Pearls Group के Nirmal Singh Bhangoo की मौत, अब निवेशकों का क्या होगा?
भंगू पर 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को ठगने का आरोप है। लोगों को ठगकर उन्होंने अपना अरबों का साम्राज्य बनाया। बता दें कि निर्मल सिंह भंगू पंजाब के बरनावा जिले का रहने वाले थे। वह अपने शुरुआती करिअर में दूध बेचने का काम करते थे। 70 के दशक में वह नौकरी करने कलकत्ता आए थे। इसके बाद इसने हरियाणा की ठग कंपनी गोल्डन फॉरेस्ट लिमिटेड कंपनी में काम किया।

पंजाब से ताल्लुक रखने वाले Pearls Group के मालिक Nirmal Singh Bhangoo की मौत हो गई है। वो तिहाड़ जेल में बंद थे। उनकी अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें दीन दयाल अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिसके बाद उसकी मौत हो गई। कुछ साल पहले पोंजी स्कीम घोटाले में निर्मल सिंह भंगू का नाम आया था। ये घोटाला करीब 50 हजार करोड़ रुपए का था। अब ऐसे में सवाल है कि उन निवेशकों का क्या होगा, जिन्होंने निर्मल सिंह भंगू की पोंजी स्कीम में पैसा लगाया हुआ है। करीब 5 करोड़ निवेशकों के पैसे फंसे हुएहैं। आपको बता दें कि जनवरी 2016 में CBI ने गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद वह दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद थे।
भंगू पर 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को ठगने का आरोप
भंगू पर 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को ठगने का आरोप है। लोगों को ठगकर उन्होंने अपना अरबों का साम्राज्य बनाया। बता दें कि निर्मल सिंह भंगू पंजाब के बरनावा जिले का रहने वाले थे। वह अपने शुरुआती करिअर में दूध बेचने का काम करते थे। 70 के दशक में वह नौकरी करने कलकत्ता आए थे। इसके बाद इसने हरियाणा की ठग कंपनी गोल्डन फॉरेस्ट लिमिटेड कंपनी में काम किया।
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चिटफंड के नाम पर लोगों से ठगी
कुछ सालों बाद कंपनी बंद हो गई। इस दौरान उसने चिटफंड के नाम पर लोगों से ठगी करने का अच्छा खासा हुनर सीख लिया था। बाद में भंगू ने खुद का कारोबार खड़ा किया। इसने पर्ल्स गोल्डन फॉरेस्ट नाम की कंपनी बनाई। जिसमें दावा किया गया कि पैसे लेकर सागौन के प्लांटेशन पर इंवेस्ट कर मुनाफा कमाकर पैसे लौटाने का वादा किया गया। 1996 तक उसने करोड़ों का मुनाफा कमा लिया था। लेकिन इनकम टैक्स और दूसरी जांच के चलते उसे अपनी कंपनी को बंद करना पड़ा।
रियल एस्टेट कंपनी
निर्मल सिंह भंगू ने 1996 में PSCL नाम की एक रियल एस्टेट कंपनी बनाई। लोगों को निवेश स्किम का लालच देकर उनसे करोड़ों रुपए का निवेश कराया। लोगों को इसके बदले मोटा मुनाफा देने का वादा किया था। देखते ही देखते 5 करोड़ भोले-भाले निवेशकों ने 50,000 करोड़ का निवेश करवा लिया। यह कंपनी 30 लाख एजेंटों से अपना धंधा चलाती थी। इसी दौरान पर्ल्स ग्रुप सेबी की नजर में आ गई।
50 हजार करोड़ का फर्जीवाड़ा
रियल एस्टेट कंपनी होने के बावजूद चिट फंड कंपनी के रूप में काम करना सेबी को संदिग्ध लगा। यह मामला PSCL कोर्ट में 8 साल तक चला। लेकिन इसी बीच PSCL का कारोबार कई गुना तक बढ़ गया था। साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने PSCL के खिलाफ फैसला सुनाया जिसके बाद एक ही झटके में निवेशको के करोड़ों रुपए डूब गए। निर्मल सिंग भंगू के पर्ल्स का घोटाला खुलने के बाद यह 50 हजार करोड़ का फर्जीवाड़ा निकला।
अब यहां सवाल उठता है कि निवेशकों के पैसे का क्या होगा?
पर्ल्स ग्रुप के इस घोटाले में करीब 5 करोड़ निवेशकों के 45000 करोड़ रुपये डूब गए। हालांकि, निवेशकों के मुताबिक ये रकम 60,000 करोड़ है। इस मामले में निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए 2015 में जस्टिस लोढ़ा कमेटी की गठित की गई। अब तक 21 लाख निवेशकों को पैसा मिला है। लेकिन, फिर भी सवा 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को अब भी अपने पैसे मिलने का इंतजार है। इस मामले में सेबी की निगरानी में निवेशकों को रिफंड दिया जा रहा है।