SIP vs Education Loan: बच्चों की पढ़ाई के लिए क्या बेहतर है, पहले से निवेश या बाद में लोन?
SIP vs Education Loan: दिन प्रतिदिन पढ़ाई महंगी होती जा रही है। ऐसे में एक पेरेंट्स के मन में सवाल आता है कि उन्हें बच्चे की पढ़ाई के लिए पहले से SIP करना चाहिए या फिर एजुकेशन लोन लेना चाहिए।

हर मां-बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा अच्छे कॉलेज में पढ़े और अच्छा करियर बनाए। लेकिन जैसे-जैसे एजुकेशन महंगी होती जा रही है, एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि क्या हमें पहले से पैसे जमा करने चाहिए या बाद में एजुकेशन लोन (Education Loan) लेकर पढ़ाई करानी चाहिए? दोनों ऑप्शन के अपने फायदे और नुकसान हैं।
एजुकेशन के लिए समय पर निवेश करें
आज के समय में हायर एजुकेशन बहुत महंगी होती जा रही है। हर साल एजुकेशन की लागत में करीब 8-10% की बढ़ोतरी देखी जाती है। अगर आपने पहले से पैसे नहीं जोड़े, तो अचानक एक बड़ा खर्च आपकी बाकी जिंदगी पर असर डाल सकता है। ऐसे में SIP जैसे इन्वेस्टमेंट ऑप्शन आपको समय रहते एक मजबूत फाइनेंशियल बैकअप तैयार करने में मदद करते हैं।
SIP करेगी काफी मदद
बच्चे की हायर एजुकेशन की जरूरतें तब आती हैं जब वो 18 या 21 साल का होता है। इसका मतलब आपके पास निवेश करने के लिए 10-15 साल का लंबा समय होता है। इस लंबे समय में SIP के जरिए म्यूचुअल फंड्स में निवेश करके आप कॉम्पाउंडिंग का फायदा ले सकते हैं और एक अच्छा कॉर्पस बना सकते हैं। SIP में हर महीने छोटी राशि से शुरू करके आप बड़ा फंड बना सकते हैं।
डेट और इक्विटी में कितना निवेश करें?
अगर आपके पास निवेश के लिए 7 साल या ज्यादा का समय है, तो आप अपने फंड का 70% इक्विटी और 30% डेट इंस्ट्रूमेंट्स में रख सकते हैं। वहीं अगर समय कम है, तो 50-50 का अनुपात सही रहेगा। यह रेश्यो आपके रिस्क लेने की कैपेसिटी पर भी निर्भर करता है। जैसे-जैसे समय कम बचेगा, आपको डेट ओरिएंटेड फंड्स की ओर शिफ्ट होना होगा।
अब सवाल आता है कि एजुकेशन लोन मिलने के बावजूद एसआईपी जरूरी क्यों है। बता दें कि एजुकेशन लोन मिलना आजकल आसान हो गया है, लेकिन इसे चुकाने की जिम्मेदारी भी होती है। अगर बच्चा पढ़ाई के बाद किसी वजह से अच्छी नौकरी नहीं कर पाता, तो लोन चुकाना बोझ बन सकता है। लेकिन अगर आपने पहले से SIP के जरिए पैसा जोड़ा है तो उस कॉर्पस का उपयोग लोन की जगह या फिर लोन पेमेंट के लिअ कर सकते हैं।
इससे आपका बच्चा बिना तनाव के पढ़ाई कर पाएगा और जरूरत पड़ने पर थोड़ा लोन लेकर फाइनेंशियल डिसिप्लिन भी सीख सकता है।
इन बात का ध्यान रखें
अगर आप अपने बच्चे को विदेश में पढ़ाना चाहते हैं, तो वहां की महंगाई और करंसी वैल्यू का भी ध्यान रखें। आप चाहें तो इंटरनेशनल फंड्स या विदेशी मुद्रा (foreign currency) में भी निवेश कर सकते हैं। इससे रुपये और डॉलर या यूरो के बीच होने वाले उतार-चढ़ाव से आपके फंड पर असर नहीं पड़ेगा।