एसएमसी ग्लोबल ने चुने 4 नए NFO - लिस्ट में जियोब्लैकरॉक, एचडीएफसी सहित इन फंड के स्कीम शामिल
ये फंड अलग-अलग तरह के निवेशकों के लिए बनाए गए हैं, जो उनके जोखिम लेने की क्षमता, निवेश करने का समय और मार्केट की पसंद के हिसाब से सही हो सकता है।

NFO Alert: एसएमसी ग्लोबल (SMC Global) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में चार प्रमुख न्यू फंड ऑफर (NFOs) को पिक किया है। इनमें जियोब्लैकरॉक फ्लेक्सीकैप फंड (JioBlackRock FlexiCap Fund), बजाज आलियांज लाइफ BSE 500 एनहैंस्ड वैल्यू 50 इंडेक्स फंड (Bajaj Allianz Life BSE 500 Enhanced Value 50 Index Fund), क्वांट म्यूचुअल फंड का QSIF हाइब्रिड लॉन्ग-शॉर्ट फंड (Quant Mutual Fund’s QSIF Hybrid Long-Short Fund) और एचडीएफसी डायवर्सिफाइड इक्विटी ऑल कैप एक्टिव FOF (HDFC Diversified Equity All Cap Active FOF) शामिल है।
ये फंड अलग-अलग तरह के निवेशकों के लिए बनाए गए हैं, जो उनके जोखिम लेने की क्षमता, निवेश करने का समय और मार्केट की पसंद के हिसाब से सही हो सकता है।
जियोब्लैकरॉक फ्लेक्सीकैप फंड 23 सितंबर से 7 अक्टूबर तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला रहेगा। इसे टनवी काचेरीया और साहिल चौधरी मैनेज कर रहे हैं। ये फंड बड़ी, मिड और स्मॉल कैप कंपनियों में पैसा लगाएगा। इसकी खास बात है कि ये AI, अलग-अलग डेटा और एक्सपर्ट की मदद से अच्छा निवेश खोजता है। इसमें कम से कम ₹500 लगाकर आप SIP शुरू कर सकते हो।
बजाज आलियांज़ लाइफ BSE 500 एनहैंस्ड वैल्यू 50 इंडेक्स फंड ULIP के तहत लॉन्च हुआ है। इसका NFO अभी खुला है और 20 सितंबर को बंद होगा। ये फंड उन कंपनियों में निवेश करता है जो मार्केट में सस्ते दामों पर मिलती हैं, ताकि लंबी अवधि में अच्छा मुनाफा हो।
क्वांट म्यूचुअल फंड का QSIF हाइब्रिड लॉन्ग-शॉर्ट फंड इक्विटी और डेब्ट दोनों में निवेश करता है, साथ ही कुछ डेरिवेटिव्स का इस्तेमाल भी करता है ताकि रिस्क कम हो और रिटर्न बढ़े। इसमें कम से कम ₹10 लाख लगाना होता है और आप हफ्ते में दो बार अपना पैसा निकाल भी सकते हैं।
एचडीएफसी डायवर्सिफाइड इक्विटी ऑल कैप एक्टिव FOF बड़े, मिड और छोटे शेयरों में एक्टिवली निवेश करता है। ये फंड 24 सितंबर तक खुला रहेगा और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट को आसान बनाता है, ताकि लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न मिले।
तो, ये चारों फंड अलग-अलग तरह की रणनीतियों पर काम करते हैं, जैसे AI की मदद से स्टॉक चुनना, वैल्यू इन्वेस्टिंग करना या इक्विटी और डेट का बैलेंस रखना। निवेशक अपनी जरूरत के हिसाब से इनमें से चुन सकते हैं।