Budget 2025: बजट में सौर ऊर्जा पर रहेगा फोकस, इन चुनौतियों के लिए उठाया जाएगा कदम
Budget 2025 Expectations: शनिवार को यूनियम बजट में सभी सेक्टर्स को काफी उम्मीदें हैं। आगामी केंद्रीय बजट से उम्मीद की जा रही है कि सरकार ऊर्जा क्षेत्र को और मजबूती देने के लिए जरूरी सुधार लाएगी।

भारत में सूरज की तेज धूप केवल जलाने के लिए नहीं, बल्कि ऊर्जा पैदा करने के लिए भी जानी जाती है। यही धूप देश की नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) क्रांति को आगे बढ़ा रही है। सरकार के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों और स्वच्छ ऊर्जा की बढ़ती मांग ने इस क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। लेकिन इस उज्ज्वल भविष्य के रास्ते में कई चुनौतियां भी हैं। खासकर जब देश क्लीन एनर्जी (स्वच्छ ऊर्जा) और डिकार्बोनाइजेशन (कार्बन उत्सर्जन कम करने) के लक्ष्य को लेकर गंभीर है। ऐसे में आगामी केंद्रीय बजट से उम्मीद की जा रही है कि सरकार ऊर्जा क्षेत्र को और मजबूती देने के लिए जरूरी सुधार लाएगी।
सौर ऊर्जा के विकास के लिए संतुलित नीति जरूरी
सौर ऊर्जा भारत की ऊर्जा क्रांति का सबसे अहम हिस्सा है। लेकिन इसके विकास में कई चुनौतियाँ भी हैं। नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने हाल ही में ALMM-II (Approved List of Models and Manufacturers) नीति पेश की है, जो 1 जून 2026 से प्रभावी होगी। इसके तहत सौर PV सेल के लिए नए नियम लागू होंगे।
अनमोल सिंह जग्गी के मुताबिक सरकार ने हर साल 35 गीगावॉट (GW) सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है, लेकिन देश में सेल निर्माण क्षमता सीमित है। यदि मांग और आपूर्ति में अंतर बढ़ता है, तो घरेलू सौर सेल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे प्रोजेक्ट्स की लागत भी बढ़ जाएगी। इस स्थिति से बचने के लिए सरकार को इस नीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
नवीकरणीय ऊर्जा निवेश के लिए स्थिर नीतियां जरूरी
सरकार नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं (Renewable Energy Projects) और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (ESS) के लिए PPA (Power Purchase Agreement) की अवधि 25 साल से घटाकर 15 साल करने पर विचार कर रही है। यह बदलाव वित्तीय निवेश को प्रभावित कर सकता है।
IEA (International Energy Agency) के अनुसार, 2031-2035 के बीच भारत को सौर ऊर्जा पर हर साल लगभग 20 अरब डॉलर खर्च करने होंगे। यदि 2070 तक नेट-जीरो लक्ष्य (Net Zero) हासिल करना है, तो इस निवेश को 20% और बढ़ाना होगा।
Gensol Engineering Ltd के मैनेजिंग डायरेक्टर अनमोल सिंह जग्गी के अनुसार PPA की छोटी अवधि से बैंक और निवेशक जोखिम लेने से बचेंगे, जिससे ब्याज दरें बढ़ेंगी और प्रोजेक्ट्स के मुनाफे (IRR) पर असर पड़ेगा। इस समस्या को हल करने के लिए सरकार को RfS (Request for Selection) डॉक्यूमेंट्स में PPA की अवधि को स्पष्ट रूप से तय करना चाहिए। इससे निवेशकों को भरोसा मिलेगा और वे लंबी अवधि के लिए निवेश कर पाएंगे।
ग्रीन हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए वित्तीय सहयोग
भारत में ग्रीन हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा की कई नई परियोजनाएं प्रस्तावित हैं, लेकिन इनके लिए वित्तीय संसाधनों की जरूरत है। सरकार इंश्योरेंस स्योरिटी बॉन्ड्स और ब्लेंडेड फाइनेंस जैसे नए वित्तीय उपकरणों को अपनाकर इस क्षेत्र में निवेश बढ़ा सकती है। इससे प्रोजेक्ट्स की फंडिंग आसान होगी, निवेशकों का जोखिम घटेगा और बड़े पैमाने पर स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाएँ विकसित की जा सकेंगी।
बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) जरूरी
BESS (Battery Energy Storage Systems) ग्रिड को स्थिर रखने और नवीकरणीय ऊर्जा के उचित उपयोग के लिए बेहद जरूरी है। भारत में अब तक 203 GW नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं चालू हो चुकी हैं, लेकिन ग्रिड में स्थिरता बनाए रखने के लिए स्वतंत्र बैटरी स्टोरेज सिस्टम (Standalone BESS) की योजना बनानी होगी।
SECI (Solar Energy Corporation of India) पहले ही बड़े पैमाने पर BESS प्रोजेक्ट्स के लिए टेंडर निकाल रहा है। अनमोल सिंह जग्गी ने कहा कि केंद्रीय और राज्य सरकारों को BESS प्रोजेक्ट की मंजूरी प्रक्रिया को आसान बनाना होगा और निवेश के लिए आकर्षक प्रोत्साहन देने होंगे।