EMI का जाल, हर महीने कमाई के बाद भी फिसल रहा मिडिल क्लास का बजट
आज के समय में भारत में मिडिल क्लास EMI के जाल में फंस गए हैं। इसको लेकर फाइनेंशियल एक्सपर्ट तपस चक्रवर्ती ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है।

आज भारत का मिडिल क्लास सबसे ज्यादा जिस चीज से परेशान है वो न तो सिर्फ महंगाई है और न ही टैक्स। असली मुश्किल है हर महीने कटने वाली किस्तें यानी EMI। फाइनेंशियल एक्सपर्ट तपस चक्रवर्ती ने बताया कि आज आम लोग "कमाओ, उधार लो, चुकाओ और फिर से दोहराओ" के चक्र में फंसे हुए हैं। नतीजा ये है कि सेविंग नहीं हो पाती और एक छोटी सी परेशानी में भी हालात बिगड़ जाते हैं।
EMI अब आदत बन गई
आजकल मोबाइल, फ्रिज, बाइक, लैपटॉप से लेकर टिकट और राशन तक EMI पर मिल जाता है। पहले जो चीज मदद के लिए थी, वो अब रोजमर्रा की आदत बन गई है। बस कार्ड स्वाइप करो, सामान घर लाओ और बाद में धीरे-धीरे पैसा चुकाओ। पर हर महीने ऐसी कई छोटी-छोटी किस्तें मिलकर बड़ा बोझ बन जाती हैं।
भारत में घरों का कुल कर्ज देश की GDP का 42% हो गया है। इसमें सबसे ज्यादा हिस्सा क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन और “Buy Now, Pay Later” स्कीम्स का है। भारत में बिकने वाले 70% iPhone EMI पर खरीदे जाते हैं। छोटे-छोटे लोन लेने वाले करीब 11% लोग पहले ही पैसा चुकाने में चूक चुके हैं।
फोन की EMI ₹2,400, लैपटॉप की ₹3,000, बाइक की ₹4,000 और क्रेडिट कार्ड का बिल ₹6,500 इस तरह महीने में करीब ₹25,000 सिर्फ EMI में चला जाता है। ऊपर से अगर कोई मेडिकल इमरजेंसी या दूसरा खर्च आ जाए, तो हालात बेकाबू हो जाते हैं।
जब लोग सेविंग नहीं कर पाते तो देश में निवेश भी घटता है। जब हर कोई कर्ज में डूबा होगा तो बाजार में पैसा घूमेगा नहीं जिससे देश की ग्रोथ भी धीमी हो सकती है। इतना ही नहीं पैसे की टेंशन से लोग काम पर भी ध्यान नहीं दे पाते।
एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि आपकी कुल EMI आपकी सैलरी का 40% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। हर महीने थोड़ी-सी सेविंग से शुरुआत करें और SIP जैसी स्कीम में निवेश करें।