म्यूचुअल फंड निवेशक इस बात से हैं अनजान, नियम व शर्तों में छिपे हैं कई चार्जिस और फीस
Mutual Fund: इन्वेस्टमेंट के लिए म्यूचुअल फंड काफी पॉपुलर हो गया है। हालांकि, निवेशकों को म्यूचुअल फंड के चार्जिस और फंड की जानकारी नहीं होती है।

आज के समय में निवेशकों को इन्वेस्टमेंट के लिए म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) काफी पसंद आ रहा है। निवेशक शानदार रिटर्न पाने के लिए फंड में निवेश करते हैं। हालांकि, वह फंड में लगने वाले टैक्स, फीस और चार्जिस से अनजान होते हैं।हम आपको नीचे बताएंगे कि फंड में कितने तरह के चार्जिस और फीस लगते हैं।
एंट्री लोड (Entry load)
एसेट मैनेजमेंट कंपनी (Asse Management Company-AMC) निवेशकों से फंड में निवेश के लिए सबसे पहले एंट्री लोड के तौर पर चार्ज लेती है। बता दें कि पहले यह चार्ज Distribution Costs के बदले लिया जाता था। हालांकि, सेबी (SEBI) के नियमों के अनुसार अब यह चार्ज निवेशकों से नहीं लिया जाता है।
एग्जिट लोड (Exit load)
निवेशक जब म्यूचुअल फंड से निकासी करता है तो उसे एग्जिट लोड देना पड़ता है। एग्जिट लोड कितना लगेगा यह एसेट मैनेजमेंट कंपनी तय करती है। हालांकि, कंपनी निवेश करते समय ही बता देती है कि वह कितना एग्जिट लोड लगाएगी।
नियमों के अनुसार, अगर निवेशक एक साल से पहले निकलता है तब उसे यह चार्ज देना पड़ता है। एक साल के बाद म्यूचुअल फंड से निकासी करने पर यह चार्ज नहीं लगता है।
ट्रांजेक्शन चार्ज (Transaction Charges)
निवेशक को एक बार ट्रांजैक्शन चार्ज देना होता है। जब निवेशक 10,000 रुपये से ज्यादा का निवेश करता है तब भी उसे ये चार्ज देना होता है। ट्रांजैक्शन चार्ज 100 रुपये से 150 रुपये के बीच हो सकता है। हालांकि, यह चार्ज निवेश राशि पर डिपेंड करता है।
एक्सपेंस रेश्यू (Expense Ratio)
म्यूचुअल फंड मैनेजर एक्सपेंस रेश्यो के नाम पर फीस लेते हैं। यह फीस AMA कंपनी तय करती है। बता गें कि एक्सपेंस रेश्यो में फंड मैनेज करने से लेकर चलाने तक का कोस्ट शामिल होता है। इसमें Marketing Expense, Administration fees, Distribution fees और फंड मैनेजर की फीस भी शामिल होती है।