Electoral Bond SOP की जानकारी देने से SBI का इनकार, RTI के नियमों का दिया हवाला
एसबीआई की 29 ब्रांचों से अलग-अलग रकम के इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए जाते हैं। ये रकम एक हजार से लेकर एक करोड़ रुपये तक हो सकती है। इसे कोई भी खरीद सकता है और अपनी पसंद की राजनीतिक पार्टी को दे सकता है।

State Bank of India ने अपनी ब्रांच से जारी किए गए Electoral Bond की बिक्री और उन्हें भुनाने के लिए जारी की गई अपनी मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) की जानकारी देने से इनकार कर दिया है। एक RTI के जवाब में SBI ने व्यावसायिक गोपनीयता के तहत दी गई छूट का हवाला देते हुए यह जानकारी देने से इनकार कर दिया है। दरअसल, आरटीआई एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज ने इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री और उन्हें भुनाने को लेकर एसबीआई की अधिकृत ब्रांच को जारी एसओपी की डिटेल मांगी थी। इसके जवाब में एसबीआई के केंद्रीय जनसूचना अधिकारी और उपमहाप्रबंधक एम. कन्ना बाबू ने अपने जवाब में कहा कि अधिकृत ब्रांच को समय-समय पर जारी इलेक्टोरल बॉन्ड योजना-2018 की एसओपी आंतरिक दिशानिर्देश हैं, जिन्हें आरटीआई की धारा 8(1) (डी) के तहत छूट दी गई है।
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आरटीआई एक्टिविस्ट
पीटीआई के मुताबिक इस पर आरटीआई एक्टिविस्ट ने कहा कि यह जानकर हैरानी होती है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार दिए जाने और स्पष्ट रूप से खरीदे और भुनाए गए बॉन्ड्स के सभी जानकारी का खुलासा करने का निर्देश और सुनिश्चित करने के बाद भी एसबीआई चुनावी बॉन्ड के संचालन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देने से इनकार कर रहा है।
क्या होता है इलेक्टोरल बॉन्ड और क्यों किया गया था शुरू?
28 जनवरी, 2017 को तत्कालीन केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने देश में चुनावी बॉन्ड या इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की घोषणा की थी। इसे 29 जनवरी 2018 को कानूनी रूप से लागू किया गया था। सरकार का कहना था कि चुनावी चंदे में 'साफ-सुथरा' धन लाने और 'पारदर्शिता' बढ़ाने के लिए इस स्कीम को लाया गया है। एसबीआई की 29 ब्रांचों से अलग-अलग रकम के इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए जाते हैं। ये रकम एक हजार से लेकर एक करोड़ रुपये तक हो सकती है। इसे कोई भी खरीद सकता है और अपनी पसंद की राजनीतिक पार्टी को दे सकता है। बॉन्ड 1000 रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक की राशि के जारी किए गए थे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 15 फरवरी को फैसला देते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को 'असंवैधानिक' करार देते हुए रद्द कर दिया।