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FD vs RD: बिना किसी रिस्क के गारंटी मिलता है ब्याज लेकिन आपके लिए कौन सा ऑप्शन बेस्ट? जानिए क्या है इनमें अंतर

एफडी और आरडी में बीच अंतर पता करने में काफी उलझन होती है क्योंकि दोनों में ही कुछ पैसा एक फिक्स्ड अवधि के लिए जमा होता है और दोनों में ही लगभग समान्य ब्याज दर मिलती है।

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FD vs RD: जब बात बिना जोखिम के निवेश की आती है तो भारतीय निवेशकों का ध्यान फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और रिकरिंग डिपॉजिट (RD) की ओर जाता है।

हालांकि अभी भी काफी लोगों को एफडी और आरडी में बीच अंतर पता करने में काफी उलझन होती है क्योंकि दोनों में ही कुछ पैसा एक फिक्स्ड अवधि के लिए जमा होता है और दोनों में ही लगभग समान्य ब्याज दर मिलती है। तो चलिए आज हम आपको इन दोनों के बीच का मतलब आसान भाषा में उदाहरण के साथ समझाते हैं। 

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क्या है FD (Fixed Deposit)?

फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी में आप एक साथ एक तय रकम बैंक या पोस्ट ऑफिस में एक निश्चित समय के लिए जमा करते हैं। इस पर बैंक आपको तय ब्याज दर से ब्याज देता है। जब आपकी जमा अवधि पूरी हो जाती है, तो आपको मूल राशि के साथ ब्याज भी वापस मिल जाता है।

उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए आपने ₹1 लाख की एफडी 7% एनुअल इंटरेस्ट रेट पर 3 साल के लिए कराई है। तीन साल बाद आपको ब्याज सहित लगभग ₹1,23,000 रुपये मिलेंगे।

एफडी में आपको पैसे एक बार में जमा करने होते हैं और मैच्योरिटी तक आपको उन पैसों को निकालना नहीं होता है। अगर आप समय से पहले पैसा निकालना चाहते हैं तो आपको पेनाल्टी देनी पड़ सकती है।

क्या है RD (Recurring Deposit)?

रिकरिंग डिपॉजिट यानी आरडी में आप हर महीने एक तय रकम बैंक में जमा करते हैं। यह उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प है जो एकमुश्त पैसा निवेश के लिए नहीं लगा सकते, लेकिन हर महीने थोड़ी बचत कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, अगर आप हर महीने ₹5,000 रुपये एक आरडी में 7% एनुअल इंटरेस्ट रेट पर 3 साल के लिए जमा करते हैं, तो अवधि पूरी होने पर आपको ब्याज सहित लगभग ₹1,96,000 रुपये मिलेंगे।

आरडी छोटे निवेशकों के लिए एक अनुशासित बचत का तरीका है, क्योंकि इसमें हर महीने थोड़ी राशि जमा करनी होती है।

FD और RD में अंतर

जमा करने का तरीका: एफडी में एक बार में बड़ी राशि जमा करनी होती है, जबकि आरडी में हर महीने छोटी राशि जमा की जाती है।

लचीलापन: एफडी में आप अपनी सुविधा के हिसाब से किसी भी अवधि के लिए निवेश कर सकते हैं, जैसे- 7 दिन से लेकर 10 साल तक। आरडी आमतौर पर 6 महीने से 10 साल तक के लिए होती है, लेकिन इसमें हर महीने जमा करना जरूरी होता है।

ब्याज दर: दोनों में ब्याज दरें लगभग समान होती हैं, लेकिन एफडी पर कभी-कभी थोड़ा अधिक ब्याज मिल सकता है।

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मकसद: एफडी उन लोगों के लिए बेहतर है जिनके पास पहले से बड़ी राशि है और वे उसे सुरक्षित रखना चाहते हैं। वहीं, आरडी उन लोगों के लिए सही है जो हर महीने बचत करना चाहते हैं और धीरे-धीरे एक फंड बनाना चाहते हैं।

समय से पहले पैसे निकालना: दोनों में समय से पहले पैसे निकालने पर पेनाल्टी लगती है, लेकिन एफडी में इसका असर ब्याज पर ज्यादा होता है।

आपके लिए कौन सा बेहतर है?

अगर आपके पास एकमुश्त पैसा है - जैसे बोनस, प्रॉपर्टी सेल का पैसा या सेविंग्स तो एफडी आपके लिए सही विकल्प है। यह सुरक्षित है, तय रिटर्न देता है और आसानी से प्लान किया जा सकता है।

अगर आपकी आय नियमित है और आप हर महीने थोड़ा-थोड़ा निवेश करना चाहते हैं, तो आरडी बेहतर है। यह आपके भीतर बचत की आदत भी डालता है और समय के साथ अच्छा फंड तैयार करता है।