scorecardresearch

भारत ने अचानक रूस से क्रूड इंपोर्ट में कटौती क्यों की? जानिए बड़ी वजह

अगर आप जुलाई और अगस्त के बीच तुलना करे तो भारत ने दूसरे देशों के मुकाबले रूस से काफी कम तेल खरीदा है। सबसे पहले रूस की ही बात करते हैं। अगर क्रूड सप्लाई में भारत का मार्केट शेयर देखें तो जुलाई में ये 42 प्रतिशत था। वहीं अगस्त में ये घटकर 34 प्रतिशत रह गया। यानि कि रूस से क्रूड इंपोर्ट में 8 प्रतिशत की कटौती दर्ज की गई है। वहीं दूसरे देशों की बात करें तो ईराक से जुलाई और अगस्त में क्रूड सप्लाई का मार्केट शेयर 20 प्रतिशत ही रहा है।

Advertisement
भारत ने अचानक रूस से क्रूड इंपोर्ट में कटौती क्यों की? जानिए बड़ी वजह
भारत ने अचानक रूस से क्रूड इंपोर्ट में कटौती क्यों की? जानिए बड़ी वजह

भारत और रूस के बीच की दोस्ती को और गहराई देने का काम कच्चे तेल ने किया। जब अमेरिका और यूरोपिय देशों ने रूस को दरकिनार किया तब भारत और रूस की भागीदारी ने जमकर मुनाफा कमाया। लेकिन फिलहाल स्थिति एकदम बदल गई है। भारत का रूस से अचानक कच्चे तेल का इंपोर्ट निचले स्तर पर आ गया है। लेकिन ऐसा हुआ कैसे? पहले से ही चीन, पाकिस्तान समेत यूरोपीय देशों को भारत और रूस की ये जुगबंदी भा नहीं रही थी। लेकिन अब उनके मन की होती दिख रही है। सबसे पहले आपको आंकड़ों के जरिए स्थिति को समझते हैं, फिर इसके पीछे का कारण बताते हैं। 

advertisement

अगस्त में भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात घटकर सात माह के निचले स्तर पर आ गया है।  दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता देश भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात अगस्त में लगातार तीसरे महीने घटा है। अगर आप जुलाई और अगस्त के बीच तुलना करे तो भारत ने दूसरे देशों के मुकाबले रूस से काफी कम तेल खरीदा है। सबसे पहले रूस की ही बात करते हैं। अगर क्रूड सप्लाई में भारत का मार्केट शेयर देखें तो जुलाई में ये 42 प्रतिशत था। वहीं अगस्त में ये घटकर 34 प्रतिशत रह गया। यानि कि रूस से क्रूड इंपोर्ट में 8 प्रतिशत की कटौती दर्ज की गई है। वहीं दूसरे देशों की बात करें तो ईराक से जुलाई और अगस्त में क्रूड सप्लाई का मार्केट शेयर 20 प्रतिशत ही रहा है। साऊदी अरब को देखें तो जुलाई में क्रूड इंपोर्ट 11 प्रतिशत था, अगस्त में बढ़कर 19 प्रतिशत हो गया। वहीं UAE की बात करें यहां भी जून और अगस्त में स्थिति 6 प्रतिशत ही बनी हुई है। वहीं अमेरिका से क्रूड इंपोर्ट में हिस्सेदारी जुलाई में 5 प्रतिशत थी और अगस्त में ये 4 प्रतिशत रह गया। 

ये तो दुनिया के देशों के भारत के प्रति मार्केट शेयर की बात हुई। लेकिन कुछ और आंकड़े भी दिखाते हैं ताकि तस्वीर पूरी साफ हो जाए। 
एनर्जी की खेप पर नजर रखने वाली कंपनी वॉर्टेक्सा के आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त में भारत ने रूस से प्रतिदिन 14.6 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदा। इससे पिछले महीने भारत ने रूस से प्रतिदिन 19.1 लाख बैरल तेल खरीदा था। इराक से आयात 8.91 लाख बैरल प्रतिदिन से घटकर 8.66 लाख बैरल प्रतिदिन रह गया है। आंकड़ों से पता चलता है कि इस दौरान सऊदी अरब से आयात जुलाई के 4.84 लाख बैरल प्रतिदिन से बढ़कर 8.20 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया है। 

अब सवाल उठता है कि ऐसी स्थिति पैदा हुई क्यों? रूस से भारत ने कच्चे तेल इंपोर्ट में कटौती क्यों की। तो इसका जवाब अलग-अलग एक्सपर्ट अलग-अलग तरीके से दे रहे हैं। किसी का कहना है ये अमेरिकी दवाब के चलते हो रहा है। तो कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस से इंपोर्ट में कटौती रिफाइनरीज में चल रही मेनटेनेंस की चलते हो रहा है। वॉर्टेक्सा के मुताबिक आने वाले दिनों में ऐसे कोई संकेत भी नहीं मिल रहे हैं कि वापस रूस से तेल इंपोर्ट में बढ़ोतरी हो सके। वहीं दूसरी और कहा जा रहा हैष पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि रूस से तेल आय़ात में तेजी लाना या बढ़ाना भारत के हित में नहीं। अब रूस से कच्चा तेल आयात में कमी आई है तो सवाल उठ रहा है क्या ये कटौती अमेरिका के दवाब में हुआ है।

advertisement