
FOMC पर टिकी निगाहें, दायरे में रहा बाज़ार
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में लगातार 10 बढ़ोत्तरी के बाद इस बार इसका पॉज का बटन दब सकता है। अमेरिका में महंगाई से काफी राहत मिलने के बाद अब इस बात की उम्मीद जगी है कि फेड की बैठक में शायद इस बार ब्याज दरें ना बढ़ें। मई में अमेरिका में रिटेल महंगाई दर 4% रही है, जो कि मार्च 2021 के बाद से सबसे कम है, ब्लूमबर्ग में छपी रिपोर्ट के मुताबिक फेड की आज आने वाली पॉलिसी से पहले महंगाई के मोर्चे पर मिली इस राहत का फायदा ब्याज दरों पर रोक के रूप में दिख सकता है।

US Federal Reserve ब्याज दरों में लगातार 10 बढ़ोत्तरी के बाद इस बार इसका पॉज का बटन दब सकता है। अमेरिका में महंगाई से काफी राहत मिलने के बाद अब इस बात की उम्मीद जगी है कि फेड की बैठक में शायद इस बार ब्याज दरें ना बढ़ें।
मई में अमेरिका में रिटेल महंगाई दर 4% रही है, जो कि मार्च 2021 के बाद से सबसे कम है, Bloomberg में छपी रिपोर्ट के मुताबिक फेड की आज आने वाली पॉलिसी से पहले महंगाई के मोर्चे पर मिली इस राहत का फायदा ब्याज दरों पर रोक के रूप में दिख सकता है।
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दो दिन की बैठक के बाद अब फेड के अधिकारी इस बात पर राहत की सांस ले सकते हैं कि महंगाई के आंकड़े उनके अनुमानों के मुताबिक आए हैं, हालांकि वो तब यही कहेंगे कि महंगाई अब भी उनके 2% के लक्ष्य से ज्यादा है, फिर अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में लगातार 10 बढ़ोतरियों के बाद इस बार इसका पॉज बटन तो दबा ही सकता है, क्योंकि उसकी कोशिशें बिल्कुल सही दिशा में हैं।

हैरिस फाइनेंशियल के जैमी कॉक्स का कहना है कि दरों पर रोक लगाने के लिए CPI के आंकड़े फेड के लिए सबकुछ हैं, सभी कैटेगरी में डेफ्लेशन या/डिसइंफ्लेशन है, अगर जून में ये ट्रैजेक्टरी रहती है तो आगे और सख्ती की जरूरत नहीं होगी। अमेरिकी फेड की वजह से आज भारतीय शेयर बाजार में भी दायरे में कारोबार रहा। भारतीय बाजार भी शायद अमेरिकी फेड के फैसले का इंतजार कर रहे हैं।
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