UK डील से घटेगी स्कॉच और व्हिस्की की कीमत, लेकिन राहत में लगेगा वक्त
India UK Trade Deal: भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (India UK Trade Deal) के बाद स्कॉच और व्हिस्की की कीमत कम हो सकती है। हालांकि, इसमें अभी वक्त लगेगा। आइए, जानते हैं कि स्कॉच और व्हिस्की कितनी सस्ती हो सकती है।

भारत और ब्रिटेन के बीच एक अहम समझौता हुआ है, जिसे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (India UK Trade Deal) कहा जा रहा है। इस समझौते के तहत अब ब्रिटेन से आने वाली चीजों पर लगने वाला भारी भरकम टैक्स कम किया जाएगा। इसमें सबसे ज्यादा चर्चा स्कॉच की हो रही है, जो भारत में यूके से आयात की जाती है। अभी तक इस पर 150% का आयात शुल्क लगता था, लेकिन अब यह आधा कर दिया गया है।
अभी नहीं सस्ती होगी स्कॉच
अब सवाल ये उठता है कि क्या ब्लैक लेबल, ग्लेनलिवेट, ग्लेनमोरंगी और चिवास रीगल जैसी महंगी स्कॉच अब तुरंत सस्ती मिलेंगी? इसका जवाब नहीं है। अभी तक यह बदलाव लागू नहीं हुआ है। भारत और ब्रिटेन ने समझौता तो कर लिया है, लेकिन इसे ब्रिटेन की संसद की मंजूरी मिलनी बाकी है। जब तक वहां से हरी झंडी नहीं मिलती, तब तक कीमतों में कोई बदलाव नहीं होगा।
कितनी सस्ती होगी स्कॉच?
इस ट्रेड डील के लागू होने के बाद स्कॉच की कीमतें कुछ हद तक घट सकती हैं। लेकिन यह गिरावट बहुत ज्यादा नहीं होगी। जानकारों के मुताबिक, एक बोतल स्कॉच की कीमत में जो टैक्स शामिल होता है, उसमें सीमा शुल्क यानी इंपोर्ट ड्यूटी का हिस्सा सिर्फ 15-20% होता है। बाकी के पैसे तो राज्य सरकार के टैक्स, डिस्ट्रीब्यूटर का मार्जिन और बाकी खर्चों में चले जाते हैं। इसलिए अगर टैक्स घट भी गया, तो स्कॉच की कीमत में सिर्फ 8-10% की कमी देखने को मिलेगी।
कितने समय में मिलेगा सस्ता स्कॉच का फायदा?
रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन की संसद 2026 के बीच तक इस डील को मंजूरी दे सकती है। यानी अभी करीब एक साल का इंतजार करना होगा। जब तक यह प्रोसेस पूरा नहीं होता है तब तक स्कॉच की कीमतें पहले जैसी ही रहेंगी।
डियाजियो इंडिया, जो दुनिया की सबसे बड़ी शराब कंपनियों में से एक है उसने इस डील का खुले दिल से स्वागत किया है। कंपनी के CEO प्रवीण सोमेश्वर ने कहा कि यह समझौता न सिर्फ भारत में प्रीमियम स्कॉच की पहुंच को बढ़ाएगा, बल्कि इससे कारोबार भी तेज होगा और ग्राहकों को ज़्यादा विकल्प मिलेंगे।
भारत की कई ऐसी कंपनियां हैं जो स्कॉटलैंड से स्पिरिट मंगवाकर अपने देशी ब्रांड बनाती हैं। इन कंपनियों को भी अब माल सस्ता मिलेगा। इससे उनकी लागत कम होगी और शायद बाजार में उनके प्रोडक्ट्स की कीमतें भी घटेंगी।