आपके रिटर्न में डिविडेंड क्यों अहम है? जानिए
बीएनपी पारिबा म्यूचुअल फंड के सीनियर मैनेजर शिव चनानी के मुताबिक निफ्टी 500 इंडेक्स में जनवरी 2000 से जुलाई 2024 तक 12.5% कंपाउंडिंग ग्रोथ रही है, जबकि निफ्टी 500 टीआरआई इंडेक्स (कुल रिटर्न इंडेक्स जिसमें डिविडेंड पेमेंट शामिल है) इस दौरान 14.2% कंपाउंडिंग की दर से बढ़ा है।

अभी भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ स्टोरी अच्छी तरह से स्थापित हो चुकी है, तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इक्विटी में निवेश करने वाले अब मिड से लॉन्ग टर्म में रिटर्न के मजबूत कंपाउंडिंग की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि निकट भविष्य में निवेशकों की दौलत को बढ़ाने वेल्थ क्रिएशन के सोर्स के रूप में ग्रोथ मुख्य आधार बनने जा रहा है। लेकिन यहां एक और पहलू है,क्या डिविडेंड वाले स्टॉक्स या म्युचुअल फंड्स बेहतर होते हैं।
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बीएनपी पारिबा म्यूचुअल फंड के सीनियर मैनेजर शिव चनानी के मुताबिक निफ्टी 500 इंडेक्स में जनवरी 2000 से जुलाई 2024 तक 12.5% कंपाउंडिंग ग्रोथ रही है, जबकि निफ्टी 500 टीआरआई इंडेक्स (कुल रिटर्न इंडेक्स जिसमें डिविडेंड पेमेंट शामिल है) इस दौरान 14.2% कंपाउंडिंग की दर से बढ़ा है। यहां साफ है कि डिविडेंड ने रिटर्न के भी ऊपर 1.7% अतिरिक्त रिटर्न जोड़ा है। अब, यहां बहुत से निवेशकों को 1.7% अतिरिक्त रिटर्न बहुत महत्वपूर्ण नहीं लग सकता है, लेकिन देखते हैं कि पिछले 24 साल में क्या हुआ है। जनवरी 2000 में अगर निफ्टी 500 टीआरआई में किसी ने 1 लाख रुपये निवेश किया होगा तो उसकी वैल्यू अब 26 लाख रुपये हो गई है, जबकि निफ्टी 500 इंडेक्स में इस दौरान 1 लाख रुपये के निवेश की वैल्यू 18 लाख रुपये (यानी, डिविडेंड के बिना) हुई है। पिछले 24 साल में कुल रिटर्न में अकेले डिविडेंड का हिस्सा 30 फीसदी से अधिक रहा है। (सोर्स: डाटा 31 जुलाई, 2024 तक. सोर्स : एमएफआई और इंटरनल रिसर्च.) इसलिए, जबकि ग्रोथ भारत में इक्विटी निवेश के लिए आधारशिला है, कुल रिटर्न में डिविडेंड के योगदान को नजरअंदाज करना एक गंभीर भूल हो सकती है।
शिव चनानी कहते हैं कि जब भी बात स्टॉक के चयन की आती है तो, डिविडेंड उन कंपनियों के लिए एक संकेतक है, जो समय के साथ लगातार ग्रोथ कर सकती हैं। जैसा कि एक पुरानी कहावत है, "टर्नओवर व्यर्थ है, प्रॉफिट ही विवेक है और कैश वास्तविकता है" - डिविडेंड पेमेंट ही कंपनी की कैश रिच होने और लगातार मुनाफा हासिल करने की क्षमता का सबसे बड़ा संकेतक है। जैसा कि हम जानते हैं, अधिकांश कंपनियों को ग्रोथ और विस्तार के लिए पूंजी की आवश्यकता होती है और पूंजी के केवल तीन सोर्स उपलब्ध हैं - फ्रेश इक्विटी, डेट और आंतरिक संचय। बेशक, पहले दो की सीमाएं हैं और परिणामस्वरूप, अगर कंपनी को समय के साथ लगातार बढ़ना है तो उसे लगातार फ्री कैश फ्लो उत्पन्न करने की जरूरत होगी। लगातार डिविडेंड पेमेंट, पूर्व अनुमानित फ्री कैश फ्लो को निरंतर रूप से उत्पन्न करने की क्षमता हासिल करने में कंपनी की सफलता को सुनिश्चित करता है। वास्तव में, हमारा इंटरनल रिसर्च नियमित रूप से डिविडेंड देने और फ्री कैश फ्लो उत्पन्न करने वाली कंपनियों के बीच सीधे सीधे को-रिलेशन दिखाता है।
डिविडेंड पेमेंट करने वाली कंपनियों की एक अन्य प्रमुख विशेषता यह है कि जब शेयर के भाव में उतार-चढ़ाव की बात आती है तो इन कंपनियों के स्टॉक आम तौर पर ओवरआल बाजार की तुलना में कम अस्थिर होते हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इन कंपनियों के स्टॉक में तेज गिरावट की घटना कम ही देखने को मिलती है, क्योंकि डिविडेंड यील्ड आकर्षक होने लगती हैं और शेयर की कीमत के लिए एक नेचुरल बॉटम बनता है। वास्तव में, हमारे रिसर्च से पता चलता है कि निफ्टी डिविडेंड अपॉर्च्यूनिटी 50 टीआरआई का बीटा निफ्टी 50 इंडेक्स की तुलना में पिछले 5 साल में 0.82 है। (सोर्स : डाटा 31 जुलाई 2024 तक. सोर्स : एमएफआई और इंटरनल रिसर्च.)
एक गलत धारणा है कि कम अस्थिरता और बेहतर डिविडेंड यील्ड कम रिटर्न और कम ग्रोथ वाली कंपनियों से जुड़ी होगी। हालांकि, यह सच नहीं है। ग्रोथ और लगातार डिविडेंड पेमेंट के बीच कोई तालमेल बिठाने की जरूरत नहीं है। निवेशक डिविडेंड पेमेंट करने वाली कंपनियों को एक कुशल बल्लेबाज के समान क्वालिटी वाला मान सकते हैं। एक बेहतर बल्लेबाज में न सिर्फ गेंद को सीमा रेखा के बाहर मारने की क्षमता होती है, बल्कि पारी को मजबूत करने के लिए सिंगल लेने और रन जमा करने की भी क्षमता होती है। इसी तरह, डिविडेंड पेमेंट करने वाली कंपनियां न सिर्फ स्टॉक प्राइस में बढ़ोतरी के माध्यम से, बल्कि समय-समय पर लगातार डिविडेंड पेमेंट के माध्यम से रिटर्न बढ़ाने में भी मदद करती हैं।
गलतफहमियों की बात करें तो, कुछ निवेशक यह भी सोच सकते हैं कि डिविडेंड का पेमेंट केवल बड़ी कंपनियों द्वारा किया जाता है, या उनका पेमेंट केवल कम पूंजी तीव्रता वाली कंपनियों द्वारा किया जाता है। एक बार फिर, ये मिथक और गलत धारणाएं हैं। मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियों सहित अलग अलग मार्केट कैप वाली कंपनियों द्वारा डिविडेंड का पेमेंट किया जा रहा है। इसके अलावा, कैपिटल इंसेंटिव सेक्टर सहित अलग अलग सेक्टर की कंपनियां डिविडेंड देने के लिए जानी जाती हैं।
संक्षेप में, निवेशकों को यह समझना चाहिए कि डिविडेंड रिटर्न में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, खासकर जब वे लंबी अवधि में कंपाउंडेड होते हैं। डिविडेंड यह निर्धारित करने का सबसे अच्छा तरीका है कि कंपनी फ्री कैश फ्लो उत्पन्न कर रही है या नहीं। अंत में, ग्रोथ की कीमत पर डिविडेंड पेमेंट की आवश्यकता नहीं है। वास्तव में, अधिकांश समय वे एक ही साथ रहने के लिए जाने जाते हैं, यानी डिविडेंड देने वाली कंपनियों में अक्सर ग्रोथ देखने को मिलती है।
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