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मिडिल क्लास की कमर तोड़ रही है स्कूल फीस! बच्चों की पढ़ाई या कर्ज का जाल? CA ने आंकड़ों से खोली पोल

यह सवाल इसलिए क्योंकि हर साल प्राइवेट स्कूल मनमाने तरीके से स्कूल की फीस बढ़ा रहे हैं। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, गोयल ने बताया कि एक औसत निजी स्कूल में पढ़ाई का सालाना खर्च 2.5 से 3.5 लाख रुपये तक पहुंच जाता है।

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Education Spent
प्राइवेट स्कूलों पर कमाई का मोटा हिस्सा खर्च कर रहा मिडिल क्लास (Photo-ITGD)

दिल्ली की चार्टर्ड अकाउंटेंट मीनल गोयल ने भारत में प्राइवेट स्कूलों की फीस से जुड़े आंकड़े शेयर कर एक गंभीर सवाल उठाया है। सवाल ये कि क्या बच्चों की पढ़ाई पर खर्च होने वाला पैसा, जो एक तरह का निवेश है, बच्चों के भविष्य के लिए उचित है या यह मिडिल क्लास को एक आर्थिक जाल में धकेल रहा है? 

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यह सवाल इसलिए क्योंकि हर साल प्राइवेट स्कूल मनमाने तरीके से स्कूल की फीस बढ़ा रहे हैं। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, गोयल ने बताया कि एक औसत निजी स्कूल में पढ़ाई का सालाना खर्च 2.5 से 3.5 लाख रुपये तक पहुंच जाता है जिसमें एडमिशन फीस ₹35,000, ट्यूशन फीस ₹1.4 लाख, एनुअल चार्ज ₹38,000, ट्रांसपोर्टेशन ₹44,000 से ₹73,000, और किताबें-यूनिफॉर्म ₹20,000-₹30,000। शामिल है। यह आंकड़ा कई प्रतिष्ठित स्कूलों में ₹4 लाख रुपये से भी अधिक हो सकता है।

भारत में एक परिवार की औसत वार्षिक आय ₹4.4 लाख रुपये है। ऐसे में अगर किसी अभिभावक को अपने बच्चे की शिक्षा पर 40% से 80% आय खर्च करनी पड़े, तो यह एक बड़ी आर्थिक चुनौती बन जाती है। गोयल का कहना है कि शिक्षा अब केवल सीखने का साधन नहीं रही, बल्कि यह एक भारी खर्च में बदल चुकी है।

फीस भरने के लिए EMI का ऑफर

कई निजी स्कूल अब फिनटेक स्टार्टअप्स के साथ मिलकर फीस भरने के लिए EMI सुविधाएं दे रहे हैं। इससे मिडिल क्लास को शिक्षा के लिए कर्ज लेना आसान तो हो गया है, लेकिन इससे वह कर्ज के दायरे में भी आता जा रहा है।

सीए गोयल सवाल उठाती हैं कि क्या यह समय नहीं है कि हम निजी शिक्षा के विकल्पों पर पुनर्विचार करें? जैसे-जैसे फीस बढ़ती है, अभिभावकों का दबाव भी बढ़ता जाएगा। जरूरत है समझने की कि हम असल में किस चीज के लिए भुगतान कर रहे हैं। 

शिक्षा का यह खर्च अब इतना बड़ा हो गया है कि कई परिवार अन्य जरूरतों और सुख-सुविधाओं में कटौती कर रहे हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई पूरी हो सके। यह सवाल आज हर मिडिल क्लास परिवार के लिए जरूरी हो गया है कि क्या हम सही दिशा में निवेश कर रहे हैं?