
Meta CEO मार्क ज़करबर्ग ने बताया किस मजबूरी के चलते निकाले हजारों कर्मचारी?
हाल ही में AI रिसर्चर और पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ एक इंटरव्यू में फेसबुक के CEO मार्क ज़करबर्ग ने मेटा और इसकी कंपनियों से हजारों कर्मचारियों को हटाने की वजह पर खुलकर बात की| ज़करबर्ग ने बताया की पिछले कुछ महीनो में 21,000 कर्मचारियों को निकाले जाने के पीछे क्या क्या कारण थे। ज़करबर्ग ने माना कि कर्मचारियों को निकालने का फैसला काफी भावनात्मक और चुनौती भरा था।

हाल ही में AI रिसर्चर और पॉडकास्टर Lex Friedman के साथ एक इंटरव्यू में फेसबुक के CEO Mark Zuckerberg ने मेटा और इसकी कंपनियों से हजारों कर्मचारियों को हटाने की वजह पर खुलकर बात की| ज़करबर्ग ने बताया की पिछले कुछ महीनो में 21,000 कर्मचारियों को निकाले जाने के पीछे क्या क्या कारण थे। ज़करबर्ग ने माना कि कर्मचारियों को निकालने का फैसला काफी भावनात्मक और चुनौती भरा था।
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उन्होंने कहा कि यह निर्णय कंपनी की लॉन्ग टर्म सफलता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक था। ज़करबर्ग ने कहा कि नौकरी जाने का कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में लगातार होते उतार-चढ़ाव हैं और साथ ही बढ़ते कम्पटीशन और कुछ उनकी कंपनी के जरिए की गई गलतियां थीं। ज़करबर्ग ने कहा, "नौकरी से निकालना काफी चुनौतीपूर्ण और कठिन होता है, क्योंकि बहुत सारे लोगों को निकालने का कारण उनकी परफॉरमेंस नहीं होती। वास्तव में, ये सिर्फ रणनीति से जुड़ा एक फैसला है और कभी-कभी आर्थिक रूप से कंपनी के लिए ज़रूरी होता है। अपने इंटरव्यू में ज़करबर्ग ने आगे कहा, "मैं चाहता था कि हम एक मजबूत Tech Company बनें, जहां हम तेज़ी से अधिक टेक और हाई टेक प्रोडक्ट बना सकें। मैं फ़िलहाल बाहरी दुनिया में काफी अस्थिरता देख सकता हूं। मैंने निर्णय लिया कि हमें अपनी संख्या और कम करने की ज़रुरत है।"

ज़करबर्ग ने ये भी सुनिश्चित किया कि कंपनी की स्थिरता और लॉन्ग टर्म प्रोजेक्ट्स में निवेश करने की कमिटमेंट उनकी प्राथमिकता है, जिनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास और Metaverse की निरंतर प्रगति शामिल है। कर्मचारी संख्या को कम करने का निर्णय मेक्रो इकोनॉमिक और लगातार बढ़ते कंपिटिशन के चलते लिया गया है। लेक्स फ्रिडमैन के साथ इंटरव्यू में फेसबुक के CEO मार्क ज़करबर्ग ने कहा कि मुझे ये सुनिश्चित करना है कि हमारी स्थिति स्थिर होनी चाहिए ताकि हम तेजी से आगे बढ़े। AI और मेटावर्स से जुड़े प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाते रहें," ज़करबर्ग ने बताया कि उन्हें पिछले 18 महीनों में किन किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा और संगठन की संख्या को और काम करने की ज़रुरत कैसे पड़ी? ज़करबर्ग ने कहा कि ऐसे फैसले भावनात्मक के साथ लेना असल में कठिनाईयों भरा होता है। उच्च स्तर पर ऐसे निर्णय लेना एक बात है लेकिन ऐसे फैसले को जितना हो सके उतना करुणापूर्वक पूरा करें, किसी को भी नौकरी से निकालना कोई आसान तरीका नहीं है, यह बहुत कठिन होता है।
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