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स्टीव जॉब्स की आत्मकथा: नीम करोली बाबा का भक्त और दुनिया का महान आविष्कारक

स्टीव जॉब्स, जिन्हें आधुनिक टेक्नोलॉजी के सबसे महान आविष्कारकों में से एक माना जाता है, की आत्मकथा उनके जीवन की उल्लेखनीय यात्रा का विवरण प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक में उनके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के अनेक पहलुओं को उजागर किया गया है, जिसमें उनकी असफलताओं, उपलब्धियों और नवाचार की कहानी शामिल है।

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स्टीव जॉब्स की आत्मकथा: नीम करोली बाबा का भक्त और दुनिया का महान आविष्कारक
स्टीव जॉब्स की आत्मकथा: नीम करोली बाबा का भक्त और दुनिया का महान आविष्कारक

स्टीव जॉब्स, जिन्हें आधुनिक टेक्नोलॉजी के सबसे महान आविष्कारकों में से एक माना जाता है, की आत्मकथा उनके जीवन की उल्लेखनीय यात्रा का विवरण प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक में उनके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के अनेक पहलुओं को उजागर किया गया है, जिसमें उनकी असफलताओं, उपलब्धियों और नवाचार की कहानी शामिल है।

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प्रारंभिक जीवन और संघर्ष

स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955 को सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में हुआ था। उन्हें जन्म के कुछ समय बाद ही गोद ले लिया गया। उनकी परवरिश मध्यवर्गीय परिवार में हुई, जहां उन्हें शिक्षा और तकनीकी दुनिया के प्रति रुचि बचपन से ही विकसित हो गई थी। स्कूल के दौरान ही उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर में दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी थी।

एप्पल की स्थापना और सफलता

1976 में, जॉब्स ने स्टीव वॉज़्नियाक और रॉन वेन के साथ मिलकर एप्पल इंक. की स्थापना की। उनका पहला बड़ा प्रोडक्ट एप्पल I कंप्यूटर था, जिसे उन्होंने अपने गैरेज में विकसित किया था। इसके बाद, 1977 में लॉन्च हुए एप्पल II ने उन्हें विश्वभर में पहचान दिलाई। एप्पल के इनोवेटिव प्रोडक्ट्स जैसे मैकिंटोश, iPod, iPhone और iPad ने तकनीकी उद्योग को क्रांतिकारी बदलाव दिए और लोगों के जीवन में नई संभावनाएं खोल दीं।

एप्पल से अलगाव और वापसी

1985 में, स्टीव जॉब्स को अपनी ही कंपनी से इस्तीफा देना पड़ा। इस समय को उनके जीवन के कठिन दौर के रूप में देखा जाता है। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और NeXT Inc. और Pixar Animation Studios की स्थापना की। Pixar के साथ उनका काम बेहद सफल रहा, और यह कंपनी बाद में डिज्नी के साथ मिलकर बेहतरीन एनिमेटेड फिल्में बनाने में अग्रणी साबित हुई।

1996 में, एप्पल ने NeXT को खरीद लिया

1996 में, एप्पल ने NeXT को खरीद लिया, और जॉब्स एक बार फिर एप्पल में लौट आए। उनकी वापसी ने एप्पल को एक नई दिशा और ऊर्जा दी। उन्होंने कंपनी को दिवालियेपन से उबारकर एक अग्रणी तकनीकी कंपनी में तब्दील किया।

व्यक्तिगत जीवन और विचारधारा

स्टीव जॉब्स का व्यक्तिगत जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहा। उनकी ज़िद्दी और संकल्पशील प्रकृति ने उन्हें अपने काम में अव्वल बनाया, लेकिन यह कई बार उनके व्यक्तिगत संबंधों में तनाव का कारण भी बनी। वे सरलता, डिज़ाइन और उपभोक्ता अनुभव में विश्वास रखते थे। उनका मानना था कि तकनीक का उद्देश्य केवल उपयोगी उपकरण बनाना नहीं है, बल्कि इसे कला का रूप देना भी है।

प्रसिद्ध उद्धरण

उनका प्रसिद्ध उद्धरण, “Stay hungry, stay foolish” यानी "हमेशा भूखे रहो, हमेशा मूर्ख रहो" उनके जीवन की विचारधारा को दर्शाता है। वे हमेशा नई चीज़ें सीखने और खोजने की कोशिश में रहते थे और असफलताओं को सफलता की ओर बढ़ने का एक चरण मानते थे।

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अंतिम वर्षों की चुनौतियां

2003 में, स्टीव जॉब्स को कैंसर का पता चला। उन्होंने जीवन के अंतिम वर्षों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना किया, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने एप्पल के लिए नए और क्रांतिकारी उत्पादों पर काम करना जारी रखा। 5 अक्टूबर 2011 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है।

स्टीव जॉब्स की आत्मकथा

स्टीव जॉब्स की आत्मकथा केवल उनकी सफलताओं की कहानी नहीं है, बल्कि यह संघर्ष, धैर्य, और अद्वितीय दृष्टिकोण की प्रेरक गाथा है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि असफलताएं हमें केवल और मजबूत बनाती हैं, और सफलता पाने के लिए निरंतर प्रयास करना महत्वपूर्ण है। उनके नवाचार और दृष्टिकोण ने दुनिया को बदल दिया, और उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।