
अब दवाई का पूरा पत्ता नहीं खरीदना होगा
ऐसा आपके साथ कई बार हुआ होगा कि, जब भी आप केमिस्ट के पास गए होंगे और उससे बोला होगा कि भइया पूरा दवाई का पत्ता नहीं चाहिए बल्कि सिर्फ एक टैबलेट या कैप्सूल ही दे दीजिए, तो केमिस्ट की ओर से आपको जरूर जवाब मिला होगा कि सिर्फ एक टैबलेट या कैप्सूल तो नहीं मिलेगी, लेना है तो पूरा पत्ता ही खरीदना होगा। लेकिन अब इस तरह की मनमानी पर रोक लग सकती है। अब ऐसे में इस प्रॉब्लम का रास्ता क्या है? तो सरकार जिस प्रस्ताव पर सरकार काम कर रही है।

ऐसा आपके साथ कई बार हुआ होगा कि, जब भी आप केमिस्ट के पास गए होंगे और उससे बोला होगा कि भइया पूरा दवाई का पत्ता नहीं चाहिए बल्कि सिर्फ एक टैबलेट या कैप्सूल ही दे दीजिए। तो केमिस्ट की ओर से आपको जरूर जवाब मिला होगा कि सिर्फ एक टैबलेट या कैप्सूल तो नहीं मिलेगी, लेना है तो पूरा पत्ता ही खरीदना होगा। लेकिन अब इस तरह की मनमानी पर रोक लग सकती है यानि कि आप केमिस्ट से एक या दो टैबलेट या कैप्सूल भी खरीद पाएंगे। खुद ही सोचिए ना अगर आपको एक या दो गोली चाहिए और आपको पूरा पत्ता खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा हो तो एक तो ये दवाई की बर्बादी होगी और ऊपर से पैसे की भी।
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लेकिन क्या इस फैसले को लागू करना आसान है, मौजूदा वक्त में किस तरह की चुनौतियां हैं? दरअसल दवाई के पत्ते पर बैच नंबर होता है जिसमें कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग डिटेल होती है और साथ ही दूसरी चीज होती है एक्पायरी डेट यानि कि दवाई को कबतक इस्तेमाल किया जा सकता है। ये दोनों जानकारियां बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। सोचिए दवा पर मैन्युफैक्चरिंग, एक्सपायरी वाला हिस्सा ही कट गया तो फिर ग्राहक क्या करेगा और केमिस्टों का भी यही पक्ष है। केमिस्टों के मुताबिक, कटी हुई दवा पर मैन्युफैक्चरिंग, एक्सपायरी की जानकारी स्पष्ट नहीं होने के चलते कोई उन्हें लेना नहीं चाहता। लगातार बिकने वाली दवाओं से उन्हें स्ट्रिप काटने और ग्राहकों को जरूरत के हिसाब से दवा बेचने में कोई दिक्कत नहीं है।

अब ऐसे में इस प्रॉब्लम का रास्ता क्या है? तो सरकार जिस प्रस्ताव पर काम कर रही है। उसके मुताबिक दवा के पत्ते के हर हिस्से में अब मैन्यूफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट दिखेगी। इस तरह अगर आप स्ट्रिप से एक या दो टैबलेट भी लेते हैं तो उसमें हर तरह की डिटेल होगी। इसके साथ ही कंज्यूमर की सहूलियत के लिए दवा के पत्ते के दोनों तरफ या हर टैबलेट पर QR Code छापने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है।
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अब ऐसे में सवाल उठता है कि ये फैसले क्यों किया जा रहा है? तो उसके लिए आपको जानना होगा कि नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन है क्या? दरअसल नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन के जरिए ग्राहक किसी भी कंपनी, कारोबारी या दुकानदार की धोखाधड़ी या नियमों का गलत इस्तेमाल करने पर शिकायत कर सकता है और इसी विभाग को लगातार इसी तरह की शिकायतें मिल रही थीं कि केमिस्ट की ओर से सिर्फ एक टैबलेट या कैप्सूल नहीं मिल रहा है। इससे मिले आंकड़ों के आधार पर ही मिनिस्ट्री कई तरह के विकल्पों पर विचार कर रही है। मंत्रालय ने हाल में फार्मा और मेडिकल डिवाइसेज इंडस्ट्री के लोगों के साथ सलाह-मशविरा किया था। अब ऐसे में देखना होगा कि आने वाले दिनों में सरकार कितने जल्दी इस प्रस्ताव को अमल में लाती है।
