
दो सहकारी बैंकों के लाइसेंस रद्द, RBI ने की कड़ी कार्रवाई
रिजर्व बैंक ने सहकारिता आयुक्त और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, महाराष्ट्र को बैंक बंद करने और बैंक के लिए एक परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने के लिए कहा है। रिजर्व बैंक ने कहा कि प्रत्येक जमाकर्ता जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (DICGC) से पांच लाख रुपये की सीमा तक अपनी जमा राशि की जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने का हकदार होगा। बैंक की तरफ से प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार 97.60% जमाकर्ता DICGC से अपनी जमा राशि की पूरी राशि प्राप्त करने के हकदार हैं। आरबीआई ने कहा कि यदि मलकापुर शहरी सहकारी बैंक को बैंकिंग कारोबार आगे बढ़ाने की मंजूरी दी गई तो इससे सार्वजनिक हित पर असर पड़ेगा।

RBI की तरफ से नियमों का पालन नहीं करने पर बैंकों के खिलाफ लगातार सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। पिछले दिनों एचडीएफसी और एचएसबीसी बैंक पर पेनाल्टी लगाने के बाद अब RBI ने Maharashtra और Karnataka में संचालित हो रहे दो सहकारी बैंकों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। साथ ही दोनों ही बैंकों से 5 जुलाई, 2023 को लाइसेंस रद्द होने के बाद किसी भी तरह का बैंकिंग कारोबार नहीं करने के लिए कहा गया है।
RBI की तरफ से बताया गया कि बुलढ़ाणा स्थित मलकापुर शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड (Malkapur Urban Co operative Bank) और बेंगलुरु स्थित सुश्रुति सौहार्द सहकार बैंक नियमित (Shushruti Souharda Sahakara Bank Niyamita) के बैंकिंग लाइसेंस निरस्त कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार कारोबार बंद किये जाने के बाद दोनों ही बैंक किसी भी तरह की जमा राशि स्वीकार नहीं कर सकेंगे और न ही जमा राशि ग्राहकों को दे सकेंगे।


केंद्रीय बैंक की तरफ से दोनों सहकारी बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी और आमदनी की संभावनाओं की कमी को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। रिजर्व बैंक ने सहकारिता आयुक्त और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, महाराष्ट्र को बैंक बंद करने और बैंक के लिए एक परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने के लिए कहा है।
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रिजर्व बैंक ने कहा कि प्रत्येक जमाकर्ता जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (DICGC) से पांच लाख रुपये की सीमा तक अपनी जमा राशि की जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने का हकदार होगा। बैंक की तरफ से प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार 97.60% जमाकर्ता DICGC से अपनी जमा राशि की पूरी राशि प्राप्त करने के हकदार हैं।
आरबीआई ने कहा कि यदि मलकापुर शहरी सहकारी बैंक को बैंकिंग कारोबार आगे बढ़ाने की मंजूरी दी गई तो इससे सार्वजनिक हित पर असर पड़ेगा। आने वाले समय में बैंक मौजूदा वित्तीय स्थिति के साथ अपने जमाकर्ताओं को पूरा भुगतान करने में असमर्थ होगा।