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Net Zero हासिल करने के लिए प्रीफैब्रिकेटेड कंस्ट्रक्शन क्यों है जरूरी?

इन निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने की कोशिश में कन्स्ट्रक्शन सेक्टर में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करना बहुत जरूरी है क्योंकि ये सेक्टर कार्बन एमिशन का मुख्य ज़रिया है।

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भारत अपने हरित लक्ष्यों (green goals) को पूरा करने की ओर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है जैसे कि कार्बन एमिशन (carbon emission) को 2030 तक 45% तक कम करना और 2070 तक अपने नेट जीरो टारगेट को पूरा करना। इन निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने की कोशिश में कन्स्ट्रक्शन सेक्टर में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करना बहुत जरूरी है क्योंकि ये सेक्टर कार्बन एमिशन का मुख्य ज़रिया है। इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (IGBC) के अनुसार यह सेक्टर देश के कुल एमिशन में लगभग 22% योगदान देता है। इसके अलावा यह देश की कुल ऊर्जा खपत में लगभग 40% हिस्सेदार है। यदि यह सेक्टर पारंपरिक कन्स्ट्रक्शन तकनीक का उपयोग जारी रखता है तो यह देश के बढ़ते कार्बन एमिशन का कारण बन सकता है।

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कमर्शियल और आवासीय स्थानों की मांग बढ़ रही है। इस सेक्टर को कन्स्ट्रक्शन प्रोसेस में तेजी लानी होगी ताकि भारत को आर्थिक रूप से बढ़ावा मिल सके। इस प्रक्रिया में मॉडर्न कन्स्ट्रक्शन प्रैक्टिस को अपनाना बहुत जरूरी है जिससे कार्बन फुटप्रिंट के साथ - साथ सस्टेनेबिलिटी (sustainability) को भी पूरा किया जा सके। स्थिति की गंभीरता को मद्देनज़र रखते हुए डेवलपर्स को प्रीफैब्रिकेटेड कन्स्ट्रक्शन (Prefabricated construction) या प्री-इंजीनियर्ड बिल्डिंग (PEB) को अपनाना चाहिए जिससे पर्यावरण को नुकसान ना हो और सस्टेनेबिलिटी गोल्स को भी बढ़ावा मिल सके।
 
EPACK Prefab के डायरे्क्टर Nikhel Bothra का कहना है कि पिछले कुछ सालों में तेजी से और sustainable development की जरूरत को पूरा करने के लिए प्री-इंजीनियर्ड बिल्डिंग को अपनाने पर जोर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप PEB का उपयोग एयरपोर्ट्स, सीमेंट और वेयरहाउसिंग जैसे क्षेत्रों में बढ़ गया है। आंकड़े भी हैरान करने वाले हैं। PEB मार्केट 2022 में 20.99 बिलियन USD था और अब 2030 तक इसके 50.72 बिलियन USD तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि इस वृद्धि को बनाए रखने के लिए कोशिशों को बढ़ाना होगा।

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क्या है प्रीफैब्रिकेटेड कन्स्ट्रक्शन? (Prefabricated construction)?
 
प्रीफैब्रिकेटेड कन्स्ट्रक्शन (Prefabricated construction) का मतलब है कि किसी भी बिल्डिंग के हिस्से पहले फैक्ट्री में बनाए जाते हैं और फिर इन्हें निर्माण स्थल पर लाकर जोड़ा या असेंबल किया जाता है। इस तरीके से कन्स्ट्रक्शन टाइम काफी कम हो जाता है और डिज़ाइन में लचीलापन मिलता है। हिस्से एक नियंत्रित वातावरण में बनाए जाते हैं, इसलिए उनकी गुणवत्ता बनी रहती है और मौसम की परवाह किए बिना निर्माण जारी रह सकता है। यह तरीका पारंपरिक साइट पर निर्माण की तुलना में अधिक कुशल और सुरक्षित है। यह विशेष रूप से भारत जैसे देशों के लिए उपयोगी है, जहां बढ़ती हुई जगह की मांग को पूरा करने के लिए तेजी से निर्माण की आवश्यकता होती है।
 
प्रीफैब्रिकेटेड कन्स्ट्रक्शन सस्टेनेबिलिटी गोल्स काफी महत्वपूर्ण

कम कार्बन एमिशन: ट्रेडिशनल कन्स्ट्रक्शन टेकनीक कार्बन एमिशन का सबसे बड़ा स्रोत हैं, जो चिंता का विषय है। प्रीफैब्रिकेटेड कन्स्ट्रक्शन एक बेहतर विकल्प है क्योंकि यह एमिशन को काफी हद तक कम करता है। Prefabricated construction पारंपरिक निर्माण विधियों की तुलना में कार्बन एमिशन को 60% तक कम कर सकती हैं। यह कमी जलवायु परिवर्तन का सामना करने और अधिक पर्यावरण-अनुकूल निर्माण प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है।
 
पानी की बचत: ट्रेडिशनल कन्स्ट्रक्शन टेकनीक में बहुत अधिक पानी का उपयोग होता है जो पानी की कमी और प्रदूषण में योगदान करता है। प्रीफैब्रिकेटेड निर्माण (Prefabricated construction) में बहुत कम पानी का उपयोग होता है। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है जहां पानी की कमी है। यदि एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी (EPA) की मानें तो  ट्रेडिशनल तकनीक पानी को प्रदूषित करने के लिए 40% जिम्मेदार हैं। इसके विपरीत, PEBs  निर्माण प्रक्रिया पानी को बचाकर इन समस्याओं को कम करने में मदद करती हैं।
 
बिजली की बचत: सरकार एनर्जी सेविंग प्रैक्टिस पर जोर दे रही हैं। प्रीफैब्रिकेटेड बिल्डिंग्स इस प्रवृत्ति के साथ मेल खाती हैं क्योंकि ये बिजली भी बचाती हैं। PEBs बिजली की खपत को 67% तक कम कर सकती हैं बेहतर इंसुलेशन के कारण। यह भारत जैसे देश के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, जहां विभिन्न राज्यों में मौसम की स्थिति अलग-अलग होती है।
 
तेज निर्माण: प्रीफैब्रिकेटेड निर्माण (Prefabricated construction) का सबसे आकर्षक लाभ परियोजनाओं को पूरा करने की गति है। पारंपरिक निर्माण में कभी-कभी सालों लग जाते हैं जबकि पीईबी कन्स्ट्रक्शन (Prefabricated construction) टाइम को 50% तक कम कर सकती हैं। इसका कारण यह है कि बिल्डिंग कॉमपोनेन्टस साइट की तैयारी के दौरान निर्मित किए जा सकते हैं। एक बार साइट तैयार हो जाने के बाद इन पूर्व-निर्मित घटकों को तेजी से असेंबल किया जा सकता है, जिससे पूरे प्रोजेक्ट की समय-सीमा में कमी आती है।
 
कम वेस्ट: वेस्ट और रिसोर्स एक्शन प्रोग्राम (WRAP) के अनुसार, पीईबी (Prefabricated construction), ट्रेडिशनल कन्स्ट्रक्शन तकनीक के 30% की तुलना में 1.8% तक वेस्ट को कम कर सकती हैं। PEB की कुशल निर्माण प्रक्रिया रिपेर और रिप्लेसमेंट की आवश्यकता को कम करती है, जिसके परिणामस्वरूप ट्रेडिशनल कन्स्ट्रक्शन तकनीक की तुलना में कम वेस्ट प्रडूस होता है।

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रीसायकल:  सस्टेनेबिलिटी (Sustainability) और एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन (Environment Protection) के लिए कन्स्ट्रक्शन में ऐसी सामग्री का उपयोग किया जाना चाहिए जिसे रीसायकल (Recycle) किया जा सके। भारत में, कन्स्ट्रक्शन वेस्ट में से केवल 1% रीसायकल होता है, जो सस्टेनेबिलिटी गोल्स को भी प्रभावित करता है। प्रीफैब्रिकेटेड कन्स्ट्रक्शन सामग्री को रीसायकल किया जा सकता है साथ ही इसका दोबारा उपयोग भी किया जा सकता है जो सर्कुलर इकोनॉमी (circular economy) को बढ़ावा देता है।
 
भारत में बढ़ती मांगों को पूरा करने और सस्टेनेबिलिटी बनाए रखने के लिए PEB-आधारित निर्माण करना बहुत जरूरी है। कमर्शियल और आवासीय क्षेत्रों की बढ़ती मांग को पूरा करते हुए सस्टेनेबिलिटी लक्ष्यों को बनाए रखना आवश्यक है। इस स्थिति में PEB (Prefabricated construction) सबसे विश्वसनीय समाधान है। कन्स्ट्रक्शन सेक्टर को पर्यावरण के अनुकूल निर्माण की ओर बढ़ाना चाहिए और प्रीफैब्रिकेटेड कन्स्ट्रक्शन (Prefabricated construction) को अपनाकर सस्टेनेबिलिटी में भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करना चाहिए।

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