
अमेरिका का कर्ज संकट सुलझा, अमेरिका समेत ग्लोबल मार्केट्स में तेजी
America की वित्त मंत्री जेनेट येलेन की चेतावनी आपको याद होगी उन्होंने कहा था कि 5 जून तक अगर अमेरिका की कर्ज लेने की सीमा नहीं बढ़ाई गई तो देश डिफॉल्ट कर जाएगा। जिसके बाद से न सिर्फ अमेरिका बल्कि दुनिया के देश भी सक्ते में आ गए। लेकिन इस बीच अच्छी खबर ये है कि आखिरकार अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस परेशानी का रास्ता निकाल लिया है। देश की कर्ज लेने की सीमा बढ़ाने पर अमेरिकी राष्ट्रपति और रिपब्लिकन्स के बीच डील हो गई है।

America की वित्त मंत्री Janet Yellen की चेतावनी आपको याद होगी उन्होंने कहा था कि 5 जून तक अगर अमेरिका की कर्ज लेने की सीमा नहीं बढ़ाई गई तो देश डिफॉल्ट कर जाएगा। जिसके बाद से न सिर्फ अमेरिका बल्कि दुनिया के देश भी सक्ते में आ गए। लेकिन इस बीच अच्छी खबर ये है कि आखिरकार अमेरिकी राष्ट्रपति Joe Biden ने इस परेशानी का रास्ता निकाल लिया है। देश की कर्ज लेने की सीमा बढ़ाने पर अमेरिकी राष्ट्रपति और रिपब्लिकन्स के बीच डील हो गई है। तो ये समझौता किन मुद्दों को लेकर हुआ है, आइये समझते हैं।
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Media Reports के मुताबिक राष्ट्रपति बाइडन और हाउस स्पीकर केविन मैकार्थी के बीच हुए समझौते कई मुद्दों पर हुए हैं। जिसमें गैर-रक्षा आइटम्स पर सरकारी खर्च को 2 साल तक के लिए स्थिर रखा जाएगा और फिर 2025 में इसमें 1% की बढ़ोतरी की जाएगी। वहीं दूसरी ओर मेडिकेड स्वास्थ्य बीमा में कोई बड़ा बदलाव भी नहीं होगा और न ही किसी भी तरह का नया टैक्स लगाया जाएगा। हाउस स्पीकर केविन मैकार्थी का कहना है कि खर्च में ऐतिहासिक कटौती की गई है। लोगों को गरीबी से निकालकर वर्कफोर्स में लाया जाएगा। न कोई नया टैक्स और न ही कोई नया सरकारी कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।

ये एग्रीमेंट अमेरिका के लोगों के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि अगर ये समझौता नहीं होता तो अमेरिका डिफ़ॉल्ट हो जाता और अगर ऐसा होता तो आर्थिक मंदी आती और लाखों लोगों की नौकरियां भी जा सकती थी। लेकिन इसकी पृष्ठभूमि भी समझने की जरूरत है। भारत और दूसरे देशों के तरह दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका का बजट भी घाटे में चल रहा है यानि सरकार को टैक्स से जितनी आय होती है उससे कहीं ज्यादा उसके खर्चे हो रहे हैं। इन्हीं खर्चों को पूरा करने के लिए बाइडन सरकार ने 31.4 ट्रिलियन डॉलर की कर्ज सीमा को बढ़ाने की कोशिशों में लगे हैं।
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दरअसल अमेरिका की संसद में कानून बनाकर इस कर्ज को लेने की सीमा तय की हुई है, जिसे ऋण सीमा कहा जाता है। अमेरिकी संविधान के मुताबिक कांग्रेस यानि संसद को सरकारी खर्च को नियंत्रित करने का अधिकार दिया गया है। बिना कांग्रेस की मंजूरी के सरकार तय ऋण सीमा से ज्यादा कर्ज नहीं ले सकती। अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है। रिपब्लिकन पार्टी के सांसद ऋण सीमा को बढ़ाने के पक्ष में नहीं थे, जिसकी वजह से विवाद पैदा हुआ। मौजूदा वक्त में अमेरिका की अर्थव्यवस्था करीब 23 ट्रिलियन डॉलर की है और ऐसे में कर्ज संकट इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था को मुश्किल में डाल सकता था। फिलहाल डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन्स के बीच समझौता हो गया है। जिसका असर ग्लोबल बाजारों में तेजी के तौर पर देखा जा रहा है।
