावट के कारण
आधार प्रभाव: पिछले वर्ष की उच्च महंगाई दर ने इस वर्ष की तुलना में CPI को कम करने में मदद की है। विशेष रूप से, टमाटर की कीमतों में कमी ने भी इस गिरावट में योगदान दिया है, क्योंकि पिछले वर्ष टमाटर की कीमतों में तेजी देखी गई थी।
खाद्य वस्तुओं की कीमतें: हालांकि कुछ खाद्य वस्तुओं जैसे प्याज और आलू की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन टमाटर की कीमतों में 40% की गिरावट ने समग्र महंगाई को प्रभावित किया है। प्याज की कीमत में 65% और आलू की कीमत में 55% की बढ़ोतरी हुई है।
औद्योगिक उत्पादन (IIP) की बढ़ोतरी
जुलाई में CPI महंगाई दर में गिरावट के साथ-साथ, जून में औद्योगिक उत्पादन (IIP) में 4.2% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह बढ़ोतरी विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन में सुधार को दर्शाती है, जो अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है। औद्योगिक उत्पादन में यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र में सुधार के कारण हुई है, जो आर्थिक गतिविधियों के बढ़ने का संकेत देती है।
CPI महंगाई दर में यह कमी और औद्योगिक उत्पादन की बढ़ोतरी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। यह दर्शाता है कि महंगाई पर नियंत्रण पाने में सरकार और रिजर्व बैंक की नीतियों का प्रभावी परिणाम मिल रहा है। हालांकि, खाद्य महंगाई की स्थिरता पर नजर रखना आवश्यक है, क्योंकि यह भविष्य में महंगाई दर को प्रभावित कर सकती है।