सेक्टोरल फंड और थीमैटिक फंड में अक्सर उलझ जाते हैं? फाटाफट दूर करें अपना कन्फ्यूजन
दोनों एक जैसे लगते हैं, लेकिन इनके बीच बड़ा फर्क है। चलिए आसान शब्दों में उदाहरण सहित समझते हैं।

Sectoral vs Thematic Mutual Funds: म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय अक्सर निवेशक सेक्टोरल फंड (Sectoral Mutual Fund) और थीमैटिक फंड (Thematic Mutual Fund) को लेकर उलझन होती है। दोनों एक जैसे लगते हैं, लेकिन इनके बीच बड़ा फर्क है। चलिए आसान शब्दों में उदाहरण सहित समझते हैं।
सेक्टोरल फंड क्या है?
सेक्टोरल फंड सिर्फ एक ही सेक्टर में निवेश करता है। इसका मतलब है कि आपका पूरा पैसा उस सेक्टर के प्रदर्शन पर निर्भर होगा।
उदाहरण के लिए, HDFC Banking and Financial Services Fund केवल बैंकों, एनबीएफसी और इंश्योरेंस कंपनियों में निवेश करता है। अगर बैंकिंग सेक्टर अच्छा प्रदर्शन करता है तो रिटर्न बेहतर होंगे, लेकिन अगर सेक्टर मुश्किल में आया तो नुकसान भी ज्यादा हो सकता है।
थीमैटिक फंड क्या है?
थीमैटिक फंड सेक्टोरल फंड से ज्यादा व्यापक यानी बड़ा होते हैं। ये किसी एक थीम से जुड़े कई सेक्टर्स में निवेश करते हैं।
उदाहरण के लिए, SBI Consumption Opportunities Fund एफएमसीजी, ऑटोमोबाइल, रिटेल और लाइफस्टाइल कंपनियों में निवेश करता है। सभी कंपनियां 'कंजम्पशन' थीम से जुड़ी हैं। यहां एक सेक्टर कमजोर पड़े तो दूसरे सेक्टर बैलेंस कर सकते हैं।
सेक्टोरल फंड और थीमैटिक फंड के बीच मुख्य अंतर?
- सेक्टोरल फंड: सिर्फ एक सेक्टर (जैसे बैंकिंग, आईटी, फार्मा)।
- थीमैटिक फंड: एक थीम से जुड़े कई सेक्टर (जैसे कंजम्पशन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, ESG)।
कौन बेहतर?
दोनों ही फंड जोखिम वाले माने जाते हैं क्योंकि ये पूरे बाजार में पैसा नहीं लगाते। हालांकि दोनों फंड्स में, सेक्टोरल फंड का जोखिम ज्यादा है क्योंकि यह सिर्फ एक सेक्टर पर निर्भर होता है। थीमैटिक फंड थोड़े सुरक्षित हैं क्योंकि इनमें डायवर्सिफिकेशन मिलती है।
अगर आपको लगता है कि भारत का डिजिटल ग्रोथ बूम करेगा, तो IT सेक्टोरल फंड आपके लिए सही हो सकता है।
अगर आप इन्फ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ स्टोरी पर विश्वास करते हैं, तो थीमैटिक इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड ज्यादा अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है।