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Lok Sabha: संसद में कौन सा सांसद किस जगह बैठेगा, कैसे होता है तय?

लोकसभा में नियम 4 के अनुसार लोकसभा स्पीकर सांसदों के बैठने की जगह तय करते हैं। लोकसभा में सांसदों के बैठने से जुड़े जरूरी निर्देश क्लॉज 122(ए) में दर्ज हैं। इस क्लॉज में स्पीकर को अधिकार दिया गया है कि वे किसी दल को उनके सदस्यों की संख्या के अनुरूप उनके बैठने की जगह पर फैसला कर सकते हैं।

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संसद के दोनों सदनों में सांसदों के बैठने का इंतजाम तय नियम के हिसाब से होता है
संसद के दोनों सदनों में सांसदों के बैठने का इंतजाम तय नियम के हिसाब से होता है

18वीं लोकसभा के लिए चुनावी कार्यक्रम नतीजे आने के साथ समापन की ओर बढ़ चला है। तकरीबन दो महीने चली चुनावी प्रक्रिया के बाद सभी जीते सांसदों के नाम की लिस्ट चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हवाल कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार सरकार बनाने जा रहे। सभी नए सांसदों को लोकसभा में बैठने के लिए सीट अलॉट की जाएगी। आइये आपको बताते हैं सदन में सांसदों के बैठने का इंतजाम कैसे होगा.. यानी कौन आगे बैठेगा, कौन पीछे बैठेगा?

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तय नियम के हिसाब से सदन में बैठते हैं सांसद

संसद के दोनों सदनों में सांसदों के बैठने का इंतजाम तय नियम के हिसाब से होता है। लोकसभा में कौन सांसद कहां बैठेगा.. इसका फैसला लोकसभा अध्यक्ष के हाथ में होता है। अभी तक की व्यवस्था में यह देखा गया है कि सत्ता पक्ष के सांसद लोकसभा अध्यक्ष के आसन के दाहिनी तरफ और विपक्ष के सांसद बांईं तरफ बैठते आए हैं। इस बार के चुनाव में 543 लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव हुए, यहां से जीते सदस्य लोकसभा में बैठेंगे। 

लोकसभा स्पीकर के पास होती है जिम्मेदारी

लोकसभा में नियम 4 के अनुसार लोकसभा स्पीकर सांसदों के बैठने की जगह तय करते हैं। लोकसभा में सांसदों के बैठने से जुड़े जरूरी निर्देश क्लॉज 122(ए) में दर्ज हैं। इस क्लॉज में स्पीकर को अधिकार दिया गया है कि वे किसी दल को उनके सदस्यों की संख्या के अनुरूप उनके बैठने की जगह पर फैसला कर सकते हैं। लोकसभा स्पीकर हमेशा इस बात का भी ध्यान रखते हैं कि वरिष्ठ सांसदों को आगे की सीट मिले.. भले वह किसी भी पार्टी के सदस्य हों। 

अपनी ही सीट पर बैठते हैं सांसद

सत्ता पक्ष में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी दल शामिल हैं। विपक्षी दल में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) और उसके सहयोगी दल शामिल हैं। छोटे दलों में आम आदमी पार्टी (आप), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी), वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी), और बीजू जनता दल (बीजद) जैसी पार्टियां शामिल हैं। स्वतंत्र सदस्य वे सदस्य हैं जो किसी भी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं हैं। बैठने की व्यवस्था को यह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है कि सभी सदस्यों को सदन में समान प्रतिनिधित्व मिले और वे अपनी बात रख सकें। यह विधायी प्रक्रिया में सभी दलों की भागीदारी को भी बढ़ावा देता है। सदस्यों को सदन के नियमों का पालन करना होता है और उन्हें अपनी निर्दिष्ट सीटों पर ही बैठना होता है।