
Indian Railway Revenue: Railway ने कैसे नियम बदलकर कमाएं करोड़ों रूपये
2016 से पहले भारतीय रेल 5 से12 साल वालें बच्चों का आधा किराया लेकर उन्हें बर्थ देता था। अब बदलाव के बाद रेलवे को बड़ा मुनाफा हुआ है। RTI में खुलासा हुआ है कि रेलवे में यात्रा करने वाले 70% बच्चे को पूरा किराया देकर बर्थ या सीट लेना पसंद करते हैं।

इंग्लिश में एक कहावत है there is a will there is a way यानि की जहां इच्छाशक्ति हो वहां सबकुछ मुमकिन है। रेलवे ने भी ऐसा ही कमाल करके दिखाया है। रेलवे की एक छोटी सी कोशिश ने दमदार रिजल्ट दिया है। रेलवे लगातार अपने रेवेन्यू को बढ़ाने की कोशिश कर रही है। रेलवे ने 7 साल पहले यानि साल 2016 में एक बदलाव किया था जिसका असर ऐसा हुआ है कि रेलवे मालामाल हो गया है। आइये जानते हैं मामला है क्या?
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दरअसल रेल मंत्रालय ने 31 मार्च 2016 में Railways child travel rules का एलान किया था। उस नियम के तहत 5 साल से 12 साल के बीच की उम्र वाले बच्चों के लिए पूरा किराया वसूलने का फैसला किया गया था। RTI की ओर से जबाव में रेल मंत्रालय ने बताया कि इस बदलाव के सात साल बाद 2,800 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है। यही नहीं वित्त बर्ष 2022-23 में भी रेलवे ने 560 करोड़ रुपये की बड़ा रकम इस फैसले से वसूली थी।

इस दौरान CRIS यानि सेंटर ऑफ रेलवे इनफार्मेशन सिस्टम ने बेहद ही चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। आइये जानते हैं। रेल मंत्रालय के अधीन सीआरआईएस ने बच्चों की दो कैटेगिरी के वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2022-23 तक का डाटा उनके फेयर ऑप्शन के बेस तैयार किया है। CRIS के मुताबिक पिछले 7 साल में 3.6 करोड़ से अधिक बच्चों ने रिजर्व सीट या बर्थ का विकल्प चुने बिना आधा किराया देकर यात्रा की है। तो वहीं सात साल में 10 करोड़ से ज्यादा बच्चों ने अलग बर्थ में पूरा किराया देकर ट्रेवल करना पसंद किया है। जिस से भारतीय रेलवे को बड़ा फायदा हुआ है।
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आपको बता दें तो 2016 से पहले भारतीय रेल 5 से 12 साल वालें बच्चों का आधा किराया लेकर उन्हें बर्थ देता था। अब बदलाव के बाद रेलवे को बड़ा मुनाफा हुआ है। RTI में खुलासा हुआ है कि रेलवे में यात्रा करने वाले 70 प्रतिशत बच्चे को पूरा किराया देकर बर्थ या सीट लेना पसंद करते हैं। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में रेलवे की ओर से रेवेन्यू बढ़ाने के लिए कौन से नए कदम उठाए जाते हैं।
