Gold Price: सोना ₹1 लाख के पार, क्या अब खरीदना सही या नहीं?
Gold Price: इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के कारण सोने की कीमतों में शानदार तेजी देखने को मिली है। ऐसे में सवाल है कि क्या अभी सोना खरीदना चाहिए या नहीं।

इन दिनों सोने की कीमतें (Gold Price) लगातार बढ़ रही हैं और अब यह ₹1,00,000 प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच चुकी है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह इजराइल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव और साथ ही अमेरिका के फेडरल रिजर्व की 18 जून को होने वाली अहम बैठक है। जब दुनिया में किसी तरह की अनिश्चितता होती है, तो निवेशक खुद को सुरक्षित रखने के लिए सोने की तरफ रुख करते हैं। यही वजह है कि इन दिनों सोने की डिमांड अचानक बढ़ गई है।
दुनिया में बढ़ता तनाव और सोने की चमक
इजराइल और ईरान के बीच का तनाव अभी खत्म होता नहीं दिख रहा है। इसी वजह से लोग शेयर बाजार या अन्य जोखिम वाले निवेश की जगह सोने को ज्यादा सुरक्षित मान रहे हैं। इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट डॉ. वीके विजयकुमार के मुताबिक फिलहाल शेयर बाजार में घबराहट नहीं है, लेकिन गोल्ड को लेकर निवेशकों में भरोसा बढ़ा है। इसका मतलब है कि लोग पहले से ही संभावित संकट से बचाव के लिए सोने को चुन रहे हैं।
गोल्ड की कीमतों का मौजूदा हाल
सोने के बाजार में अभी सपोर्ट और रेजिस्टेंस के कुछ स्तर बन गए हैं। सपोर्ट का मतलब होता है जिस स्तर से नीचे गिरने की संभावना कम होती है और रेजिस्टेंस उस स्तर को कहते हैं जहां से ऊपर जाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। अगर सोने की कीमतें इन स्तरों को पार कर जाती हैं, तो आगे इसमें और उछाल देखने को मिल सकता है। खासकर तब जब वैश्विक तनाव और बढ़े या भारतीय रुपये में गिरावट आए।
फेडरल रिजर्व की बैठक से क्या उम्मीदें हैं?
अमेरिका के फेडरल रिजर्व की आगामी बैठक पर भी सबकी नजरें टिकी हैं। अगर इस बैठक में ब्याज दरों को लेकर नरम रुख दिखाया गया या डॉलर कमजोर हुआ तो सोने में और तेजी आ सकती है। क्योंकि जब डॉलर की वैल्यू कम होती है तो गोल्ड की कीमतें आमतौर पर ऊपर जाती हैं। यही वजह है कि इस बैठक का सोने के बाजार पर सीधा असर पड़ सकता है।
क्या यह सही समय है सोने में निवेश का?
अगर आप लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो सोना एक भरोसेमंद ऑप्शन हो सकता है। खासकर मौजूदा हालात में जब वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता बनी हुई है। लेकिन अगर आप थोड़े समय में मुनाफा कमाने की सोच रहे हैं तो थोड़ा रुककर हालात का आंकलन करना ज्यादा समझदारी होगी। निवेशक को तेल की कीमतें, डॉलर की चाल और फेड की नीतियों पर नजर बनाए रखना जरूरी है।