भारत NCAP के पहले क्रैश टेस्ट के सामने आये नतीजे , कौन सी कार को मिली कितनी स्टार रेटिंग, पढ़िए पूरी खबर
ग्राहकों को बेहतर सेफ्टी वाली कार चुनने का ऑप्शन मिलेगा। साथ ही देश में सुरक्षित कार बनाने के लिए कंपनियों में कॉम्पिटिशन बढ़ेगा। उन्हें टेस्टिंग के लिए अपनी कार विदेश भी नहीं भेजनी पड़ेगी। केंद्र ने एक मॉनिटरिंग कमेटी बनाई है। यह BNCAP की टेस्टिंग का एनालिसिस करेगी। मॉनिटरिंग कमेटी की मंजूरी मिलने पर ही BNCAP अपनी वेबसाइट पर स्टार रेटिंग और टेस्ट रिजल्ट्स शो करेगा।

भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (Bharat NCAP या BNCAP) ने 20 दिसंबर को पहले क्रैश टेस्ट के नतीजे घोषित कर दिए गए हैं। इसमें TATA Harrier और TATA Safari दोनों को 5-स्टार रेटिंग मिली है। भारतीय एजेंसी 15 दिसंबर से दोनों कारों का क्रैश टेस्ट कर रही थी। हैरियर और सफारी दोनों ने एडल्ट ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन (AOP) के लिए 32 में से 30.08 पॉइंट और चाइल्ड ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन (COP) के लिए 49 में से 44.54 पॉइंट हासिल किए। जबकि SUV ने साइड मूवेबल डिफॉर्मेबल बैरियर टेस्ट में 16 में से 16 स्कोर हासिल किए। वहीं, फ्रंट ऑफसेट डिफॉर्मेबल बैरियर टेस्ट में चेस्ट एरिया की सेफ्टी के लिए कम स्कोर किया और 16 में से 14.08 स्कोर मिले। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री Nitin Gadkari ने Tata Motors Passenger Vehicles Limited और Tata Passenger Electric Mobility Limited के एमडी शैलेश चंद्रा को BNCAP सर्टिफिकेट सौंपा। खास बात ये रही कि इन दोनों SUV को ग्लोबल NCAP के क्रैश टेस्ट में 5-स्टार रेटिंग मिली थी। पहले एक अक्टूबर से कारों का क्रैश टेस्ट शुरू होना था, लेकिन फेस्टिव सीजन के कारण अब तक इसकी शुरुआत नहीं हो पाई थी। केंद्रीय सड़क-परिवहन राज्यमंत्री नितिन गडकरी ने इसी साल 22 अगस्त को दिल्ली में हुए इवेंट में BNCAP को लॉन्च किया था। इसके बाद 18 सितंबर को पुणे के चाकन स्थित केंद्रीय सड़क परिवहन संस्थान (CIRT) में कमांड और कंट्रोल सेंटर की ओपनिंग की थी। एजेंसी को भारतीय परिस्थितियों के अनुसार तय नॉर्म्स पर कारों का क्रैश टेस्ट कर उन्हें सेफ्टी रेटिंग देने के लिए तैयार किया गया है। इस टेस्ट में कारों को 0 से 5 स्टार तक की रेटिंग दी जाती है। 0 स्टार का मतलब अनसेफ और 5 स्टार का मतलब पूरी तरफ सेफ माना जाता है। अब तक ऑटोमेकर कंपनियों ने कारों के करीब 3 दर्जन से ज्यादा मॉडलों को टेस्ट के लिए रजिस्टर करा लिया है। क्रैश टेस्ट के पहले बैच में टाटा मोटर्स, मारुति सुजुकी, हुंडई और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियां भाग लेंगी। इनमें टाटा मोटर्स अपने मॉडलों को रजिस्टर कराने वाली पहली कंपनी है। दूसरी ओर रेनो, स्कोडा और फॉक्सवैगन जैसी यूरोपीय कंपनियों ने अभी तक अपनी कारों का रजिस्ट्रेशन करने का निर्णय नहीं लिया है। टेस्ट के लिए इंसान जैसी 4 से 5 डमी को कार में बैठाया जाता है। बैक सीट पर बच्चे की डमी होती है, जो चाइल्ड ISOFIX एंकर सीट पर फिक्स की जाती है। गाड़ी को फिक्स्ड स्पीड पर ऑफसेट डिफॉर्मेबल बैरियर (हार्ड ऑब्जेक्ट) से टकराकर देखा जाता है कि गाड़ी और डमी को कितना नुकसान पहुंचा है। ये तीन तरीके से किया जाता है। फ्रंटल इम्पैक्ट टेस्ट में कार को 64 kmph की रफ्तार पर बैरियर से टकराया जाता है। साइड इम्पैक्ट टेस्ट में गाड़ी को 50 kmph की स्पीड पर बैरियर से टकराया जाता है। पोल साइड इम्पैक्ट टेस्ट में कार को फिक्स स्पीड पर पोल से टकराकर देखा जाएगा। पहले दो टेस्ट में कार के 3 स्टार रेटिंग हासिल करने पर तीसरा टेस्ट किया जाएगा।
Also Read: IPL के ऑक्शन में बिके सबसे महंगे खिलाड़ियों को एक गेंद के लिए मिलेंगे इतने पैसे !
टेस्ट में देखा जाता है कि इम्पैक्ट के बाद डमी कितनी डैमेज हुई, एयरबैग और सेफ्टी फीचर्स ने काम किया या नहीं। इन सभी के आधार पर रेटिंग दी जाती है। भारत एनकैप में उस व्हीकल का क्रैश टेस्ट किया जाएगा, जिसमें ड्राइवर के साथ 8 पैसेंजर की सीटिंग कैपेसिटी हो या M1 कैटेगरी का हो। इसके अलावा उस मॉडल का वेट 3.5 टन या 3500 किलो से कम होना चाहिए। क्रैश टेस्ट के लिए कोई भी कंपनी अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी मॉडल को टेस्ट कराने के लिए भेज सकती हैं, या फिर एजेंसी खुद भी किसी मॉडल को रेंडमली सिलेक्ट करके क्रैश टेस्ट कर सकती है। टेस्ट किए जाने से एक साल पहले तक जिस भी मॉडल की 30,000 से ज्यादा यूनिट्स बिकी हो उसके बेसिक सेफ्टी फीचर्स वाले बेस वैरिएंट का ही क्रैश टेस्ट किया जाएगा। कार मेकर्स चाहें तो भारत एनकैप से चुने गए मॉडल के अपकमिंग अपडेटेड मॉडल को टेस्ट में इस्तेमाल करने की परमिशन मांग सकते हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय कार के मार्केट फीडबैक और एनालिसिस के आधार पर भारत एनकैप के प्रोटोकॉल के तहत आने वाले किसी भी मॉडल को टेस्ट किए जाने की सिफारिश भी कर सकता है। इसके अलावा भारत सरकार चाहे तो भारत एनकैप से पब्लिक सेफ्टी के हित में किसी कार के किसी स्पेशल वैरिएंट का टेस्ट करने को भी कह सकती है। इससे पहले विदेशी एजेंसी ग्लोबल एनकैप (GNCAP), यूरो एनकैप (UNCAP), ऑस्ट्रेलियन एनकैप (ANCAP) और लैटिन एनकैप (LNCAP) अपने स्टैंडर्ड के अनुसार भारतीय कारों का टेस्ट कर उन्हें सेफ्टी रेटिंग देती थीं। यह रेटिंग कई मायनों में भारतीय परिस्थितियों के हिसाब से फिट नहीं होती, इसलिए केंद्र सरकार ने अपने रेटिंग सिस्टम BNCAP की शुरुआत की है। गडकरी ने कहा, 'भारत-NCAP के तहत देश में व्हीकल की टेस्टिंग कॉस्ट करीब 60 लाख रुपए होगी, जबकि ग्लोबल लेवल पर यह कॉस्ट 2.5 करोड़ रुपए है। यानी अब देशी एजेंसी से टेस्टिंग कराने पर कंपनियों का 75% कम खर्च होगा। इससे ग्राहकों को बेहतर सेफ्टी वाली कार चुनने का ऑप्शन मिलेगा। साथ ही देश में सुरक्षित कार बनाने के लिए कंपनियों में कॉम्पिटिशन बढ़ेगा। उन्हें टेस्टिंग के लिए अपनी कार विदेश भी नहीं भेजनी पड़ेगी। केंद्र ने एक मॉनिटरिंग कमेटी बनाई है। यह BNCAP की टेस्टिंग का एनालिसिस करेगी। मॉनिटरिंग कमेटी की मंजूरी मिलने पर ही BNCAP अपनी वेबसाइट पर स्टार रेटिंग और टेस्ट रिजल्ट्स शो करेगा।