कौन हैं Sunak को हराने वाले Keir Starmer, कश्मीर मुद्दे पर भारत के साथ
अंग्रेजी अखबार टेलीग्राफ मुताबिक स्टार्मर के दोस्त बताते हैं कि 2021 में हार्टलपूल के उपचुनाव में मिली हार के बाद कीर स्टार्मर राजनीति को अलविदा कहने वाले थे। वो इस चुनाव में हुई हार से बेहद दुखी थे। लेबर पार्टी के लिए सेफ सीट माने जानी वाली हार्टलपूल को कंजर्वेटिव के हाथों हारने के बाद स्टार्मर ने राजनीति छोड़ने को लेकर अपने दोस्तों से बात की थी।

भारतीय मूल के Rishi Sunak अब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे। कभी वेश्यालय की छत पर रहकर पढ़ाई करने वाले लेबर पार्टी के Keir Starmer ने उन्हें चुनाव में करारी शिकस्त दी है। लेबर पार्टी को संसद की 650 में से 410 सीटें मिली हैं। स्टार्मर अब ब्रिटेन के 58वें प्रधानमंत्री बनेंगे। उनकी पर्सनालिटी सुनक से एकदम उलट है। भारतवंशी सुनक जहां खुद को धार्मिक बताते रहे हैं, वहीं स्टार्मर भगवान में यकीन नहीं करते। वे सुनक की तरह अरबपति भी नहीं हैं।
नर्स का बेटा जिसे ग्रामर स्कूल का सुपरबॉय कहा जाता था
2 सितंबर 1962 की बात है। लंदन में एक मामूली नर्स और औजार बनाने वाले कारीगर के घर एक बच्चे का जन्म हुआ। दुनिया आज इसे सर कीर स्टार्मर के नाम से जानती है। स्टार्मर के पिता रोडने स्टार्मर हार्डकोर लेफ्टिस्ट थे, जिसके चलते उन्होंने लेबर पार्टी के संस्थापक कीर हार्डी के नाम पर अपने बेटे का नाम कीर स्टार्मर रखा। स्टार्मर का बचपन मिडिल क्लास परिवार में बीता। वे शुरुआत से ही पढ़ाई के मामले में तेज थे। उन्होंने 11वीं तक की पढ़ाई के बाद ग्रामर स्कूल में दाखिला लिया। पढ़ाई, खेलकूद और म्यूजिक में बेहतरीन प्रदर्शन के कारण उनके भाई-बहन उन्हें ग्रामर स्कूल का सुपरबॉय कहकर बुलाते थे। स्टार्मर ने कई इंटरव्यू में बताया है कि उनके पिता के साथ उनके संबंध ठीक नहीं थे। वो बताते हैं कि उनके पिता गुस्सैल और चिड़चिड़े स्वभाव के थे। उनका भावनात्मक लगाव सिर्फ मां जोसेफिन के लिए था। वह जब 11 साल के थे तब उनकी मां को एक दुर्लभ बीमारी हो गई थी। जो कुछ-कुछ ऑर्थराइटिस जैसी थी। स्टार्मर ने पोलिटिको को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि उनकी मां की बीमारी की वजह से उनका बचपन बहुत बुरा बीता। बीमारी के चलते उनकी मां की हड्डियां धीरे-धीरे इतनी कमजोर हो गईं कि उनका खड़ा होना मुश्किल हो गया। इस वजह से वह मुश्किल से चल पाती थीं। 50 सालों तक वह दर्द से जूझती रहीं। जीवन के आखिरी दिनों में उनकी हड्डियां कमजोर हो गई थी जो हल्के दबाव में भी टूट जाती थीं। उनका खाना, सोना, करवट लेना सब बंद हो गया। दर्द से वह इतनी परेशान हो गईं कि उनके पैर तक काटने पड़ गए। उनका ये दर्द उनकी मौत तक रहा।
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पढ़ाई के दौरान ही राजनीति से जुड़े
पढ़ाई के दौरान ही महज 16 साल की उम्र में वे लेबर पार्टी के यूथ विंग ‘यंग सोशलिस्ट’ के साथ जुड़ गए। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद 18 साल की उम्र में उन्होंने लीड्स यूनिवर्सिटी में लॉ की पढ़ाई के लिए एडमिशन लिया। इसके साथ ही वो अपने परिवार में यूनिवर्सिटी जाकर पढ़ने वाले पहले व्यक्ति बने। स्टार्मर मिडिल क्लास परिवार से थे। जब लीड्स यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए लंदन आए तो उनके पास ज्यादा पैसे नहीं थे। इसके चलते उन्हें वैश्यालय की छत पर बने कमरे में रहना पड़ा था। छोटा सा वह कमरा काफी गंदा था, आस-पास बहुत शोर होता था। हालांकि, इसका किराया कम होने के चलते स्टार्मर ने वहां रहना ठीक समझा। उस कमरे को स्टार्मर और उनके दोस्तों ने अपना अड्डा बना लिया था। एक दिन उनके एक दोस्त के पिता ने जब स्टार्मर को उस घर में जाते देखा तो उन्होंने इसे लेकर नाराजगी भी जाहिर की थी। स्टार्मर की बायोग्राफी के मुताबिक उस कमरे के नीचे जो महिला रहा करती थी, वो अक्सर उसे जोक भी सुनाया करते थे।
कभी राजनीति छोड़ किताब बेचना चाहते थे स्टार्मर
अंग्रेजी अखबार टेलीग्राफ मुताबिक स्टार्मर के दोस्त बताते हैं कि 2021 में हार्टलपूल के उपचुनाव में मिली हार के बाद कीर स्टार्मर राजनीति को अलविदा कहने वाले थे। वो इस चुनाव में हुई हार से बेहद दुखी थे। लेबर पार्टी के लिए सेफ सीट माने जानी वाली हार्टलपूल को कंजर्वेटिव के हाथों हारने के बाद स्टार्मर ने राजनीति छोड़ने को लेकर अपने दोस्तों से बात की थी। उन्होंने अपने दोस्तों को बताया था कि वो राजनीति छोड़कर किताबों की दुकान में काम करना चाहते थे।
लेबर पार्टी से कट्टर वामपंथियों का किया सफाया, जेरेमी कॉर्बिन को टिकट तक नहीं दिया
कीर स्टार्मर साल 2020 में लेबर पार्टी के नेता प्रतिपक्ष बनाए गए। BBC के मुताबिक उन पर आरोप हैं कि उन्होंने एक-एक कर पार्टी में वामपंथी नेताओं को किनारे कर दिया। आरोप लगाने वाले नेताओं में डायने एबॉट, फैजा शाहीन और लॉयड रसेल-मोयल जैसे नाम शामिल हैं। लेबर पार्टी के कई नेताओं ने आरोप लगाया कि वामपंथ के अधिक करीब होने और गाजा युद्ध में इजराइल की आलोचना करने के कारण उन्हें टिकट नहीं दिया गया। स्टार्मर ने लेबर पार्टी के कद्दावर नेता रहे जेरेमी कॉर्बिन तक को भी टिकट नहीं दिया। कॉर्बिन पर हाल ही में यहूदी विरोधी बयान देने के आरोप लगे थे। कॉर्बिन साल 1983 से लगातार इस्लिंगटन नॉर्थ सीट पर सांसद बनते आ रहे हैं। टिकट कट जाने के बाद वे लेबर उम्मीदवार के खिलाफ अपनी पारंपरिक सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। इसके बाद स्टार्मर ने लेबर पार्टी से 40 साल पुराने नेता को निकाल दिया। स्टार्मर ने ऐलान किया कि अब उनके पुराने बॉस कॉर्बिन कभी पार्टी में वापस नहीं आएंगे।
पोलिटिको की रिपोर्ट के मुताबिक
पोलिटिको की रिपोर्ट के मुताबिक स्टार्मर को अपनी विदेश नीति के कारण उन्हें अपनी ही पार्टी में आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। 7 अक्टूबर के हमले के बाद इजराइल ने गाजा में जवाबी कार्रवाई की थी। जब इसकी आलोचना हुई तो स्टार्मर ने कहा कि हमास के खात्मे तक इजराइल को जंग नहीं रोकनी चाहिए। उनके इस बयान को यहूदियों के समर्थन के रूप में देखा गया। द टाइम्स ऑफ इजराइल की रिपोर्ट के मुताबिक जेरेमी कॉर्बिन की यहूदी विरोधी नीतियों के कारण ये समुदाय लेबर पार्टी के खिलाफ हो गया था। साल 2019 के चुनाव के दौरान कई यहूदी संगठनों ने कहा था कि अगर लेबर पार्टी जीत जाती है तो आधे यहूदी देश छोड़ देंगे। उस साल लेबर पार्टी चुनाव हार गई। इसके बाद लेबर पार्टी का नेता बनने के बाद कीर स्टार्मर ने यहूदियों की नाराजगी को धीरे-धीरे कम करने की कोशिश की।
