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Venezuela Crude: भारत को मिला सस्ते कच्चे तेल का विकल्प?

रूस और यूक्रेन की जंग के बाद से ही रूस पर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए गए। ऐसे में रूस सस्ते दामों पर तेल बेचने के लिए तैयार हो गया। ऐसे में भारत, चीन जैसे दोस्त देशों ने धड़ल्ले से रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीदा है।

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तेल के खेल में भारत को क्या अब नया साथी मिलने वाला है?
तेल के खेल में भारत को क्या अब नया साथी मिलने वाला है?

तेल के खेल में भारत को क्या अब नया साथी मिलने वाला है? क्या भारत ने रूस का तोड़ निकाल लिया है? रूस से तेल खरीदने को लेकर पिछले कुछ समय में भारत की मुश्किलें बढ़ी हैं, जिसमें रुपए या युआन में पेमेंट के झंझट से लेकर महंगा क्रूड भी शामिल है। तो चलिए समझते हैं क्या है पूरा मामला? रूस और यूक्रेन की जंग के बाद जब से रूस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध के बीच रूस भारत को सस्ते में तेल बेचता रहा है। लेकिन अब भारत, रूस के अलावा  वेनेजुएला से भी सस्ता तेल खरीदने पर मंथन कर रहा है। भारत के तेल और पेट्रोलियम मंत्री का एक बयान सामने आया है। बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में अमेरिका ने वेनेजुएला पर लगाए गए तेल प्रतिबंधों में छूट दी है।

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पिछले महीने इजराइल और हमास की जंग छिड़ने के बाद से पश्चिमी एशिया में तनाव का माहौल है। पश्चिम एशिया के देशों की बात की जाए तो इसमें संयुक्त अरब अमीरात जैसे तमाम देश हैं जिसने बाद तेल का भंडार है। लेकिन लगातार बढ़ती टेंशन में क्रूड के मोर्चे पर स्थिति और खराब हो सकती है। इस वजह से अमेरिका ने वेनेजुएला को तेल प्रतिबंधों में छूट देने का एलान किया है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल इंपोर्टर देश है और वेनेजुएला उन सबसे अव्वल देशों में शुमार है, जिसके पास तेल का भंडार है। भारत कुल जरूरत का 80 फीसदी से भी ज्यादा कच्चा तेल का इंपोर्ट से पूरा करता है। इराक, अरब और रूस के अलावा वेनेजुएला से तेल इंपोर्ट कर भारत कच्चे तेल के आयात बिल में कटौती करना चाहता है।वेनेजुएला की बात की जाए तो दक्षिणी अमेरिकी देश वेनेजुएला पर 2019 से ही प्रतिबंध लगा हुआ था। 2024 में होने वाले चुनाव और मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव को देखते हुए वेनेजुएला सरकार और विपक्षी दलों के बीच समझौते के बाद अमेरिका ने दो हफ्ते पहले इन प्रतिबंधों को मोटे तौर पर खत्म कर दिया है।वहीं दूसरे मोर्चे पर देखें तो रूस और भारत के बीच करोड़ों बैरल का कच्चा तेल का बिजनेस हो रहा है। लेकिन पिछले कुछ महीनों से व्यापार में भुगतान को लेकर समस्याएं आ रहीं थीं, क्योंकि रूस के पास भारतीय रुपया का पहाड़ जमा हो रहा था और रूस उस रुपये को कहीं खर्च नहीं कर पा रहा था। रूस बार बार भारत पर प्रेशर बना रहा था, यहां तक की चीनी करेंसी में कच्चे तेल के लिए भुगतान करने पर जोर डाल रहा था, लेकिन भारत ने चीनी करेंसी में भुगतान से इनकार कर दिया था। अगर भारत वेनेजुएला से तेल खरीदता है तो रुपये रूबल की समस्या का हल हो जाएगा।

अगर भारत वेनेजुएला से तेल खरीदता है तो रुपये रूबल की समस्या का हल हो जाएगा
अगर भारत वेनेजुएला से तेल खरीदता है तो रुपये रूबल की समस्या का हल हो जाएगा

रूस और यूक्रेन की जंग के बाद से ही रूस पर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए गए। ऐसे में रूस सस्ते दामों पर तेल बेचने के लिए तैयार हो गया। ऐसे में भारत, चीन जैसे दोस्त देशों ने धड़ल्ले से रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीदा है। रूस अपनी इकोनॉमी को संतुलित करने के लिए तेल बेचने पर रियायत दे रहा है। कुछ महीने तो भारतीय मुद्रा में ही भारत ने रूस से तेल खरीदा। फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने से पहले भारत के इंपोर्ट बास्केट में रूस के तेल की हिस्सेदारी एक फीसदी से भी कम थी, लेकिन यूक्रेन से जंग के बाद में भारतीय तेल बाजार में रूस की हिस्सेदारी बढ़कर 35 फीसदी से ज्यादा हो गई।

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