
Adani Port News: Adani Group ने बनाया सिंगापुर जैसा देश का पहला 'ट्रांजिट पोर्ट'
विझिंजम पोर्ट के शुरू होने से देश में कार्गो के लिए लॉजिस्टिक की लागत कम होगी। साथ ही भारत को चीन के प्रभुत्व वाले अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार का एक हिस्सा भी मिल पाएगा। इस पोर्ट के पूरी तरह से तैयार होने से श्रीलंका के कोलंबो पोर्ट जैसे विदेशी ट्रांसशिपमेंट हब पर भारत की निर्भरता कम होगी।

भारत के दूसरे सबसे अमीर उद्योगपति Gautam Adani ने देश के Port Infrastructure में नई इबारत लिख दी है। गौतम अडानी ने वो कर दिखाया, जिसका इंतजार भारत लंबे अरसे से कर रहा था। अडानी के इस कदम ने पहले से ही परेशान China की टेंशन और बढ़ा दी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Ministry of Ports, Shipping and Waterways के मुताबिक देश में करीब 13 मेजर पोर्ट्स हैं। लेकिन इन किसी भी पोर्ट्स में वो क्षमता नहीं है कि जहां दुनिया के बड़े-बड़े जहाज रुक कर आराम कर सकें। मरम्मत और मेंटिनेंस का काम करवा सकें और री-फ्यूलिंग करवा सकें। ऐसे जहाजों को संभालने के लिए देश के बंदरगाह पर्याप्त गहरे नहीं थे। ये जहाज भारत के बजाय कोलंबो, दुबई या सिंगापुर जैसे बंदरगाहों पर पहुंचते थे। भारत की लंबे समय से ऐसी कोशिश कर रहा था कि वो दुनिया के ट्रेड ट्रांजिट हब के तौर पर खुद को डेवलप कर सके। लेकिन ये करिश्मा गौतम अडानी ने कर दिखाया है, इस कदम साथ ही भारत दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाजों के नक्शे पर आ जाएगा। अब जानते हैं ये कमाल गौतम अडानी ने कैसे किया और इससे चीन को कैसे झटका लगेगा?
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Kerala के VizhinjamTransshipmentContainerPort, जहां हेवी कार्गो कैरियर 'जेन हुआ 15' पहुंचा। ये जहाज पूर्वी चीन सागर से भारत आया। यह दुनिया के सबसे बड़े जहाजों में से एक है। साथ ही यह विझिंजम पोर्ट पर पहुंचने वाला पहला कार्गो कैरियर बन गया। देश के दक्षिणी छोर से कुछ ही दूरी पर Adani Ports ने ये पोर्ट डेवलप किया है। ये देश में अपने तरह का पहला ऐसा बंदरगाह है। इस पोर्ट के जरिए Adani Group का टार्गेट सालाना 10 लाख कंटेनरों को संभालना है। यहां 24 मीटर गहरी प्राकृतिक धारा है, जिसकी वजह से दुनिया के सबसे बड़े जहाज को आराम से इस बंदरगाह पर पार्क कराया जा सकता है। अडानी men 2030 lk इस बंदरगाह पर 20 हजार करोड़ रुपये निवेश करेंगे। रिपोर्ट में अडानी विझिंजम पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के मुताबिक इस परियोजना को पहले चरण में 7,700 करोड़ रुपये का निवेश मिल चुका है। इतना ही नहीं इससे रोजगार के मौके तो बढ़ेंगे ही, साथ में निवेश भी आकर्षित होगा। आपको बता दें कि जेन हुआ 15 अगस्त के आखिर में चीन से रवाना हुआ था। इसे 4 अक्टूबर को भारत पहुंचना था। खराब मौसम के कारण इसके पहुंचने में देरी हुई है।

विझिंजम पोर्ट के शुरू होने से देश में कार्गो के लिए लॉजिस्टिक की लागत कम होगी। साथ ही भारत को चीन के प्रभुत्व वाले अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार का एक हिस्सा भी मिल पाएगा। इस पोर्ट के पूरी तरह से तैयार होने से श्रीलंका के कोलंबो पोर्ट जैसे विदेशी ट्रांसशिपमेंट हब पर भारत की निर्भरता कम होगी। श्रीलंका के कोलंबो पोर्ट में चीन की कंपनियों की अहम भूमिका है। इस तरह चीन पर निर्भरता कम होगी। यह इंटरनेशनल शिपिंग रूट से सिर्फ 10 नॉटिकल माइल दूर है। यानि की ये भारत के विकास में इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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