Patanjali: पतंजलि आयुर्वेद के 'गुमराह करने वाले' विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए. अमानुल्लाह की बेंच ने पहले के आदेशों का पालन नहीं करने के लिए आलोचना भी की। पिछले साल कोर्ट ने कंपनी को विज्ञापनों पर रोक लगाने का आदेश दिया था।

Supreme Court ने Patanjali Ayurveda को "गुमराह करने वाले" विज्ञापनों को लेकर कड़ी फटकार लगाई है। साथ ही पूछा कि आखिर कंपनी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। कोर्ट ने साथ ही पतंजलि आयुर्वेद के स्वास्थ्य से संबंधित तमाम विज्ञापनों पर रोक लगा दी है। कंपनी आगे भी इस तरह के विज्ञापन नहीं कर सकेगी। कंपनी के विज्ञापनों को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसपर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही पतंजलि आयुर्वेद और आचार्य बालाकृष्णन को "गुमराह करने वाले" विज्ञापनों की पब्लिशिंग में शामिल रहने के लिए कोर्ट की अवमानना का नोटिस भी भेजा है।
कंपनी और मालिक को अवमानना नोटिस
कंपनी के विज्ञापन कई मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर दिखाए जाते हैं, जिसमें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का मानना है कि गलत दावे के साथ विज्ञापन चलाए जाते हैं। अवमानना नोटिस का जवाब देने के लिए कोर्ट ने कंपनी और उनके मालिक बालाकृष्णन को तीन हफ्ते का समय दिया है।
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एक-एक करोड़ जुर्माने की चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए. अमानुल्लाह की बेंच ने पहले के आदेशों का पालन नहीं करने के लिए आलोचना भी की। पिछले साल कोर्ट ने कंपनी को विज्ञापनों पर रोक लगाने का आदेश दिया था। नवंबर महीने में ही कोर्ट ने पतंजलि से कहा था कि अगर आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो जांच के बाद कंपनी के तमाम प्रोडक्ट्स पर एक-एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
केंद्र सरकार को दिए मॉनिटरिंग के निर्देश
पहले के आदेशों का हवाला देते हुए बेंच ने कहा, "कोर्ट की तमाम चेतावनियों के बावजूद आप कह रहे हैं कि आपकी दवाएं केमिकल-युक्त दवाओं से बेहतर हैं?" कोर्ट ने आयुष मंत्रालय से सवाल भी पूछा कि आखिर कंपनी के खिलाफ विज्ञापनों को लेकर क्या कार्रवाई की गई। हालांकि, सरकार की तरफ से एएसजी ने कहा कि इस बारे में डेटा इकट्ठा किया जा रहा है। कोर्ट ने केंद्र सराकार के इस जवाब पर नाराजगी जताई और कंपनी के विज्ञापनों की मॉनिटरिंग करने का निर्देश दिया।