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वीडियो वायरल, फॉलोअर्स लाखों... लेकिन जेब है खाली! भारत के करोड़ों क्रिएटर्स की सच्चाई जान हैरान होंगे आप

सोशल मीडिया के इंफ्लुएंसर्स के लेकर लोगों की मानसिकता है कि ये लाखों रुपये कमाते हैं, जबकि Kalaari Capital की रिपोर्ट के हिसाब से कुछ इंफ्लुएंसर की ही अच्छी कमाई होती है।

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आजकल सोशल मीडिया पर फेमस होना कोई बड़ी बात नहीं रह गई है। इंस्टाग्राम रील्स हों या यूट्यूब शॉर्ट्स, हर शहर, कस्बे और गांव से युवा अपनी पहचान बना रहे हैं। वायरल वीडियो, ब्लू टिक और लाखों फॉलोअर्स देखकर लगता है कि ये लोग लाखों कमा रहे होंगे, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है।

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कितने कमा रहे हैं क्रिएटर?

Kalaari Capital की एक ताजा रिपोर्ट बताती है कि भारत में करीब 80 मिलियन लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कंटेंट बनाकर कमाई करना चाहते हैं। लेकिन इनमें से केवल 0.2% क्रिएटर ही ऐसा कमा पा रहे हैं जिससे उनकी जिंदगी चल सके। बाकी लोग आज भी संघर्ष कर रहे हैं।

Preksha और Tapas नाम के भाई-बहन Arogyaroots नाम की इंस्टाग्राम प्रोफाइल चलाते हैं। उनके पेज पर 3.7 लाख फॉलोअर्स हैं और कई रील्स पर 1 करोड़ से ज्यादा व्यूज आ चुके हैं। लेकिन उनकी कमाई इंस्टाग्राम से नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक कंसल्टेशन और ऑनलाइन योगा क्लासेस से होती है। उन्होंने कहा कि हमारी कमाई भरोसे से आती है, लाइक्स से नहीं।

Ravi नाम के यूट्यूबर ने लॉकडाउन के दौरान गार्डनिंग पर वीडियो बनाना शुरू किया। आज उनके यूट्यूब चैनल पर 7.5 लाख सब्सक्राइबर हैं। वो अब पौधे और फर्टिलाइजर ऑनलाइन बेचते हैं। उन्होंने बताया कि चैनल कभी हैक भी हो गया था, लेकिन गूगल की मदद से वापसी कर पाई। उनकी इनकम वीडियो व्यूज और प्रोडक्ट सेल से होती है।

इंग्लिश एजुकेटर Samayra ने बताया कि उनकी कमाई ब्रांड डील्स और ऑनलाइन कोर्स से आती है। लेकिन वो भी मानती हैं कि ये कमाई कभी स्थिर नहीं रहती। हर दिन एक जैसा नहीं होता, ट्रोलिंग भी होती है, लेकिन कंटेंट बनाना नहीं छोड़ सकते हैं।

टॉप इंफ्लुएंसर्स के पास आता है ज्यादा पैसा

रिपोर्ट कहती है कि कुछ ही बड़े इंफ्लुएंसर्स सारे ब्रांड डील और प्लेटफॉर्म कमाई अपने पास ले जाते हैं। बाकी ज्यादातर क्रिएटर्स मेहनत के बावजूद कुछ खास नहीं कमा पाते। ये सिस्टम बदलने की जरूरत है ताकि मिड और नैनो क्रिएटर्स को भी बराबरी का मौका मिले।

Kalaari ने सुझाव दिया है कि क्रिएटर इकोनॉमी को टिकाऊ और न्यायपूर्ण बनाने की जरूरत है। प्लेटफॉर्म्स को ऐसे टूल्स लाने चाहिए जो छोटे क्रिएटर्स को भी कमाई का सही हिस्सा दें। फॉलोअर्स गिनना आसान है, लेकिन उस गिनती से पेट नहीं भरता है।