भारत के एक्सपोर्ट स्टोरी ने देश की अर्थव्यवस्था को कैसे ऊंचाइयों पर पहुंचाया?
PHDCCI की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने कोरोना के बाद ईज ऑफ डुइंग बिजनेस जैसे पॉलिसी सुधारों के जरिए कई क्षेत्रों और क्षेत्रीय समूहों के साथ व्यापार बढ़ाने में कामयाबी हासिल की है।

PHDCCI की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने कोरोना के बाद ईज ऑफ डुइंग बिजनेस जैसे पॉलिसी सुधारों के जरिए कई क्षेत्रों और क्षेत्रीय समूहों के साथ व्यापार बढ़ाने में कामयाबी हासिल की है। 2017-18 से 2019-20 के दौरान भारत के दूसरे देशों के साथ व्यापार की 2021-22 से 2023-24 की अवधि के दौरान की गई तुलना से ये साफ होता है कि कोरोना के बाद भारत के निर्यात में इजाफा हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक
-भारत ने कोरोना के बाद 8 क्षेत्रों और क्षेत्रीय समूहों के साथ ट्रेड सरप्लस किया है जबकि कोविड से पहले ये संख्या 6 थी
-इसकी वजह लॉजिस्टिक्स में सुधार, एक्सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश, टैक्स रिजीम की सरलता और सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम जैसे कदम हैं। PHDCCI के मुताबिक इन सुधारों से व्यापार आसान हुआ है और बेहतर नतीजे देखने को मिले हैं।
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आंकड़ों के मुताबिक
-PHDCCI ने 19 क्षेत्रों और समूहों का एनालिसिस किया है।
-इनमें से 8 यानी अमेरिका, दक्षिण एशिया, यूरोपीय यूनियन, बाकी यूरोपीय देश, पूर्वी अफ्रीका, उत्तरी अफ्रीका, मध्य एशिया और मध्य अफ्रीका के साथ भारत का व्यापार सरप्लस रहा है।
-यानी कुछ यूरोपीय देश और मध्य एशियाई देशों के साथ कोरोना के बाद भारत का ट्रेड डेफिसिट की जगह अब सरप्लस हो गया है।
6 की जगह 8 क्षेत्रों और क्षेत्रीय समूहों के साथ ट्रेड सरप्लस होना भारत की बढ़ती निर्यात ताकत का संकेत है। ऐसा कहने की वजह है कि बीते 2 साल से भारत का निर्यात ऑलटाइम हाई पर पहुंच गया है।
आंकड़ों के मुताबिक
-2022-23 में भारत का निर्यात 776 अरब डॉलर और 2023-24 में 778 अरब डॉलर रहा था।
-यही नहीं भारत का व्यापार घाटा भी 2018-19 के 95.8 अरब डॉलर से घटकर 2023-24 में 78.1 अरब डॉलर रह गया है।
व्यापार को और बढ़ावा देने के लिए कॉस्ट ऑफ डुइंग बिजनेस में सुधार की जरूरत
रिपोर्ट के मुताबिक व्यापार को और बढ़ावा देने के लिए कॉस्ट ऑफ डुइंग बिजनेस में सुधार की जरूरत है। इसमें कैपिटल कॉस्ट, पावर, लॉजिस्टिक्स, जमीन, लेबर और कम्प्लायंसेस की लागत को कम करना शामिल है। इससे भारत के मैन्युफक्चरिंग सेक्टर को ग्लोबल मार्केट में मजबूत बनाने का मौका मिलेगा। ऐसे में समझा जा सकता है कि भारत निर्यात की ताकत और व्यापारिक सुधार के दम पर देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊचाइयों पर ले जा सकता है।