RBI MPC : आज ब्याज दरों का ऐलान करेगा RBI, क्या रेपो रेट में होगा बदलाव !
रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते है जिस दर पर बैंकों को RBI पैसा रखने पर ब्याज देता है। जब RBI को मार्केट से लिक्विडिटी को कम करना होता है तो वो रिवर्स रेपो रेट में इजाफा करता है। RBI के पास अपनी होल्डिंग के लिए ब्याज प्राप्त करके बैंक इसका फायदा उठाते हैं।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की आज (7 जून) यानी शुक्रवार को मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग का आखिरी दिन है। 5 जून से चल रही इस मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी RBI गवर्नर शक्तिकांत दास आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगें। जानकारों के अनुसार, इस मीटिंग में भी रेपो रेट यानी इंटरेस्ट रेट में किसी भी तरह के बदलाव की उम्मीद नहीं है। ये वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी मीटिंग है। अभी रेपो रेट 6.50% पर बनी हुई है। RBI ने इससे पहले अप्रैल में हुई बैठक में भी ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी। RBI ने आखिरी बार फरवरी 2023 में दरें 0.25% बढ़ाकर 6.5% की थीं।
हर दो महीने में होती है मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग
RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग हर दो महीने में होती है। RBI की MPC में छह सदस्य हैं। इसमें बाहरी और RBI अधिकारी दोनों हैं। गवर्नर दास के साथ, RBI के अधिकारी राजीव रंजन, कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्यरत हैं और माइकल देबब्रत पात्रा, डिप्टी गवर्नर हैं। शशांक भिड़े, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा बाहरी सदस्य हैं।
वित्त वर्ष 2022-23 में रेपो रेट 6 बार में 2.50% बढ़ाई गई थीं
वित्त वर्ष 2022-23 की पहली मीटिंग अप्रैल-2022 में हुई थी। तब RBI ने रेपो रेट को 4% पर स्थिर रखा था, लेकिन RBI ने 2 और 3 मई को इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर रेपो रेट को 0.40% बढ़ाकर 4.40% कर दिया था। 22 मई 2020 के बाद रेपो रेट में ये बदलाव हुआ था। इसके बाद 6 से 8 जून को हुई मीटिंग में रेपो रेट में 0.50% इजाफा किया। इससे रेपो रेट 4.40% से बढ़कर 4.90% हो गई। फिर अगस्त में इसे 0.50% बढ़ाया गया, जिससे ये 5.40% पर पहुंच गई। सितंबर में ब्याज दरें 5.90% हो गई। फिर दिसंबर में ब्याज दरें 6.25% पर पहुंच गईं। इसके बाद वित्त वर्ष 2022-23 की आखिरी मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग फरवरी में हुई, जिसमें ब्याज दरें 6.25% से बढ़ाकर 6.50% कर दी गई थीं।
महंगाई में बढ़ोतरी थमी
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई को लेकर कहा था कि 'Elephant (inflation) has now gone out for a walk and heading to the forest' यानी महंगाई में बढ़ोतरी अब थम गई है। वहीं, उन्होंने वित्त वर्ष 2024-25 में महंगाई 4.5% और रियल GDP ग्रोथ 7% रहने का अनुमान लगाया था।
रिवर्स रेपो रेट के बढ़ने-घटने से क्या होता है?
रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते है जिस दर पर बैंकों को RBI पैसा रखने पर ब्याज देता है। जब RBI को मार्केट से लिक्विडिटी को कम करना होता है तो वो रिवर्स रेपो रेट में इजाफा करता है। RBI के पास अपनी होल्डिंग के लिए ब्याज प्राप्त करके बैंक इसका फायदा उठाते हैं। इकोनॉमी में हाई इंफ्लेशन के दौरान RBI रिवर्स रेपो रेट बढ़ाता है। इससे बैंकों के पास ग्राहकों को लोन देने के लिए फंड कम हो जाता है।