scorecardresearch

RBI Governor: आज फिर जीने की तमन्ना है, RBI गवर्नर ने ऐसा क्यों कहा?

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वो बैंकों से कहना चाहते हैं कि वो राहुल द्रविड़ की तरह लॉन्ग टर्म के लिए खेलें न कि आज फिर जीने की तमन्ना है के अंदाज में शॉर्ट टर्म के लिए। यानि RBI गवर्नर एक आम आदमी और बैंकों को भी समझाने के लिए बेहद हल्के-फुल्के अंदाज का सहारा लिया।

Advertisement
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास की पहचान, एक गंभीर और कड़े फैसले लेने वाले प्रशासक के तौर पर होती है
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास की पहचान, एक गंभीर और कड़े फैसले लेने वाले प्रशासक के तौर पर होती है

RBI गवर्नर Shaktikanta Das की पहचान, एक गंभीर और कड़े फैसले लेने वाले प्रशासक के तौर पर होती है, जिनके कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। लेकिन क्या आपने इनका एक अलग-निराला अंदाज देखा है? जो बहुत हटके है। गवर्नर साहब ने एक शानदार किस्सा सुनाया और कुछ मजेदार बातें कहीं। हर एक शख्स को उनकी इन बातों को बहुत ध्यान से सुनना चाहिए। इसे आपको पता चलेगा कि RBI के फैसलों को लेकर एक आम आदमी क्या सोचता है और कितना सचेत है। सुनिए गवर्नर साहब ने क्या कहा? उन्होंने कहा कि एक दिन जब मैं फ्लाइट ले रहा था। फिर उन्होंने कहा कि अगर आप सोचते कि आम लोग RBI और फाइनेंशियल सेक्टर से जुड़े फैसलों पर नजर नहीं रखते तो आप गलत हैं। उन्होंने कहा कि मैं सिक्योरिटी चेक के लिए Airport पहुंचा तो CISF जवान मेरी चेकिंग कर रहा था। जब उन्होंने चेकिंग कर ली तो उन्होंने पूछा कि क्या मैं आपसे एक सवाल पूछ सकता हूं। तो गवर्नर साहब ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ ये पहले भी हो चुका है। उन्होंने कहा मैंने CISF जवान को बोला पूछिए तो उन्होंने कहा कि इंटरेस्ट रेट यानि ब्याज दरों पर जो फैसला लिया, उसका असर क्या होगा? इस तरह की जागरुकता को देख RBI गवर्नर काफी खुश हुए। उन्होंने कहा कि यानि कि इसका मतलब ये है कि आम आदमी फाइनेंशियल सिस्टम के फैसलों को पढ़ रहा है, समझ रहा है। वो अखबार पढ़ता है। फिर, मैंने उनको संक्षिप्त में समझाया कि इन फैसलों का क्या असर होगा। क्योंकि मेरे पीछे भी बहुत लोग लाइन में खड़े थे। उनकों परेशानी न हो इसलिए मैंने शॉर्ट CISF जवान को पूरी बात समझाई। जिसके बाद वो बहुत खुश हुए। इसके बाद RBI गवर्नर ने कहा कि हमारे फैसले के एक आम आदमी के जेब पर असर डालते हैं। उनका पूरा समझने का हक की ये फैसले क्यों लिए गए। इसके पीछे के कारण क्या था। ऐसा क्यों हुआ? एक हाउस होल्ड यानि घर को चलाने वाले की उम्मीदों पर खरा उतरा होता है। कम्यूनिकेशन ऐसा होना चाहिए, जिससे देश के हर एक नागरिक समझ में आए कि ये फैसला क्यों लिया गया । टियर-2 टियर 3 शहरों में लोगों की दिलचस्पी RBI के फैसलों के प्रति इतनी बड़ी है कि आप उम्मीद नहीं कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि दुनियाभर में लगातार संकट का दौर जारी है और हमारी नजर महंगाई पर अर्जुन की आंख की तरह है।

advertisement

Also Read: Tata Group: कौन बनेगा Tata sons का नया वारिस?

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वो बैंकों से कहना चाहते हैं कि वो राहुल द्रविड़ की तरह लॉन्ग टर्म के लिए खेलें न कि आज फिर जीने की तमन्ना है के अंदाज में शॉर्ट टर्म के लिए। यानि RBI गवर्नर एक आम आदमी और बैंकों को भी समझाने के लिए बेहद हल्के-फुल्के अंदाज का सहारा लिया। दरअसल, कंज्यूमर लेंडिंग पर लोन रिस्क वेट बढ़ाने के आरबीआई के फैसले को कई नजरों से देखा जा रहा है. इसपर गवर्नर की ओर से ताजा टिप्पणी इस लिहाज से आई है कि कंज्यूमर लोन देकर बैंक शॉर्ट टर्म बिजनेस की बजाय लॉन्ग टर्म असेट क्वालिटी पर ध्यान दें. उन्होंने कहा कि असेट क्वालिटी अच्छी होने से बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत होगी।