'हमने सोचा था कि टीसीएस एक सरकारी नौकरी की तरह है': वेल्थ एडवाइजर के मुताबिक 45 के बाद कोई भी सुरक्षित नहीं
भारतीय आईटी सेक्टर में लंबे समय से यह धारणा रही है कि टॉप कंपनियों में नौकरी का मतलब है स्टेबिलिटी और सिक्योरिटी। लेकिन टाटा ग्रुप की प्रमुख कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) द्वारा 12,200 कर्मचारियों की छंटनी के खबर के बाद यह भ्रम टूट गया है।

TCS Layoffs: भारतीय आईटी सेक्टर में लंबे समय से यह धारणा रही है कि टॉप कंपनियों में नौकरी का मतलब है स्टेबिलिटी और सिक्योरिटी। लेकिन टाटा ग्रुप की प्रमुख कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) द्वारा 12,200 कर्मचारियों की छंटनी के खबर के बाद यह भ्रम टूट गया है। कंपनी ने पुष्टि की है कि वह मार्च 2026 तक अपने ग्लोबल वर्कफोर्स के 2% को हटाएगी।
टीसीएस ने इसे “फ्यूचर-रेडी ऑर्गनाइजेशन” बनने की रणनीति बताया है, जहां बदली हुई टेक्नोलॉजी स्टैक्स और वर्कफोर्स रिस्ट्रक्चर को वजह बताया गया है। छंटनी मुख्यतः उन कर्मचारियों को निशाना बना रही है जो मिड और सीनियर स्तर पर हैं- खासतौर पर वे जो लेगेसी तकनीकों, नॉन-क्लाइंट भूमिकाओं और पारंपरिक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट से जुड़े हैं।
कोलकाता के टेक प्रोफेशनल अभिषेक सूर ने लिंक्डइन पर लिखा कि एक समय था जब TCS को सरकारी नौकरी की तरह स्थिर माना जाता था। लेकिन अब समय बदल गया है। AI इंडस्ट्री को फिर से परिभाषित कर रहा है, और अब कोई अछूता नहीं है- ना ही टीसीएस.
इस बदलाव की लहर आईटी क्षेत्र से आगे वित्तीय चिंताओं तक पहुंच गई है। वेल्थ एडवाइजर कनन बहल ने लिखा कि अगर टाटा समूह की कंपनी 12,000 लोगों को निकाल सकती है, तो आपको भी तैयार रहना चाहिए। अब 45 ही नया 60 है। उन्होंने पेशेवरों को 12 महीने की इमरजेंसी फंड रखने, निजी बीमा लेने और एआई में निरंतर अपस्किलिंग की सलाह दी है।
उनके अनुसार, लोग AI से नहीं, AI का उपयोग करने वालों से अपनी नौकरियां खो रहे हैं। बहल ने जल्दी नौकरी छोड़ने की संभावनाओं के लिए योजनाएं बनाने और रिटायरमेंट रणनीति को संशोधित करने की चेतावनी दी।
इस बीच, विप्रो ने वरिष्ठ कर्मचारियों के लिए प्रदर्शन-आधारित कम्युनिकेशन टेस्ट शुरू किया है और HCLTech ऑटोमेशन से प्रभावित एंट्री-लेवल कर्मचारियों को हटा रही है। इससे स्पष्ट होता है कि भारतीय आईटी उद्योग एक स्ट्रक्चर बदलाव के दौर में प्रवेश कर चुका है और TCS ने इसकी शुरुआत की है।