
Indian Railways: आखिर भारतीय रेल को क्यों चाहिए भारतीय पहियें
बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, RINL ने उत्तर प्रदेश के रायबरेली में एक पहिए बनाने का प्लांट लगाया गया था। जो अभी तक उस हिसाब से सप्लाई नहीं कर पा रहा है। उनसे उत्पादन में सुधार करने को कहा गया है, ऐसे में रायबरेली के प्लांट से 9,000 पहिए आने की उम्मीद है।

देश की लाइफ लाइन कही जाने वाली Indian Railway एक बार फिर से चर्चा में है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय रेलवे सप्लाई और डिमांड के खेल में फस गई है। इस चक्कर में भारतीय रेलवे को दौड़ने के लिए पहियों की कमी से जूझ रही है। जिसके बाद भारत की रेलवे को पड़ोसी देश China का सहारा लेना पड़ेगा। जो देश दुनिया के हर मंच पर भारत की छवि खराब करने की कोशिश करता रहता है क्या भारतीय रेलवे को चीन के भरोसे पर रहना पड़ेगा? आइये जानते हैं
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भारतीय रेलवे के सामने एक बड़ी समस्या ने दस्तक दी है। रेलवे को उस हिसाब से पहियों की सप्लाई नहीं हो पा रही है, जिस तेजी के साथ होनी चाहिए। इसका सबसे बड़ा कारण देश की वो दो सरकारी कंपनियां है, जिनसे सप्लाई कम हो गई है। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड है और दूसरी राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड की ओर से सप्लाई नहीं हो पा रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस समय घरेलू कंपनियों की ओर से पहियों की सप्लाई तेज रफ्तार से नहीं कर पा रही हैं। जिसकी वजह से रेलवे को चीन से पहियों को इंपोर्ट करना पड़ सकता है। जानकारों के अनुसार SAIL और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड को पहियों की सप्लाई में तेजी लाने को कहा गया है। पहिये की सप्लाई से जुड़ी समस्याएं भारतीय रेलवे की प्रोडक्शन यूनिट्स पर भी काफी गहरा असर डालती है। देश में पटरियों पर दौड़ रहीं ट्रेनों में ज्यादातर पहिए चीनी कंपनियों के लगे हुए हैं। भारतीय रेल चीनी कंपनियों के पहियों पर निर्भर है। वहीं आने वाले समय में भी इसे चीनी कंपनियों से इंपोर्ट वाले पहियों पर ही निर्भर रहना पड़ सकता है। दरअसल भारतीय रेलवे को आने वाले समय में ज्यादा पहियों की जरूरत है। क्योंकि भारत रेलवे दिन ब दिन अपने साइज को बड़ा करने में लगी है और भारत में जल्द बुलेट ट्रेन भी आने वाली है।

सेल को वित्त वर्ष 24 की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारतीय रेलवे को 14,934 पहियों की सप्लाई करने का टारगेट दिया गया था, जो वित्त वर्ष 23 के समान महीनों में 15,049 से कम है। अनुमान है कि सेल ने FY24 की दूसरी तिमाही के लिए भारतीय रेलवे को 8,888 पहियों की सप्लाई की है। सेल ने वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 13,035 की मांग के मुकाबले 9,597 पहियों की सप्लाई अपनी 70 फीसदी से ज्यादा सप्लाई कमिटमेंट को पूरा किया था। इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, RINL ने उत्तर प्रदेश के रायबरेली में एक पहिए बनाने का प्लांट लगाया गया था। जो अभी तक उस हिसाब से सप्लाई नहीं कर पा रहा है। उनसे उत्पादन में सुधार करने को कहा गया है, ऐसे में रायबरेली के प्लांट से 9,000 पहिए आने की उम्मीद है।लेकिन देखना होगा कि भारत इस मामले में चीन की मदद लेता है या आत्मनिर्भर होता है।
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