
China का इकोनॉमिक मॉडल चरमरा गया-Wall Street Journal
चीन की इस हालत के लिए बहुत हद तक खुद चीन की सरकार जिम्मेदार है। कोविड के दौरान जीरो कोविड पॉलिसी ने वहां की फैक्ट्रियों को लंबे वक्त तक के लिए बंद कर दिया। प्रोडक्शन का काम थम गया। कंपनियों को भारी नुकसान होने लगा। जीरो कोविड पॉलिसी से परेशान होकर कई विदेशी कंपनियों ने खुद को चीन से बाहर कर लिया। चीन की वन चाइल्ड पॉलिसी, हालांकि उसे बीते पांच सालों में खत्म कर दिया गया है, लेकिन इस पॉलिसी ने चीन को बूढ़ा बना दिया। चीन में वर्किंग फोर्स लगातार कम हो रहे हैं। चीन की वन चाइल्ड पॉलिसी अब उसी की इकॉनमी के लिए घातक साबित हो रही है।

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अब गहरे संकट में है। China का 40 साल का ग्रोथ मॉडल चरमरा गया है। दुनिया में चीन की बिगड़ी हालात पर अब खुलकर खबरें बननी लगी है। America प्रमुख समाचार पत्र ने भी चीन की स्थिति पर बड़ा लेख छापा है। Wall Street Journal ने चीन की अर्थव्यवस्था की पोल खोल दी है। Wall Street Journal ने कहा है कि चीन को अपनी अर्थव्यवस्था पर बहुत ज्यादा घमंड़ था अब वो धीमी हो गई है। चीन के अमेरिका के साथ खराब रिश्तों कि वजह से चीन की ऐसी हालत हुई है। इससे चीन को ही नुकसान नहीं हुआ है बल्कि विदेशी निवेश और व्यापार भी खतरे में आ गया है। ये सिर्फ आर्थिक कमजोरी का दौर नहीं है बल्कि इसका असर लंबे समय तक दिख सकता है।WSL ने कहा की अब चीन का 40 साल आर्थिक मॉडल चरमरा गया है।
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वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के आंकड़ों के हवाले से कहा चीन का कुल कर्ज 2022 तक चीन की GDP का करीब 300% हो गया था, जो कि अमेरिकी स्तर को भी पार कर गया है। पहली छमाही में चीन की GDP 59,300 अरब युआन रही है। पिछले दिनों चीनी मुद्रा युआन में बड़ी गिरावट हुई। चीन में तरक्की रुकी हुई है और उपभोक्ता दरों में गिरावट हो रही है, रीयल एस्टेट भी गहरे संकट में है और एक्सपोर्ट भी गिर गया है। यह संकट बढ़ रहा था कि अचानक युवाओं में बेरोजगारी में इजाफा हो गया। बेरोजगारी संकट इस कदर गहरा गया है कि चीन की सरकार ने आंकड़ें जारी करना भी बंद कर दिया है। इस साल अप्रैल से ही चीन की अर्थव्यवस्था मुश्किल में है। देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट फर्म कंट्री गार्डन और झोंग्रोंग ट्रस्ट जो टॉप ट्रस्ट था, पूरी तरह से डिफॉल्ट हो गया। एक रिपोर्ट में कहा गया कि कंट्री गार्डन ने दो अमेरिकी डॉलर बांड पर ब्याज अदा नहीं किया। इससे निवेशकों में डर पैदा हो गया। इस फर्म ने भी साल 2021 में कर्ज नहीं चुकाया था और तब से रियल एस्टेट संकट में आ गया था।

चीन भारी डिफ्लेशन का शिकार है। Covid के बाद से जहां दुनियाभर के देशों में महंगाई चरम पर है तो वहीं चीन में स्थिति विपरीत है। चीन में चीजों की कीमतें बढ़ने की बजाय सस्ती हो रही है। चीनी अर्थव्यवस्था डिफ्लेशन मोड में है। चीन की इस हालत के लिए बहुत हद तक खुद चीन की सरकार जिम्मेदार है। कोविड के दौरान जीरो कोविड पॉलिसी ने वहां की फैक्ट्रियों को लंबे वक्त तक के लिए बंद कर दिया। प्रोडक्शन का काम थम गया। कंपनियों को भारी नुकसान होने लगा। जीरो कोविड पॉलिसी से परेशान होकर कई विदेशी कंपनियों ने खुद को चीन से बाहर कर लिया। चीन की वन चाइल्ड पॉलिसी, हालांकि उसे बीते पांच सालों में खत्म कर दिया गया है, लेकिन इस पॉलिसी ने चीन को बूढ़ा बना दिया। चीन में वर्किंग फोर्स लगातार कम हो रहे हैं। चीन की वन चाइल्ड पॉलिसी अब उसी की इकॉनमी के लिए घातक साबित हो रही है।
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