Budget 2025: उम्मीदों वाला बजट, हेल्थ सेक्टर को आगामी बजट से कई उम्मीदें
फरवरी में यूनियन बजट पेश होगा। इस बजट को लेकर भी कई उम्मीदें हैं। हेल्थ सेक्टर को आगामी बजट से काफी उम्मीदें है। हम आपको इस आर्टिकल नमें बताएंगे कि फरवरी में पेश होने वाले बजट से हेल्थ सर्विस सेक्टर को क्या उम्मीदें हैं।

Budget 2025 Expectation: हैल्थकेयर सेक्टर को यूनियन बजट 2025 का बेसब्री से इंतजार है, जिसमें पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने, इनोवेशन को बढ़ावा देने और मेडिकल रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए आवंटन में वृद्धि की मांग की गई है। मुख्य उम्मीदों में प्राइमरी हैल्थकेयर के लिए अधिक धन, स्वास्थ्य-तकनीक स्टार्टअप के लिए कर प्रोत्साहन और दवा उत्पादन के लिए बढ़ा हुआ समर्थन शामिल है।
इस सेक्टर को स्वास्थ्य सेवाओं और आवश्यक दवाओं पर जीएसटी कम करने की भी उम्मीद है ताकि उपचार को और अधिक किफायती बनाया जा सके। डिजिटल स्वास्थ्य और निवारक देखभाल पर बढ़ते जोर के साथ, हितधारक सरकार से सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा पहुंच और गुणवत्ता वृद्धि को प्राथमिकता देने का आग्रह करते हैं, जिससे एक स्वस्थ और अधिक लचीले भारत का मार्ग प्रशस्त हो सके।
भारत में हेल्थ सर्विस सेक्टj, जो राजस्व और रोजगार के मामले में सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है, तेजी से बढ़ा है। आने वाले बजट से उम्मीद है कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर लगने वाले इनपुट जीएसटी को कम करेगी। हाल की रिपोर्टें दिखाती हैं कि बीमा कंपनियां जितना प्रीमियम वसूलती हैं और जितने क्लेम निपटाए जाते हैं, उनके बीच बड़ा अंतर है। यह समस्या सुधार की जरूरत को साफ बताती है। उम्मीद है कि सरकार इस मुद्दे पर ध्यान देकर जरूरी कदम उठाएगी।
डॉ. पीएन अरोड़ा ने आगे कहा कि इसके अलावा अगर पब्लिक हेल्थ सर्विस के लिए बजट बढ़ाया जाए और प्राइवेट सेक्टर को सहयोग देने के लिए प्रोत्साहन दिया जाए, तो लोगों को बेहतर इलाज मिल सकता है। साथ ही, जिन इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं कम हैं, वहां बुनियादी ढांचा सुधारने पर ध्यान दिया जाए, तो हर नागरिक को बेहतर इलाज मिल सकेगा।
यूएचएपीओ के फाउंडर विवेक शर्मा (प्रमुख कैंसर नेविगेशन और होम केयर उद्यम) के अनुसार भारत सरकार ने भारत में कैंसर से पीड़ित लोगों की मदद करने में रुचि दिखाई है और पिछले कुछ वर्षों में कई कदम भी उठाए हैं, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है, केवल दवा में कुछ प्रतिशत की कीमतों को कम करने से मदद नहीं मिलेगी।
इसके आगे उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसे इकोसिस्टम की आवश्यकता है, जहां सरकार इनोवेटर्स और बड़े निर्माताओं से दवाओं की खरीद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए, उन्हें मात्रा में दवा देने और यहां तक कि उन्हें वितरित करने के लिए प्रतिबद्ध हो। मुझे यकीन है कि अगर सरकार योजनाओं के कार्यान्वयन भाग पर कुछ संसाधन खर्च करती है, तो यह भारत में कैंसर देखभाल को और बदल देगी।