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मंदी की चपेट में जर्मनी अर्थव्यवस्था, सहम चुके हैं बाजार

दुनिया के कई अच्छी अर्थव्यवस्था वाले देश भी अब मंदी की चपेट में आ रही है, मंदी के कारण इस वक्त दुनिया के कई देश परेशान हैं, अमेरिका जैसे बड़े देश मंदी के कारण डिफॉल्ट के कगार पर पहुंच चुकी है। कई देशों के बाद अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश पर ग्रहण लग गया है। यूरोप के कई देश पहले ही मंदी की मार झेल रहे हैं हो और अब जर्मनी पर मंदी का साया गहराने लगा है।

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Germany पर मंदी का साया गहराने लगा है
Germany पर मंदी का साया गहराने लगा है

दुनिया के कई अच्छी अर्थव्यवस्था वाले देश भी अब मंदी की चपेट में आ रही है, मंदी के कारण इस वक्त दुनिया के कई देश परेशान हैं, 
America जैसे बड़े देश मंदी के कारण Default के कगार पर पहुंच चुकी है। कई देशों के बाद अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश पर ग्रहण लग गया है। Europe के कई देश पहले ही मंदी की मार झेल रहे हैं हो और अब Germany पर मंदी का साया गहराने लगा है। दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में मंदी की शुरुआत हो गई है। यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी के मंदी में होने की पुष्टि हो गई है। जिसके बाद दुनिया के बाजारों पर इसका असर देखने को मिला है। गुरुवार को Euro तेजी से गिर गया था। वहीं Dollar दो महीने के मुकाबले तेजी के साथ बढ़ रहा है। इसी वजह से दुनिया में बाकी Currency की तुलना में डॉलर मजबूत है। इसको लेकर रेटिंग एजेंसी फिच ने सवाल उठाया है।

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इस एजेंसी ने संयुक्त राज्य अमेरिका को "AAA" डेट रेटिंग के नकारात्मक श्रेणी पर रखा है। यह एक संभावित डाउनग्रेड के पहले की स्थिति है, जो अमेरिका में लोन की सीमा बढ़ाने के लिए सरकार और विपक्ष में असहमत होने की वजह से हुआ है। अमेरिकी डॉलर  को सेफ हेवन की मांग की वजह से फायदा मिला है। अमेरिका में डेडलाइन से पहले सरकार और विपक्ष में डेट सीलिंग को लेकर सहमति होना जरूरी है। इसको लेकर अमेरिका के ट्रेजरी सचिव ने सरकार से कहा है कि उसके पास बिलों के भुगतान के लिए अभी पर्याप्त पैसा नहीं है। वहीं यूरोप के आर्थिक हालात के कारण यूरो कई महीनों से निचले स्तर पर जा रहा है। जितनी यूरो में गिरावट आ रही है, उतना ही डॉलर मजबूत हो रहा है।

दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में मंदी की शुरुआत हो गई है
दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में मंदी की शुरुआत हो गई है

यूरोपीय देशों में हो रही कमजोरी का ताजा संकेत Germany से आया है। यूरोप की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में गिरावट हुई है। यूरोप में 2022 की चौथी तिमाही में नेगेटिव ग्रोथ के बाद से मंदी की स्थिति आ गई है। अमेरिकी डॉलर सूचकांक धीरे-धीरे यूरो के मुकाबले मजबूत हो रहा है। यह अब 0.3 फीसदी बढ़कर 104.16 पर पहुंच गया है। ये 17 मार्च के बाद सबसे ज्यादा है। यूरो करेंसी में लगभग 0.2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। ये दो महीने के निचले स्तर के बाद 1.0715 डॉलर पर आ गई है। 3 अप्रैल के बाद से 1.2332 डॉलर पर अपने सबसे कमजोर स्तर पर पहुंचने के बाद स्टर्लिंग भी 0.1 फीसदी कम हो गया है। येन के मुकाबले डॉलर 30 नवंबर से 139.705 पर अपने सबसे मजबूत स्तर पर पहुंच गया है। पिछली बार 0.1 फीसदी से नीचे डॉलर 139.345 पर था। अमेरिकी मुद्रा को इस साल फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) की दर में कटौती के लिए समर्थन मिला है। अमेरिकी मुद्रा बाजार के ट्रेडर्स ने इस साल फेड रेट में कटौती की है। दुनिया के कई करेंसी में गिरावट देखने को मिली है। चीनी युआन भी पिछले छह महीने से निचले स्तर पर है। अब युआन की कीमत 7.0903 प्रति डॉलर पर आ गई। ऑस्ट्रेलिया के डॉलर में भी गिरावट देखने को मिली है। अब यह3 $0.652 पर फिसल गया है। न्यूजीलैंड डॉलर बुधवार को केंद्रीय बैंक के शॉक डोविश झुकाव से जूझ रहा था। इसमें 2.2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। नवंबर के बाद से यह 0.4 फीसदी फिसल कर 0.6077 डॉलर आ गया है।

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Germany अर्थव्यवस्था
Germany अर्थव्यवस्था