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यंग इंडिया का नया निवेश ट्रेंड, SIP- मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड्स में बढ़ रहा Gen Z का भरोसा

आज के समय में सभी लोग निवेश करना पसंद कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के हिसाब से Gen Z निवेशकों का रुख भी म्युचूअल फंड की तरफ बढ़ रहा है। यंग इन्वेस्टर सबसे ज्यादा मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड्स की SIP में इन्वेस्ट कर रहे हैं।

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Young investors are increasingly favouring equity mutual funds, with mid- and small-cap categories seeing strong inflows and rising participation from smaller cities. (Photo:AI/Ayushi Srivastava)

आज के जमाने में निवेश करना सिर्फ मम्मी-पापा की सलाह तक सीमित नहीं है, बल्कि ये Gen Z की रोजमर्रा की मनी रूटीन का हिस्सा बन चुका है। मोबाइल ऐप से पहला SIP सेट करना, सोशल मीडिया पर मार्केट ट्रैक करना – ये सब अब आम हो गया है। युवा निवेशक न सिर्फ भरोसे के साथ बल्कि जिज्ञासा और हाई रिस्क के साथ म्यूचुअल फंड्स में कदम रख रहे हैं।

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मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड्स में जबरदस्त इनफ्लो

AMFI के आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई 2025 में मिड-कैप फंड्स में ₹5,182 करोड़ का इनफ्लो आया, जो जून के ₹3,754 करोड़ से ज्यादा है। स्मॉल-कैप फंड्स में तो ₹6,484 करोड़ आए, जो पिछले महीने के ₹4,024 करोड़ से काफी अधिक हैं। FY26 की पहली तिमाही में मिड और स्मॉल-कैप फंड्स में ₹20,255 करोड़ का निवेश हुआ, जो कुल इक्विटी इनफ्लो का करीब 30% है।

इक्विटी और SIP बनी युवा निवेशकों की पहली पसंद

PhonePe के Share.Market प्लेटफॉर्म के डेटा के मुताबिक, अगस्त 2024 से जुलाई 2025 के बीच इसके 48% म्यूचुअल फंड निवेशक 18 से 30 साल के हैं। इनमें से करीब 95% ने इक्विटी फंड चुना है, खासकर वैल्यू/कॉन्ट्रा, फ्लेक्सीकैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप कैटेगरी में।

92% युवा SIP के जरिए निवेश करते हैं, जिनका औसत मासिक निवेश ₹1,000 है – जो 30+ उम्र वालों से 18% कम है। हालांकि, 21% ने लंप-सम इन्वेस्टमेंट भी किया है, औसतन ₹8,000 का।

छोटे शहरों से आ रहे नए निवेशक

युवा निवेशकों में महाराष्ट्र (16%), उत्तर प्रदेश (11%) और कर्नाटक (8%) सबसे आगे हैं। खास बात ये है कि 81% निवेशक टॉप-30 शहरों से बाहर के हैं, जैसे जोधपुर, रायपुर, विशाखापट्टनम, गोरखपुर, मैसूर, जमशेदपुर और कोल्हापुर।

Gen Z और हाई रिस्क की आदत

Gen Z औसतन 19 साल की उम्र में निवेश शुरू कर देता है और कई 10% से ज्यादा सैलरी निवेश में लगाते हैं। ये लोग शेयर, क्रिप्टोकरेंसी, ETFs और REITs जैसे कई एसेट्स में हाथ आजमाते हैं। हालांकि, कुछ बिना ज्यादा रिसर्च के सोशल मीडिया या दोस्तों की राय पर निवेश करते हैं, जिससे इमोशनल और इम्पल्सिव फैसले का खतरा बढ़ जाता है।

बढ़ते वैल्यूएशन में रिस्क भी बढ़ा

मिडकैप 150 और स्मॉलकैप 250 इंडेक्स का P/E रेश्यो अपने 5 साल के औसत से 21%–22% ज्यादा है, और P/B रेश्यो भी 38%–53% ऊपर है। ऐसे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस समय मिड और स्मॉल-कैप स्टॉक्स में तेज गिरावट का रिस्क भी है, क्योंकि इनकी वोलैटिलिटी ज्यादा और लिक्विडिटी कम होती है।